ग्राहकों की हुई बल्ले बल्ले! बैंक में मिनिमम बैंलेस का झंझट खत्म, नहीं लगेगा जुर्माना
Indian Overseas Bank MAB Penalty: भारतीय ओवरसीज बैंक ने अपने ग्राहकों के लिए न्यूनतम औसत शेष राशि (एमएबी) पर लगने वाले पेनाल्टी को माफ कर दिया है.

Indian Overseas Bank MAB Penalty: भारतीय ओवरसीज बैंक ने अपने ग्राहकों के लिए न्यूनतम औसत शेष राशि (एमएबी) पर लगने वाले पेनाल्टी को माफ कर दिया है. बुधवार को जारी एक प्रेस रिलीज में ओवरसीज बैंक ने बताया कि अब से बैंक के बचत खातों में न्यूनतम औसत शेष राशि नहीं रखने पर किसी भी तरह का जुर्माना नहीं लिया जाएगा. हालांकि, बैंक में पहले से ही कुछ खास स्कीम्स में न्यूनतम शेष राशि का चार्ज माफ था. अब से इस राहत को बाकी सभी स्कीम्स पर लागू किया गया हैं. जिसका सीधा उद्देश्य बैंक खाताधारकों को राहत देना है.
क्या है बैंक का मकसद?
बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ अजय कुमार श्रीवास्तव ने इस पर खुशी जताते हुए कहा है कि बैंक अपने खाताधारकों को राहत देना चाहती है. उनका मानना है कि इससे ग्राहकों को ध्यान में रखने वाली सोच और वित्त का समावेश होगा. जिससे ग्राहकों को लाभ मिलेगा. साथ ही बैंकिग हर व्यक्ति के लिए आसान बनेगी. ग्राहक बैंक की सुविधाओं का लाभ ले सकेंगे. बैंक ने आगे जानकारी देते हुए बताया कि 30 सितंबर 2025 तक पहले की तरह की नियम जारी रहेगा. यानि कि इस समय तक बैंक पहले की तरह ही चार्ज लेगी. 30 सितंबर के बाद से इस नए नियम के तहत ग्राहकों को लाभ मिलेगा.
न्यूनतम औसत शेष राशि पर जुर्माना हटाने से छोटे खाताधारकों को काफी फायदा होगा. साथ ही पेंशनधारियों को भी इसका लाभ मिलेगा. अक्सर देखा जाता है कि छोटे खाताधारक न्यूनतम औसत शेष राशि पर बैंक को जुर्माना देते हैं. जानकारी के अभाव और खाता में कम पैसा होने के कारण उन्हें जुर्माना देना पड़ता है. इस कदम से ऐसे ग्राहकों को लाभ मिलेगा जो छोटी छोटी बचत करते हैं. बैंक के सीईओ ने बताया कि उनका लक्ष्य हर ग्राहक को आसान बैंकिग सुविधा देना हैं. बैंकिग क्षेत्र में सुधार की दिशा में यह एक अच्छी शुरुआत हैं.
क्या है न्यूनतम औसत शेष राशि?
न्यूनतम औसत शेष राशि (MAB) वह मीनिमम बैंक बैलेंस राशि होती है, जिसे आपको एक महीने में अपने बचत खाते में रखना होता है. ऐसा नहीं करने पर बैंक आप पर जुर्माना लगाती है. न्यूनतम औसत शेष राशि, खाता के प्रकार और बैंक लोकेशन के आधार पर अलग अलग हो सकती है. अलग अलग बैंक में एमएबी की राशि भी अलग अलग होती है.
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Source: IOCL






















