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General Knowledge: तेल उत्पादन में सऊदी अरब का होता है सिर्फ इतना खर्च, दूसरे देशों को महंगा बेचकर होती है मोटी कमाई
Oil Production: जो देश तेल का उत्पादन करते हैं वो इसके जरिए अच्छा-खासा लाभ कमाते हैं. ऐसा ही एक तेल उत्पादक देश है सऊदी अरब.
![General Knowledge: तेल उत्पादन में सऊदी अरब का होता है सिर्फ इतना खर्च, दूसरे देशों को महंगा बेचकर होती है मोटी कमाई How much Saudi Arabia spends in oil production High profit in oil Export General Knowledge: तेल उत्पादन में सऊदी अरब का होता है सिर्फ इतना खर्च, दूसरे देशों को महंगा बेचकर होती है मोटी कमाई](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/08/22/773d39afac631c8f82142fe6cfebebf91661174186880537_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Saudi Arab: दुनिया के तमाम देश ऐसे हैं जो पेट्रोलियम के लिए उन देशों पर निर्भर हैं जहां बड़ी मात्रा में इसका उत्पादन होता है. भारत भी उन देशों में शामिल है. हमारे कुल आयात का बड़ा हिस्सा पेट्रोलियम पर खर्च होता है. देश की अर्थव्यवस्था से लेकर परिवहन तक तमाम जरूरी कामों के लिए तेल की उपलब्धता जरूरी है. जो देश तेल का उत्पादन करते हैं वो इसके जरिए अच्छा-खासा लाभ कमाते हैं. ऐसा ही एक तेल उत्पादक देश है सऊदी अरब. जिसके बारे में हम आपको बताएंगे कि तेल के निर्यात में यह देश कितना भारी-भरकम मुनाफा कमाता है -
बैरल के हिसाब से बिकता है तेल-
तेल की कीमतें प्रति बैरल के हिसाब से तय होती हैं. यह तेल मापन का मानक है. जहां एक बैरल को लगभग 159 लीटर तेल के बराबर माना जाता है. हालांकि अब तेल मापन के नए तरीकों को लाया जा रहा है.
इतना होता है उत्पादन में खर्च-
एक अनुमान के अनुसार सऊदी अरब में एक बैरल तेल के उत्पादन में मात्र 2 डॉलर के लगभग खर्च आता है वहीं इसकी बिक्री 100 डॉलर प्रति बैरल तक कर देते हैं. पिछले दिनों तो कच्चे तेल की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में काफी ज्यादा हो गई थी. कीमतों में उछाल के चलते भारत सहित तमाम ऐसे देश जहां बड़ी मात्रा में तेल का आयात किया जाता है वहां तेल की कीमतों में प्रति लीटर के हिसाब से काफी उछाल आया.
तलाशा जा रहा है विकल्प-
हालांकि पेट्रोलियम के विकल्प के तौर पर भारत सहित तमाम देश सोलर एनर्जी और हरित ऊर्जा के दूसरे विकल्पों का रुख कर रहे हैं. यह ना सिर्फ ऊर्जा के स्थाई स्रोत साबित हो सकते हैं बल्कि पर्यावरण की दृष्टि से भी ये बेहतर विकल्प हैं. गौरतलब है कि पेट्रोलियम उत्पाद कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करते हैं. जिसके चलते पर्यावरण को व्यापक नुकसान होता है.
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