Rice Export Ban: सप्लाई में सुधार और कीमतों के स्थिर होने के चलते चावल के एक्सपोर्ट पर लगी रोक को वापस ले सकती है सरकार!
Rice Export: चावल की बढ़ती कीमतों के मद्देनजर सरकार ने एक्सपोर्ट टैक्स के साथ कुछ चावल के एक्सपोर्ट पर रोक लगाने का फैसला लिया था. लेकिन नई फसल के बाजार में आने से कीमतों काबू में आ सकती है.

Rice Export: भारत सरकार चावल के निर्यात पर लगाये गए बंदिशों को वापस ले सकती है. घरेलू बाजार में चावल की बढ़ती कीमतों के स्थिर होने और सप्लाई में सुधार आने के बाद चावल के एक्सपोर्ट पर लगी रोक को सरकार वापस लेने पर विचार कर सकती है. वहीं सरकार अपने स्टॉक से खुले बाजार में चावल बेचने पर भी विचार कर रही है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार के पास चावल का पर्याप्त भंडार है ऐसे में सरकार को कल्याणकारी योजनाओं के जरिए चावल उपलब्ध कराने में दिक्कत नहीं आएगी. पूरी दुनिया में चावल के ट्रेड में भारत की हिस्सदारी करीब 40 फीसदी है. भारत सरकार चावल के एक्सपोर्ट पर लगी बंदिशों को वापस लेती है तो दुनियाभर में चावल की कीमतों में कमी लाने में मदद मिलेगी. खाद्य महंगाई में कमी आने के बाद सरकार गंभीरता से इस मुद्दे पर विचार कर रही है.
सितंबर 2022 में सरकार ने व्हाइट और ब्राउन राइस के एक्सपोर्ट पर 20 फीसदी एक्सपोर्ट टैक्स लगाने का फैसला किया था जिसके बाद चावल निर्यात करना महंगा हो गया था. साथ ही सरकार ने टूटे हुए चावल के एक्सपोर्ट पर भी रोक लगा दी थी. देश के 60 फीसदी चावल के एक्सपोर्ट पर इस फैसले का असर पड़ा था. चावल के एक्सपोर्ट एसोसिएशन ने सरकार ने एक्सपोर्ट लिमिट को खत्म करने मांग करने वाला है. साथ ही एसोसिएशन चावल के एक्सपोर्ट पर 20 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी हटाने की अनुरोध करने वाली है. साथ ही एक मिलियन टन टूटे चावल के एक्सपोर्ट की इजाजत भी मांगने वाली है.
वहीं सरकार चावल के कीमतों पर काबू पाने के लिए 2 मिलियन चावल अपने रिजर्व से बेचने पर विचार कर रही है. इसे फिक्स्ड प्राइस पर मिलों को बेचा जाएगा. दरअसल सरकार ने गैरबासमती चावल के कुछ वैराइटी के निर्यात पर 20 फीसदी एक्सपोर्ट टैक्स लगा दिया था. साथ ही चावल के एक्सपोर्ट पर टैक्स लगाने का फैसला किया है. 9 सितंबर, 2022 से ये फैसला लागू हुआ था.
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