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भीषण लू के कहर से बचने के लिए जागरूकता क्यों नहीं लाती सरकार?

राजधानी दिल्ली समेत कई राज्यों में भीषण लू अपना कहर ढा रही है जो कुछ लोगों की मौत होने की वजह भी बन रही है. ऐसे हालात में सभी राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है कि वे लोगों को इससे बचने के उपायों के प्रति अधिक से अधिक जागरूक करें. उत्तर प्रदेश सरकार ने तो इसे लेकर एडवाइजरी जारी कर दी है लेकिन बाकी सरकारों को भी 'हीट वेव' को लेकर तत्काल कदम उठाना चाहिये.

दरअसल,देश के विभिन्न राज्य इस वक़्त दोतरफा मार झेल रहे हैं.एक तरफ़ लू है,तो वहीं कोयला संकट के कारण लोगों को कई घंटों की बिजली कटौती से भी जूझना पड़ रहा है.हालांकि रेलवे ने कोयले की निर्बाध आपूर्ति के लिए पांच सौ से भी ज्यादा ट्रेनों को कैंसल कर दिया है.लेकिन मौसम की इस मार से लोगों को सिर्फ जागरूक करके ही बचाया जा सकता है.

शुक्रवार का दिन दिल्ली के लिए रिकॉर्ड तोड़ गर्मी वाला रहा, जब कुछ इलाकों में पारा 46 डिग्री सेल्सियस तक जा पहुंचा. मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक, दिल्ली में 72 साल में दूसरा सबसे गर्म अप्रैल दर्ज किया गया. अप्रैल में अब तक औसत मासिक अधिकतम तापमान 40.2 डिग्री सेल्सियस तक दर्ज किया गया है. लेकिन मौसम विभाग का अनुमान सही निकला कि पहले से ही भीषण लू का सामना कर रही दिल्ली के कुछ इलाकों में शुक्रवार को पारा 46 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है.

हालांकि दिल्लीवासियों ने गर्मी का ऐसा आलम 12 साल पहले 18 अप्रैल 2010 को देखा था, जब अधिकतम तापमान 43.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था. राजधानी में  दिल्ली में अप्रैल महीने में अभी तक का सर्वाधिक तापमान 45.6 डिग्री सेल्सियस 29 अप्रैल 1941 को दर्ज किया गया था.

मौसम विभाग के सीनियर वैज्ञानिक आरके जेनामणि ने सुबह ही ये अनुमान जताया था कि दिल्ली के अलावा हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में भी शुक्रवार को सर्वाधिक तापमान दर्ज हो सकता है.
हालांकि आईएमडी ने शुक्रवार और शनिवार को दिल्ली के कई हिस्सों में लोगों को भीषण लू को लेकर आगाह करते हुए ‘ऑरेंज अलर्ट’ जारी किया है.

मौसम विज्ञान विभाग, मौसम की चेतावनियों के लिए चार रंग के अलर्ट जारी करता है. ‘ग्रीन अलर्ट’ (कोई कार्रवाई की आवश्यकता नहीं), ‘येलो अलर्ट’ (स्थिति पर नजर रखें), ‘ऑरेंज अलर्ट’ ( स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहें) और ‘रेड अलर्ट’ ( स्थिति से निपटने लिए कदम उठाएं).यानी राजधानी में फिलहाल मौसम की स्थिति कुछ वैसी बनी हुई है की सरकार को इससे निपटने के लिये पूरी तैयारी रखनी होगी.

डॉक्टरों के मुताबिक कोई भी व्यक्ति इस लू की चपेट में आ सकता है,ये जरूरी नहीं कि सिर्फ बच्चे या बुजुर्ग ही इसका शिकार बने.लू लगने पर तेज बुखार, सिरदर्द, उल्टी या फिर बेहोशी जैसी दिक्कतें होना आम बात है. लेकिन इस में हीट स्ट्रोक होने का खतरा सबसे बड़ा है.

डॉक्टरों का भी मानना है कि लू से बचने  के आसान उपाय अपनाने के लिए लोगों को जागरूक करना जरूरी है. मसलन,भीषण गर्मी के इस मौसम में घर से जब भी बाहर निकले तो सिर को किसी ना किसी कपड़े से ढककर रखें. गमछा, चश्मे और छाते का इस्तेमाल कर सकते हैं. गीला कपड़े से भी सिर, माथे और गर्दन को ढककर लू के प्रकोप से बचा जा सकता है.इस मौसम में छाछ, लस्सी, नींबू पानी, आम का पना जैसे पेय पदार्थ फायदेमंद रहते हैं.

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)

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