Kavach: 5000 करोड़ रुपये में 10000 किमी रेलवे ट्रैक पर लगेगा कवच, रोके जा सकेंगे ट्रेन एक्सीडेंट
Indian Railways: सोमवार को हुए कंचनजंगा एक्सप्रेस ट्रेन हादसे के बाद कवच की और ज्यादा जरूरत महसूस की जा रही है. भारतीय रेलवे 5000 करोड़ के मेगा टेंडर से कवच को इंस्टॉल करने के काम में तेजी लाएगी.

Indian Railways: पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी के पास रंगापानी स्टेशन के नजदीक सोमवार सुबह हुए कंचनजंगा एक्सप्रेस ट्रेन हादसे (Kanchanjunga Express Accident) में 15 लोगों की मौत हो गई और 60 से अधिक लोग घायल हुए हैं. शुरुआती जांच में बताया जा रहा है कि पीछे से आ रही मालगाड़ी के टक्कर मारने से यह दुर्घटना हुई है. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnaw) ने ट्वीट कर बताया कि हादसे में जान गंवाने वाले यात्रियों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये और गंभीर रूप से घायलों को 2.5 लाख जबकि कम घायलों को 50-50 हजार रुपये की आर्थिक मदद का ऐलान किया है. ऐसे ही हादसों को रोकने के लिए रेलवे ने कवच (Kavach) ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन (ATP) टेक्नोलॉजी तैयार की है. इसके लिए रेलवे जल्द ही 5000 करोड़ रुपये का टेंडर जारी करने वाली है. रेलवे लगभग 10000 किमी ट्रैक पर कवच लगाना चाहती है.
तेज काम करने के लिए 5000 किमी के दो टेंडर जारी होंगे
भारतीय रेलवे (Indian Railways) ने कवच को देश में ही विकसित किया गया है. इसे तेजी से लागू करने के लिए 5000 किमी के दो टेंडर जारी किए जाएंगे. कवच को ट्रेन एक्सीडेंट रोकने के लिए विकसित किया गया है. पिछले साल ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रेन हादसे में 296 लोगों की मौत हो गई थी और 1200 घायल हुए थे. पहला कवच टेंडर साल 2021 में जारी किया गया था. यह सिर्फ 3000 किमी का था. यह सिस्टम मानवीय भूल से होने वाले एक्सीडेंट रोकने में सक्षम है. कवच आगे मौजूद ट्रेन या किसी और रुकावट को पहचान कर गाड़ी को रोकने में सक्षम है. इससे ट्रेनों की टक्कर और पटरी से उतरना रोका जा सकेगा.
हर साल 7000 किमी ट्रैक पर कवच लगाने की योजना
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मिंट को शनिवार को बताया कि 10 हजार किमी रेलवे ट्रैक पर कवच को लगाने का काम जल्द शुरू होगा. लगभग 6000 किमी ट्रैक का डीपीआर तैयार हो चुका है और 4000 किमी का लगभग पूरा होने वाला है. इस सिस्टम को डेवलप करने का काम साल 2012 में शुरू हुआ था. फिलहाल लगभग 1500 किमी ट्रैक पर कवच लगाया जा चुका है. नए टेंडर के अनुसार, हर साल लगभग 7 से 8 हजार किमी रेलवे ट्रैक पर कवच लगाने की योजना है. इस गति से 70 हजार किमी लंबा भारतीय रेल नेटवर्क 10 साल में कवच से लैस होगा.
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Source: IOCL





















