क्या YouTube पर वीडियो बनाकर कर रहे महीने की मोटी कमाई? ITR से जुड़ी ये बातें आपके काम की
Income Tax: सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स की महीने में कमाई 20,000 रुपये से 200,000 रुपये तक हो सकती है. इन्फ्लुएंसर्स को ITR-3 या ITR-4 फॉर्म के जरिए रिटर्न भरना होता है.

Income Tax: अगर आप सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर है और यूट्यूब वीडियो या रील्स बनाकर आपकी कमाई हो रही है, तो यह खबर आपके लिए है. मौजूदा समय में भारत में 2.5 मिलियन इन्फ्लुएंसर्स हैं, जिनके 1000 से ज्यादा फॉलोअर्स हैं. सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स की महीने में कमाई 20,000 रुपये से 200,000 रुपये तक हो सकती है. ऐसे में अगर आपकी कमाई का जरिया सोशल मीडिया है, तो आप अपना इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करना नहीं भूलें. इसके लिए 15 सितंबर तक की डेडलाइन है.
इन्फ्लुएंसर्स के लिए टैक्स फाइल करना जरूरी
सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स कंटेट बनाकर यूट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म पर डाल देते हैं और इससे इनकी कमाई होती है. इनकी कमाई ब्रांड प्रोमोशन, ऐड रेवेन्यू, स्पॉन्सर्ड पोस्ट से भी होती है. सोशल मीडिया से होने वाली कमाई दनकम टैक्स एक्ट के तहत 'बिजनेस और प्रोफेश्नल इनकम' की कैटेगरी में आता है इसलिए इस पर वही टैक्स स्लैब लागू होगा जो सेल्फ-एम्प्लॉयड प्रोफेश्नल्स पर लागू होते हैं.
इन्फ्लुएंसर्स को ITR-3 या ITR-4 फॉर्म के जरिए रिटर्न भरना होता है. इनमें से ITR-3 उन लोगों के लिए है, जो सोशल मीडिया को अपना मुख्य पेशा बना चुके हैं. वहीं, ITR-4 उन इन्फ्लुएंसर्स के लिए है जो धारा 44 DA के तहत अनुमानित आय योजना का विकल्प चुनते हैं. यह फॉर्म उन छोटे कारोबारियों और प्रोफेशनल्सके लिए फायदेमंद है जो अनुमानित आय के आधार पर टैक्स भरते हैं. सालाना 2 करोड़ रुपये या 50 लाख रुपये तक की कमाई करने वाले इन्फ्लुएंसर्स इस ऑप्शन को चुन सकते हैं.
इन्फ्लुएंसर्स के लिए ITR फाइल करने टिप्स
- सबसे पहले फॉर्म 16, एनुअल इन्फॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) को वेरिफाई करें. अपने पास सारे संबंधित डॉक्यूमेंट्स जुटाने के बाद आपको उन्हें AIS और फॉर्म 26AS के साथ मिलाकर देखना होगा.
- अब ITR-3 या ITR-4 में से किसी एक को चुनना होगा.
- यहां अपने इनकम की सही-सही जानकारी दें.
- अगर आप डिडक्शन के पात्र हैं, तो क्लेम करें.
- 30 दिन के भीतर अपने रिटर्न को वेरिफाई करें.
- इन्फ्लुएंसर्स के लिए टैक्स ऑडिट
बड़े इन्फ्लुएंसर्स यानी कि जिनकी सोशल मीडिया से सालाना आमदनी 1 करोड़ रुपये या उससे ज्यादा हो, उनके लिए चार्टर्ड अकाउंटेंट की मदद से टैक्स ऑडिट कराना जरूरी होता है.
इसके अलावा, इनके लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराना भी जरूरी होता है. इन्हें 18 परसेंट की दर से जीएसटी का भुगतान करना होता है. इतना ही नहीं, ब्रांड्स से कोई गिफ्ट या पेमेंट 20,000 रुपये से अधिक हो तो उस पर TDS कट सकता है. ऐसे में लेन-देन से जुड़ी सारी जानकारी इनकम टैक्स रिटर्न में देनी जरूरी है.
कुल मिलाकर, भारत में सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स पर दूसरे प्रोफेश्नल्स की ही तरह टैक्स स्लैब लागू होता है. अगर किसी ने पुराना टैक्स सिस्टम चुना है, तो 2.5 लाख रुपये तक की आमदनी टैक्स फ्री है. वहीं, नया टैक्स स्लैब चुनने वालों के लिए 7 लाख रुपये तक की सालाना आमदनी पर कोई टैक्स नहीं लगेगा.
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Source: IOCL






















