अमेरिका के 100 परसेंट फार्मा टैरिफ से बचे EU और जापान, आखिर इन पर क्यों इतने मेहरबान हुए ट्रंप?
US Pharma Tariff: अमेरिका ने सभी ब्रांडेड और पेटेंट दवाओं के आयात पर 100 परसेंट टैरिफ लगाने का आदेश दिया है. हालांकि यूरोपीय यूनियन और जापान इससे बाल-बाल बच गए हैं.

US Pharma Tariff: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से दवाओं के आयात पर 100 परसेंट टैरिफ लगाने का फैसला सुनाया है. गुरुवार को ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर अपना फरमान सुनाते हुए ट्रंप ने कहा कि अमेरिका अब यहां आने वाले सभी ब्रांडेड और पेटेंट दवाओं पर 100 परसेंट टैरिफ लगाएगा. यह टैरिफ तब तक लागू रहेगा, जब तक कि मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां अमेरिका में सक्रिय रूप से अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट का निर्माण नहीं कर लेती. यानी कि टैरिफ के दायरे से उन कंपनियों को बाहर रखा जाएगा, जिनके अमेरिका में प्लांट बनाने का शुरू हो चुका है या पहले से ही जिनके प्लांट हैं.
EU और जापान को राहत
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, व्हाइट हाउस की तरफ से बाद में यह कहा गया कि 100 परसेंट फार्मा टैरिफ यूरोपीय यूनियन और जापान पर नहीं लगाया जाएगा क्योंकि इनके साथ व्यापार समझौते पर लंबे समय से बात चल रही है. यानी कि 100 परसेंट फार्मा टैरिफ के ट्रंप के नए आदेश के बाद भी यूरोपीय यूनियन पर दवाओं के आयात पर सिर्फ 15 परसेंट लगेगा. जापान के साथ भी यही रवैया अपनाया जाएगा. जापान से दवाइयों और सेमीकंडक्टर के आयात पर टैरिफ दूसरे देशों के मुकाबले इतना ज्यादा नहीं लगेगा. व्यापार सौदों के तहत, जापान से दवाओं के आयात पर 15 परसेंट टैरिफ लगाए जाने की बात पहले ही तय हो चुकी है.
ब्रिटेन क्यों नहीं बच पाया?
भारत की ही तरह ट्रंप ने ब्रिटेन से भी आयात होने वाले दवाओं पर 100 परसेंट टैरिफ लगाने का निर्देश दिया है. बताया जा रहा है कि ट्रंप का यह नया फरमान उनकी औद्योगिक और व्यापार नीति का हिस्सा है, जिसके तहत वह चाहते हैं कि अमेरिका की दवाओं के आयात पर निर्भरता कम हो और विदेशी कंपनियां अमेरिका में दवाओं का उत्पादन शुरू कर दे.
मई में ब्रिटेन और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता हुआ था, जिसमें 10 परसेंट के बेसलाइन टैरिफ पर बात बनी थी. हालांकि, दवाओं के आयात पर किसी फिक्स्ड रेट पर बातचीत अभी भी जारी है इसलिए ब्रिटेन को फिलहाल के लिए 100 परसेंट फार्मा टैरिफ से कोई छूट नहीं मिली है. इधर, ट्रंप के इस आदेश से ब्रिटेन की फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री पर देखने को मिलेगा. एस्ट्राजेनेका और ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन जैसी फार्मा कंपनियों को नुकसान पहुंच सकता है. ब्रिटेन ने पिछले साल अमेरिका में 6 अरब डॉलर के दवाओं का निर्यात किया था.
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