अमेरिकी डॉलर के सामने नहीं टिक पा रहा रुपया, एक बार फिर हुआ धराशायी, जानें क्या है वजह
Indian Currency Falls: वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर लगातार बातचीत चल रही है और नवंबर तक इसके पूरा होने की संभावना है.

Indian Rupee vs US Dollar: अमेरिकी हाई टैरिफ और शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव के बीच भारतीय रुपये में गिरावट का दौर जारी है. हफ्ते के पांचवें कारोबारी दिन, गुरुवार को भी भारतीय मुद्रा में कमजोरी देखी गई. शुरुआती कारोबार में सीमित दायरे में उतार-चढ़ाव के बाद रुपया तीन पैसे टूटकर 88.78 प्रति डॉलर पर आ गया.
विदेशी मुद्रा कारोबारियों का कहना है कि हालांकि घरेलू शेयर बाजारों में सकारात्मक रुझान ने निचले स्तर पर रुपये को कुछ सहारा दिया. अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 88.76 प्रति डॉलर पर खुला और फिर गिरकर 88.78 प्रति डॉलर पर आ गया, जो पिछले बंद भाव 88.75 की तुलना में तीन पैसे की गिरावट दर्शाता है. बुधवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 88.75 पर बंद हुआ था.
इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर इंडेक्स 0.20 प्रतिशत की गिरावट के साथ 98.72 पर पहुंच गया. घरेलू शेयर बाजारों में बीएसई सेंसेक्स शुरुआती कारोबार में 201.23 अंकों की बढ़त के साथ 81,974.89 अंक पर जबकि एनएसई निफ्टी 50 भी 63.5 अंक चढ़कर 25,109.65 अंक पर पहुंच गया.
भारतीय रुपये में गिरावट जारी
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में भी नरमी आई. ब्रेंट क्रूड 0.50 प्रतिशत की गिरावट के साथ 65.91 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया. शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) बुधवार को लिवाल रहे और उन्होंने शुद्ध रूप से 81.21 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे.
कारोबारियों ने बताया कि रुपये में गिरावट की मुख्य वजह अमेरिकी सीनेट में सरकार को वित्तपोषित करने के लिए पेश किए गए डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन दोनों प्रस्तावों का खारिज होना है. इस असहमति के कारण अमेरिका में शटडाउन का संकट छठे दिन भी जारी है, जिससे निवेशकों ने सतर्क रुख अपनाया है.
क्या है कारण?
इस बीच, वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर लगातार बातचीत चल रही है और नवंबर तक इसके पूरा होने की संभावना है. गोयल की यह टिप्पणी विदेश मंत्री एस. जयशंकर के उस बयान के एक दिन बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत और अमेरिका के बीच किसी भी व्यापार समझौते में नई दिल्ली की ‘लक्ष्मण रेखाओं’ का सम्मान किया जाना चाहिए और एक संतुलित समझौते की दिशा में प्रयास जारी हैं.
कुल मिलाकर, अमेरिकी टैरिफ, राजनीतिक अनिश्चितता और वैश्विक जोखिम की धारणा के चलते रुपये पर दबाव बना हुआ है. हालांकि, घरेलू बाजारों में मजबूती और विदेशी निवेशकों की खरीदारी से निकट भविष्य में रुपये के सीमित दायरे में स्थिर रहने की उम्मीद है.
Source: IOCL






















