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क्या मूडीज की मुहर से होगी मोदी की जीत?
राजनीति भी चित और पट का खेल है. कब किसका पलड़ा भारी हो जाए कहना मुश्किल है. खासकर गुजरात विधानसभा चुनाव में राजनीति ऐसी ही पल पल करवट ले रही है.

राजनीति भी चित और पट का खेल है. कब किसका पलड़ा भारी हो जाए कहना मुश्किल है. खासकर गुजरात विधानसभा चुनाव में राजनीति ऐसी ही पल पल करवट ले रही है. जिस गुजरात की वजह से नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बन गये अब उनको उन्ही की जमीन पर पटकनी देने के लिए कांग्रेस बना रही है गहरी रणनीति.
ऐसी रणनीति जिससे बीजेपी के बड़े बड़े सूरमा भी सोचने को मजबूर हो गये. राहुल गांधी, गुजरात के चारों युवा नेता जो चार अलग अलग जातियों के हैं उन्हें अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं वाकई ऐसा होता है तो गुजरात किसकी झोली में जाएगा कहना बेहद मुश्किल है.
इसी बीच कालचक्र ने फिर करवट ली है क्योंकि मोदी सरकार की नोटबंदी और जीएसटी लागू के फैसले की कड़ी निंदा हो रही थी. आरोप लग रहा था कि सरकार ने देश को अंधेरे में धकेल दिया है. अब उस आरोपों से लड़ने के लिए मोदी सरकार को नया हथियार मिल गया है. एक नहीं बल्कि तीन-तीन हथियार.
एक महीने के अंदर एक नहीं बल्कि तीन रिपोर्ट से मोदी सरकार की बाछें खिल गई है. अब तो विरोधी पार्टियों की जुबान भी लड़खड़ाने लगी है. ईज ऑफ डूइंज बिजनेस में 30 पायदान की छलांग के बाद अब अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत की साख में सुधार किया है.
14 साल के बाद पहली बार मूडीज ने भारत की साख में और आर्थिक हालात में सुधार किया है. अब इसकी नजर में भारत की साख बीएएए 2 है, जो कि पहले बीएएए 3 थी. यही नहीं भारत के आर्थिक हालात को स्थिर से सकारात्मक बताया है. इस रेटिंग के बाद सरकार और पार्टी जश्न के मूड में आ गई.
सरकार के खिलाफ एक नकरात्मक माहौल बन रहा था उसे तोड़ने के लिए मजबूत हथियार मिल गया है. ताज्जुब की बात ये थी कि कांग्रेस मूड़ीज की रेटिंग पर सवाल उठा रही थी मतलब मोदी ने मूडीज को भी सेट कर दिया है. अब तो देश के पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम दावा कर रहे हैं रैकिंग बढ़ना यूपीए की मेहनत का नतीजा है.
इसके पहले प्यू रिसर्च एजेंसी ने मोदी को देश का सबसे लोकप्रिय नेता करार दिया था. अब सवाल ये उठ रहा है कि इस रेटिंग से गुजरात चुनाव पर क्या असर होगा. विश्लेषक भी यही कह रहे हैं कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश के नतीजे से ही मोदी सरकार के कामकाज की असली रेटिंग होगी.
जीत और हार का पैमाना सिर्फ रेटिंग से नहीं किया जा सकता है. बेहतर विकास दर हासिल करके भी चुनाव हारा जा सकता है. जैसे 1991 में उदारीकरण के दरवाजे खोलने के बाद भी नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार की हार हुई थी और इंडिया शाइनिंग के बाद भी 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार की लोकसभा में हार हुई थी. तो फिर मूडीज की रेटिंग से मोदी को क्या फायदा है.
दरअसल रेटिंग अपग्रेड का सबसे बड़ा फायदा आर्थिक नीतियों पर आलोचना झेल रही है मोदी सरकार को ऑक्सीजन मिल गया है कि क्योंकि नोटबंदी, जीएसटी और जीडीपी ग्रोथ रेट में गिरावट से मोदी सरकार पर चौतरफा हमला हो रहा था. अब इस रेटिंग से मोदी सरकार के हौंसले में बुलंदी आ गई है.
विपक्षी पार्टियां धड़ल्ले से आरोप लगाती रहती थी कि मोदी सरकार हर मोर्चे पर विफल रही है अब तो मोदी सरकार को मूडीज से सर्टिफिकेट मिल गया है और अब मोदी विपक्ष पर आरोप लगाएंगे कि ये विपक्षी पार्टियां अफवाह फैलाती रहती हैं और ये पार्टियां विकास को भी गाली देती हैं यानि उल्टे विपक्ष को जनता की अदालत में कटघरे में खड़ा कर सकते हैं.
मतलब मोदी सरकार पर जो सवाल उठ रहे थे उस पर विराम लग सकता है. दरअसल गुजरात में बीजेपी को दो मुद्दों पर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था एक तो आरक्षण को लेकर पाटीदार समाज का गुस्सा और दूसरा नोटबंदी और जीएसटी की वजह से गुजराती व्यापारी पर नाराजगी.
इस रेटिंग की वजह से मोदी फिर बोल सकते हैं कि अच्छे दिन आने वाले हैं क्योंकि उनके द्वारा उठाये गये कदम से देश विकास की पटरी चल रही है. वहीं गुजरात के व्यापारी वर्ग को खुश करने के लिए मोदी सरकार ने जीएसटी दर में दो बार बदलाव कर चुकी है. वहीं इस रेटिंग से गुजरात के वोटर पर भी असर हो सकता है. जो काम यूपीए सरकार के रहते हुए नहीं हो पाया था वही काम मोदी सरकार के तीन साल में भी देश विकास की पटरी पर दौड़ने लगी है.
जनता को वो संदेश दे सकते हैं कि गुजरात की भलाई राज्य में बीजेपी सरकार के रहने से ही है अगर कांग्रेस आती है तो गुजरात का बेड़ा गर्क हो सकता है. वहीं पाटीदार और कांग्रेस के बीच जो दोस्ती दिख रही थी उसमें फिलहाल दरार दिख रही है. हार्दिक पटेल कांग्रेस को पूरी तरह समर्थन करेंगे या नहीं आज इस पर फैसला हो सकता है. भले मूडीज की रिपोर्ट से मोदी के कामकाज पर मुहर लग गया है लेकिन इस रेटिंग से गुजरात की जनता पर क्या असर हुआ है इसका पता 18 दिसंबर को ही चलेगा.
एक महीने के अंदर एक नहीं बल्कि तीन रिपोर्ट से मोदी सरकार की बाछें खिल गई है. अब तो विरोधी पार्टियों की जुबान भी लड़खड़ाने लगी है. ईज ऑफ डूइंज बिजनेस में 30 पायदान की छलांग के बाद अब अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत की साख में सुधार किया है.
14 साल के बाद पहली बार मूडीज ने भारत की साख में और आर्थिक हालात में सुधार किया है. अब इसकी नजर में भारत की साख बीएएए 2 है, जो कि पहले बीएएए 3 थी. यही नहीं भारत के आर्थिक हालात को स्थिर से सकारात्मक बताया है. इस रेटिंग के बाद सरकार और पार्टी जश्न के मूड में आ गई.
सरकार के खिलाफ एक नकरात्मक माहौल बन रहा था उसे तोड़ने के लिए मजबूत हथियार मिल गया है. ताज्जुब की बात ये थी कि कांग्रेस मूड़ीज की रेटिंग पर सवाल उठा रही थी मतलब मोदी ने मूडीज को भी सेट कर दिया है. अब तो देश के पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम दावा कर रहे हैं रैकिंग बढ़ना यूपीए की मेहनत का नतीजा है.
इसके पहले प्यू रिसर्च एजेंसी ने मोदी को देश का सबसे लोकप्रिय नेता करार दिया था. अब सवाल ये उठ रहा है कि इस रेटिंग से गुजरात चुनाव पर क्या असर होगा. विश्लेषक भी यही कह रहे हैं कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश के नतीजे से ही मोदी सरकार के कामकाज की असली रेटिंग होगी.
इस रेटिंग से गुजरात में जीत मिलेगी?
जीत और हार का पैमाना सिर्फ रेटिंग से नहीं किया जा सकता है. बेहतर विकास दर हासिल करके भी चुनाव हारा जा सकता है. जैसे 1991 में उदारीकरण के दरवाजे खोलने के बाद भी नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार की हार हुई थी और इंडिया शाइनिंग के बाद भी 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार की लोकसभा में हार हुई थी. तो फिर मूडीज की रेटिंग से मोदी को क्या फायदा है.
दरअसल रेटिंग अपग्रेड का सबसे बड़ा फायदा आर्थिक नीतियों पर आलोचना झेल रही है मोदी सरकार को ऑक्सीजन मिल गया है कि क्योंकि नोटबंदी, जीएसटी और जीडीपी ग्रोथ रेट में गिरावट से मोदी सरकार पर चौतरफा हमला हो रहा था. अब इस रेटिंग से मोदी सरकार के हौंसले में बुलंदी आ गई है.
विपक्षी पार्टियां धड़ल्ले से आरोप लगाती रहती थी कि मोदी सरकार हर मोर्चे पर विफल रही है अब तो मोदी सरकार को मूडीज से सर्टिफिकेट मिल गया है और अब मोदी विपक्ष पर आरोप लगाएंगे कि ये विपक्षी पार्टियां अफवाह फैलाती रहती हैं और ये पार्टियां विकास को भी गाली देती हैं यानि उल्टे विपक्ष को जनता की अदालत में कटघरे में खड़ा कर सकते हैं.
मतलब मोदी सरकार पर जो सवाल उठ रहे थे उस पर विराम लग सकता है. दरअसल गुजरात में बीजेपी को दो मुद्दों पर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था एक तो आरक्षण को लेकर पाटीदार समाज का गुस्सा और दूसरा नोटबंदी और जीएसटी की वजह से गुजराती व्यापारी पर नाराजगी.
इस रेटिंग की वजह से मोदी फिर बोल सकते हैं कि अच्छे दिन आने वाले हैं क्योंकि उनके द्वारा उठाये गये कदम से देश विकास की पटरी चल रही है. वहीं गुजरात के व्यापारी वर्ग को खुश करने के लिए मोदी सरकार ने जीएसटी दर में दो बार बदलाव कर चुकी है. वहीं इस रेटिंग से गुजरात के वोटर पर भी असर हो सकता है. जो काम यूपीए सरकार के रहते हुए नहीं हो पाया था वही काम मोदी सरकार के तीन साल में भी देश विकास की पटरी पर दौड़ने लगी है.
जनता को वो संदेश दे सकते हैं कि गुजरात की भलाई राज्य में बीजेपी सरकार के रहने से ही है अगर कांग्रेस आती है तो गुजरात का बेड़ा गर्क हो सकता है. वहीं पाटीदार और कांग्रेस के बीच जो दोस्ती दिख रही थी उसमें फिलहाल दरार दिख रही है. हार्दिक पटेल कांग्रेस को पूरी तरह समर्थन करेंगे या नहीं आज इस पर फैसला हो सकता है. भले मूडीज की रिपोर्ट से मोदी के कामकाज पर मुहर लग गया है लेकिन इस रेटिंग से गुजरात की जनता पर क्या असर हुआ है इसका पता 18 दिसंबर को ही चलेगा.
धर्मेन्द्र कुमार सिंह राजनीतिक-चुनाव विश्लेषक हैं और ब्रांड मोदी का तिलिस्म के लेखक हैं.
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