विदेशी निवेशकों के डगमगाते भरोसे के बीच निकल रहा रुपये का दम, जानें आज डॉलर के मुकाबले कितना टूटा
घरेलू शेयर बाजार के मोर्चे पर बीएसई सेंसेक्स शुरुआती कारोबार 22.24 अंक चढ़कर 85,063.69 अंक पर जबकि निफ्टी 18.10 अंक की बढ़त के साथ 26,060.40 अंक पर पहुंच गया.

Dollar vs Rupee: भारतीय रुपये में लगातार कमजोरी का रुख बना हुआ है. हाल में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के हस्तक्षेप से रुपये में कुछ हद तक रिकवरी जरूर देखने को मिली थी, लेकिन विदेशी पूंजी की निरंतर निकासी और घरेलू शेयर बाजारों की सुस्त शुरुआत के चलते एक बार फिर दबाव बढ़ गया है. सोमवार को शुरुआती कारोबार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 5 पैसे टूटकर 89.95 के स्तर पर आ गया.
क्यों टूट रहा रुपया?
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में स्थानीय मुद्रा 89.95 प्रति डॉलर पर खुली, जो पिछले बंद भाव की तुलना में गिरावट को दर्शाता है. विदेशी मुद्रा कारोबारियों के अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) बीते कुछ महीनों से भारतीय शेयर बाजार में लगातार बिकवाली कर रहे हैं, जिसका सीधा असर रुपये पर पड़ रहा है. शुक्रवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 89.90 पर बंद हुआ था.
इस बीच, छह प्रमुख वैश्विक मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती को दर्शाने वाला डॉलर इंडेक्स 0.02 प्रतिशत की मामूली गिरावट के साथ 98.00 पर रहा. अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड तेल की कीमतों में भी तेजी देखी गई और यह 0.92 प्रतिशत बढ़कर 61.20 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया, जिससे आयात बिल बढ़ने की आशंका के चलते रुपये पर अतिरिक्त दबाव बना.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?
घरेलू शेयर बाजार की बात करें तो शुरुआती कारोबार में बीएसई सेंसेक्स 22.24 अंक की बढ़त के साथ 85,063.69 अंक पर जबकि निफ्टी 18.10 अंक चढ़कर 26,060.40 अंक पर कारोबार करता दिखा. हालांकि, बाजार में यह बढ़त रुपये को मजबूती देने के लिए पर्याप्त साबित नहीं हुई. शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, शुक्रवार को विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) शुद्ध रूप से बिकवाल रहे और उन्होंने 317.56 करोड़ रुपये के शेयर बेचे.
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के ट्रेजरी प्रमुख और कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली ने कहा कि यदि आने वाले समय में विदेशी निवेशकों की भारतीय शेयर बाजार में स्थायी वापसी होती है, तो इससे रुपये को समर्थन मिल सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल रुपया उभरते बाजारों और एशियाई मुद्राओं में सबसे कमजोर प्रदर्शन करने वाली मुद्राओं में शामिल है, और विदेशी निवेश प्रवाह की दिशा रुपये की आगे की चाल तय करने में अहम भूमिका निभाएगी.
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