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Mutual Fund: चुनावी मौसम में वोलेटाइल हुआ बाजार, कैसे चुनें सबसे सही म्यूचुअल फंड?

How to invest in Mutual Fund?: पिछले एक महीने के दौरान चुनावी अनिश्चितता के चलते बीएसई सेंसेक्स ने 2000 अंक के दायरे में गोता लगाया है. ऐसे में निवेश के विकल्पों को अच्छे से चुनना जरूरी हो जाता है...

घरेलू शेयर बाजार अभी उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है. देश भर में जारी लोकसभा चुनाव के परिणाम को लेकर अनिश्चितता से बाजार में निवेशक सतर्कता बरत रहे हैं. पिछले सप्ताह वापसी करने से पहले एक महीने के अंदर बाजार में लगभग 2 फीसदी की गिरावट देखी गई थी. लंबी रैली के बाद बाजार के इस तरह वोलेटाइल होने से निवेशकों को परेशानी हो रही है.

इतना चढ़ा-उतरा है बाजार

आज के कारोबार में बीएसई सेंसेक्स हल्की तेजी के साथ 74 हजार अंक के पार निकला हुआ है. इसी महीने 9 मई को बाजार 72 हजार अंक के पास गिरा हुआ था. मतलब एक-डेढ़ सप्ताह में बाजार 2 हजार अंक के दायरे में ऊपर-नीचे हुआ है. बाजार जब भी इस तरह से वोलेटाइल होता है, निवेशकों को निवेश के निर्णय लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

असमंजस में हैं निवेशक

बाजार के विशेषज्ञ इस बात की आशंका जता रहे हैं कि आने वाले दिनों में बाजार इसी तरह वोलेटाइल रह सकता है. हर बार लोकसभा चुनाव के दौरान इस तरह का ट्रेंड दिखाई पड़ता है. म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाले निवेशक भी इस कारण असमंजस में हैं, क्योंकि उनमें से कइयों को हाल-फिलहाल में घाटा हुआ है और उनको भविष्य अस्पष्ट दिख रहा है.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

इक्वेशन फाइनेंशियल सर्विसेज के कपिल हुल्कर कहते हैं कि वोलेटाइल बाजार में मल्टी एसेट फंड निवेशकों के लिए बेहतर विकल्प साबित होते हैं. वह बताते हैं- सभी एसेट क्लास का अपना साइकल होता है. ऐसे में भविष्यवाणी करना कभी आसान नहीं होता है. अगर आप झुंड की मानसिकता का पालन करते हैं और अपने पोर्टफोलियो में विविधता नहीं लाते हैं, तो यह भी निवेश में घाटे का कारण हो सकता है. अच्छी तरह से डायवर्स पोर्टफोलियो वाले निवेशक कहीं अधिक सुरक्षित होते हैं. ऐसे में मल्टी एसेट फंड में निवेश करना प्रासंगिक हो जाता है.

किन्हें कहते हैं मल्टी एसेट फंड?

मल्टी एसेट फंड की बात करें तो ये हाइब्रिड फंड हैं, जो विभिन्न एसेट क्लास जैसे इक्विटी, डेट, कमोडिटी और अन्य में निवेश करते हैं. सेबी के नियमों के मुताबिक, मल्टी एसेट फंड को अपने एसेट आवंटन में विविधता लाने के लिए तीन या अधिक अलग-अलग एसेट क्लास में से प्रत्येक में अपने कुल एयूएम का कम से कम 10 फीसदी निवेश करना होगा.

मल्टी एसेट फंड के रिटर्न

मल्टी एसेट फंड ने पिछले एक साल में अपने निवेशकों को अच्छा रिटर्न भी दिया है. उदाहरण के लिए- निप्पॉन इंडिया मल्टी एसेट फंड और एसबीआई मल्टी एसेट फंड ने बीते एक साल के दौरान क्रमश: 32.26 फीसदी और 28.24 फीसदी का रिटर्न दिया है. कपिल हुल्कर कहते हैं कि निवेशकों को सही मल्टी एसेट फंड चुनते समय यह देखना चाहिए कि उसका पोर्टफोलियो अच्छे से डायवर्स हो. निवेशकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे एक ऐसा मल्टी एसेट फंड चुनें, जो एसेट एलोकेशन में बदलाव न करे. उदाहरण के तौर पर निप्पॉन इंडिया मल्टी एसेट फंड तीन एसेट क्लास- इक्विटी, कमॉडिटी और डेट में निवेश करता है.

डिस्क्लेमर: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना हेतु दी जा रही है. यहां बताना जरूरी है कि मार्केट/म्यूचुअल फंड में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें. ABPLive.com की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है.

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