एक्सप्लोरर

इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के भंवर में डूबता बचपन

यह ठीक है कि मोबाइल सहित विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स कई दृष्टि से जीवन में गुणात्मक परिवर्तन का माध्यम बने हैं, किन्तु विगत कुछ समय में बच्चों के बीच सोशल मीडिया के इस्तेमाल को लेकर कई खबरें ऐसी आयी हैं जो न सिर्फ रोंगटे खड़ी करती हैं बल्कि  संपूर्ण समाज को यह सोंचने के लिए बाध्य करती हैं कि आखिर सामाजिक संस्कारों, पारिवारिक मूल्यों, आदर्शों, परम्परों से दूर होते हमारे समाज की दशा और दिशा क्या होगी. मोबाइल के इस्तेमाल को लेकर बच्चों की जिद्द कब जूनून बनी और कब इस जूनून ने हत्या और आत्महत्या करने तक की प्रवृति को बढ़ा दिया, इसका पता ही नहीं लगा. बच्चों की इसी लत, जिद, जूनून और सम्मोहन का फायदा सोशल मीडिया के कई माध्यम और गेमिंग ऍप्लिकेशन्स लगातार उठा रहे हैं.

रील की मृगमरीचिका में रियल से दूर होने का दंश बच्चों के जीवन को हर तरह से प्रभावित करने लगा है. बार बार स्टैट्स चेक करने से लेकर कई मीडिया माध्यमों पर अपडेट रहने की आदत बच्चों के अंदर एक अजीब- सी बेचैनी को जन्म देती है जो धीरे-धीरे उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर उनके सम्पूर्ण व्यक्तित्व को परिवर्तिति कर देता है. वर्चुअल और यथार्थ की दुनिया के अंतर को बच्चे समझ नहीं पाते और फिर उस भंवर में उलझते जाते हैं जहाँ से वापस आना संभव नहीं. 

किसी चीज़ की लत पड़ने का अभिप्राय है उसके प्रति अपनी मानसिक और जज़्बाती ज़रूरतों के लिए निर्भर हो जाना और बच्चों के सन्दर्भ में इलेक्ट्रॉनिक गैजेट को लेकर यही हो रहा है. यह लत अन्य किसी भी लत से ज्यादा खतरनाक है जो व्यक्तिगत स्तर से लेकर पारिवारिक और सामाजिक स्तर तक दीर्घकाल के लिए सबको प्रभावित करती है. बाल्य या किशोर अवस्था में निरंतर गैजेट्स का इस्तेमाल शारीरिक और मानसिक रूप से कैसे कमजोर करती है, इसको इस बात से समझा सकता है कि मोबाइल या कंप्यूटर की स्क्रीन से निकलने वाली नीली रौशनी हमारे शरीर की बॉडी क्लॉक को कंट्रोल करने वाले हारमोन मेलाटोनिन का रिसाव रोकती है. मेलाटोनिन हमें नींद आने का एहसास कराता है. मगर इसका रिसाव रुक जाने की वजह से हम देर तक जागते रहते हैं. और जब नींद ठीक से नहीं लेते तो फिर डिप्रेशन, एंग्जायटी जैसे मानसिक तनाव की समभावना बढ़ जाती है. 

पूर्वी यूरोपीय देश हंगरी में सोशल मीडिया एडिक्शन स्केल नाम का पैमाना बनाया गया है. इसके ज़रिए पता लगाते हैं कि किसे सोशल मीडिया की कितनी लत है. इस स्केल की मदद से पता चला कि सोशल मीडिया की लत के शिकार लोगों को खुद पर भरोसा बहुत काम या नहीं के बराबर होता है. उनमें से ज्यादातर लोग डिप्रेशन के भी शिकार हो चुके हैं. 

सोने से पहले टैबलेट या लैपटाप जैसे गैजेट्स का इस्तेमाल आम बात है. ऐसा करने वालों में युवाओं और बच्चों का प्रतिशत बहुत अधिक है. बच्चे सोने वक़्त अवचेतन अवस्था में उन विषय-वस्तु का शिकार होते हैं जो वो सोते वक़्त इन इलेक्ट्रॉनिक गैजेट पर देखते है.

कई मनोचिकत्सकों का मानना है कि इस तरह के गेम बच्चों के अंदर ऐसी तीव्र उत्सुकता पैदा कर देते हैं कि वो इसे एक चुनौती के रूप में लेने लगते हैं और फिर किसी हद तक चले जाते हैं. अभी ज्यादा दिन नहीं हुए जब एक ऑनलाइन गेम ब्लू व्हेल ने पूरी दुनिया में दहशत मचा रखी थी जिसके कई सारे केस हमारे देश में भी दिखे. मोबाइल, लैपटॉप या डेस्कटॉप पर खेले जानेवाले इस गेम में प्रतियोगियों को 50 दिनों में 50 अलग-अलग टास्क पूरे करने होते हैं और हर एक टास्क के बाद अपने हाथ पर एक निशान बनाना होता है. इस खेल का आख़िरी टास्क आत्महत्या होता है. 

ऑनलाइन प्लेटफार्म के विषय-वस्तु इस तरह से तैयार किये जाते हैं कि वो बच्चों को अन्य लोगों के जीवन या शरीर के बारे में ऐसे विचार बनाने के लिए प्रेरित करें जो यथार्थवादी नहीं हैं. वैज्ञानिकों ने पाया है कि बच्चों द्वारा सोशल मीडिया का अति प्रयोग उसी प्रकार के उत्तेजना पैटर्न का सृजन करता है जैसा अन्य एडिक्शन व्यवहारों से उत्पन्न होता है। आज बहुत सारे बच्चे व्हाट्सअप, फेसबुक, मेसेंजर, यूट्यूब, इंस्टाग्राम एडिक्ट डिसऑर्डर के शिकार हो चुके हैं. यह लत अन्य लतों की तरह ही खतरनाक है किन्तु इसका सबसे भयावह पक्ष है मासूमों से उनकी मासूमियत छीन लेना, परिवार और समज से उन्हें दूर कर देना, शारीरिक और मानसिक रूप से उन्हें बीमार कर उनके सम्पूर्ण भविष्य को गर्त में धकेल देना.

बच्चे अपनी नासमझी की वजह से अक्सर स्ट्रेस पोस्टिंग के शिकार होते हैं. इसका अर्थ ये है कि किसी वजह से आवेश में आकर किसी क्षण विशेष में बच्चे सोशल मीडिया पर कुछ भी पोस्ट कर देते हैं और बाद में पछतावा करते हैं. किन्तु इस बीच उनके द्वारा साझा की गयी जानकारी या तस्वीर के आधार पर उनका शोषण किया जाता है, धमकी दी जाती है या ब्लैकमेल किया जाता है और साइबर बुलिंग से लेकर यौन शोषण तक की घटनाएं होती है.

दरअसल मोबाइल का इस्तेमाल करते-करते बच्चे मोबाइल के माध्यम से कब और कैसे इस्तेमाल होने लगते हैं ये पता नहीं चलता. इन परिस्थितियों से निबटने में निःसंदेह अभिभावकों का दायित्व अत्यंत महत्वपूर्ण है और उन्हें भी अपनी सोच से लेकर जीवनशैली में परिवर्तन की आवशयकता है किन्तु यह समाज की समेकित जिम्मेदारी है कि वो इस समस्या की गंभीरता को समझे और हर स्तर पर वांछनीय प्रयास किये जाएँ. सोशल मीडिया के उपयोग के विभिन्न आयामों पर निरंतर सोशल मीडिया डिएडिक्सन क्लास का आयोजन किया जाये, अकादमिक संस्थानों में प्रशिक्षण सत्र का संचालन हो और हमारे बच्चों को आरम्भ से ही पारिवारिक मूल्यों और सामाजिक उत्तरदायित्वों के प्रति उन्मुख किया जाये, इससे पहले कि बहुत देर हो जाये.

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.]

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

Nautapa 2024: नौतपा से पहले ही गर्मी दिखाएगी तेवर, जानें दिन में बाहर निकलने को लेकर क्या है IMD का अलर्ट
नौतपा से पहले ही गर्मी दिखाएगी तेवर, जानें दिन में बाहर निकलने को लेकर क्या है IMD का अलर्ट
KKR vs SRH: बैटिंग या बॉलिंग, क्या रहा हैदराबाद की बुरी तरह हार का कारण; ये रहीं तीन सबसे बड़ी वजह
बैटिंग या बॉलिंग, क्या रहा हैदराबाद की बुरी तरह हार का कारण; ये रहीं तीन सबसे बड़ी वजह
Lok Sabha Elections 2024: 'अपनी बेटी की शादी ऐसे व्यक्ति से नहीं करूंगा, जिसकी हों चार पत्नियां', हिमंत बिस्व सरमा ने क्यों कही ये बात?
'अपनी बेटी की शादी ऐसे व्यक्ति से नहीं करूंगा, जिसकी हों चार पत्नियां', हिमंत बिस्व सरमा ने क्यों कही ये बात?
Srikanth Box Office Collection Day 12: राजकुमार राव की फिल्म का दबदबा कायम, 30 करोड़ क्लब के करीब पहुंची 'श्रीकांत'
राजकुमार राव की फिल्म का दबदबा कायम, 30 करोड़ क्लब के करीब पहुंची 'श्रीकांत'
for smartphones
and tablets

वीडियोज

Loksabha Election 2024: पूर्वांचल की चुनावी लकीर..कुशीनगर से मोदी फैक्टर | PM Modi | Breaking NewsEbrahim Raisi death: इब्राहिम रईसी के साथ..सबसे बड़ा 'विश्वासघात' ?, सुप्रीम लीडर कनेक्शन का संस्पेंसWeather Update: देश के कई हिस्सों में पारा 45 डिग्री से पार, दिल्ली NCR में गर्मी से स्कूल बंदManish Sisodia की जमानत याचिका Delhi High Court ने खारिज करते हुए क्या-क्या कहा, देखिए

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
Nautapa 2024: नौतपा से पहले ही गर्मी दिखाएगी तेवर, जानें दिन में बाहर निकलने को लेकर क्या है IMD का अलर्ट
नौतपा से पहले ही गर्मी दिखाएगी तेवर, जानें दिन में बाहर निकलने को लेकर क्या है IMD का अलर्ट
KKR vs SRH: बैटिंग या बॉलिंग, क्या रहा हैदराबाद की बुरी तरह हार का कारण; ये रहीं तीन सबसे बड़ी वजह
बैटिंग या बॉलिंग, क्या रहा हैदराबाद की बुरी तरह हार का कारण; ये रहीं तीन सबसे बड़ी वजह
Lok Sabha Elections 2024: 'अपनी बेटी की शादी ऐसे व्यक्ति से नहीं करूंगा, जिसकी हों चार पत्नियां', हिमंत बिस्व सरमा ने क्यों कही ये बात?
'अपनी बेटी की शादी ऐसे व्यक्ति से नहीं करूंगा, जिसकी हों चार पत्नियां', हिमंत बिस्व सरमा ने क्यों कही ये बात?
Srikanth Box Office Collection Day 12: राजकुमार राव की फिल्म का दबदबा कायम, 30 करोड़ क्लब के करीब पहुंची 'श्रीकांत'
राजकुमार राव की फिल्म का दबदबा कायम, 30 करोड़ क्लब के करीब पहुंची 'श्रीकांत'
Exclusive: अगर बन गई I.N.D.I.A सरकार तो कौन बनेगा प्रधानमंत्री? सचिन पायलट ने दिया इस सवाल का जवाब
Exclusive: अगर बन गई I.N.D.I.A सरकार तो कौन बनेगा प्रधानमंत्री? सचिन पायलट ने दिया इस सवाल का जवाब
एक से बढ़कर एक स्टाइलिश ब्लाउज पहनती हैं जाह्नवी कपूर, साड़ी से लेकर वेस्टर्न में दिखती हैं बला की हसीन! देखें तस्वीरें
एक से बढ़कर एक स्टाइलिश ब्लाउज पहनती हैं जाह्नवी कपूर!
BSF Jobs 2024: बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स में निकली बंपर पदों पर भर्ती, ये उम्मीदवार कर सकते हैं अप्लाई
बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स में निकली बंपर पदों पर भर्ती, ये उम्मीदवार कर सकते हैं अप्लाई
एहराम क्या होता है, हाजियों के लिए क्यों जरूरी?
एहराम क्या होता है, हाजियों के लिए क्यों जरूरी?
Embed widget