एक्सप्लोरर

BLOG: इन चुनावों में औरतें हैं ही कहां

महिलाओं के खिलाफ रोजाना अलग-अलग रूपों में हिंसा जाहिर होती रहती है, स्कूलों, सार्वजनिक स्थलों, यहां तक कि राजनीति में भी. इस हिंसा में कई बार उन्हें शारीरिक जख्म लगते हैं, लेकिन वे प्रायः मन पर घाव सहते हुए जीवन जीती रहती हैं.

चुनाव आयोग ने एक ऐतिहासिक फैसला किया है. 29 अप्रैल को मुंबई उपनगर में सखी मतदान केंद्रों में वोट करने आने वाली हर महिला को सैनिटरी पैड गिफ्ट किया जाएगा. यह एक गुडविल जेस्चर है. ज्यादा से ज्यादा महिलाएं वोट करने आएं, इस मकसद से यह फैसला किया गया है. सखी मतदान केंद्र ऐसे पोलिंग बूथ हैं जिन्हें सिर्फ महिलाएं मैनेज करती हैं. यह महिला स्वास्थ्य से जुड़ा मसला है जिस पर एक छोटी सी पहल की गई है. यह बात और है कि चुनावी वादों में महिला स्वास्थ्य का मुद्दा, कोई मुद्दा ही नहीं है.

महिला मुद्दे मानो चुनावी चर्चाओं से गायब ही हैं. वादें हैं, नोट बांटने के. नारे हैं, पिछली कामयाबियों के, पिछली नाकामियों के. सत्ता पक्ष छाती ठोंक रहा है- विपक्ष बंदूक ताने खड़ा है. दोनों तरफ से वार हो रहे हैं- व्यक्तिगत लांछन की बौछार हो रही है. असल मुद्दे नदारद हैं, असल समस्याएं दुबकी बैठी हैं- हम बेफिजूल की तूतू-मैंमैं के साक्षी बन रहे हैं. महिला मुद्दे ऐसे जरूरी मुद्दे हैं जिन्हें गैरजरूरी बना दिया गया है. चुनाव आयोग जरूर महिला स्वास्थ्य को एक गंभीर मुद्दा मानता हो, लेकिन राजनैतिक दलों के लिए यह कोई मसला ही नहीं है. हाल ही में नन्ही कली नाम के एक प्रॉजेक्ट में कहा गया कि देश में 50 परसेंट टीएज लड़कियां अंडरवेट हैं, 52 परसेंट में खून की कमी है, 39 परसेंट खुले में शौच को मजबूर हैं और लगभग 46 परसेंट सैनिटरी पेड, टैम्पन या मैन्स्ट्रुएल कप्स का इस्तेमाल नहीं करतीं. इसकी जगह वे क्या इस्तेमाल करती हैं, यह सोचना मुश्किल है... स्वास्थ्य मंत्रालय के अपने आंकड़े कहते हैं कि देश में हर साल सर्वाइकल कैंसर के 60,000 मामले दर्ज होते हैं जिनमें से दो तिहाई का कारण मैन्स्ट्रुएल हाइजीन की कमी है. पर नेताओं के लिए मंदिर-मस्जिद और देशभक्त-देशद्रोह के स्लोगन ज्यादा मायने रखते हैं. जनतंत्र का मतलब सिर्फ चुनाव लड़ने और उसमें जीतने की जुगत लगाना भर रह गया है.

जहां कोई मसला नहीं, वहां मसले गढ़े जाते हैं और झूठ की आड़ में असल मसले छीन लिए जाते हैं. महिलाओं से जुड़ा सुरक्षा का मुद्दा भी ऐसा ही है. महिलाओं के खिलाफ रोजाना अलग-अलग रूपों में हिंसा जाहिर होती रहती है, स्कूलों, सार्वजनिक स्थलों, यहां तक कि राजनीति में भी. इस हिंसा में कई बार उन्हें शारीरिक जख्म लगते हैं, लेकिन वे प्रायः मन पर घाव सहते हुए जीवन जीती रहती हैं.

इन चुनावों में तो महिला उम्मीदवारों के साथ भी जुबानी हिंसा खूब हुई है. पार्टी कोई भी हो, महिला उम्मीदवार से टक्कर में जुबान से फूल झड़ने शुरू हो जाते हैं. मनोवैज्ञानिक हिंसा की जानें कितनी शक्लें हैं. प्रियंका गांधी से लेकर स्मृति ईरानी, हेमा मालिनी से लेकर जया प्रदा तक, शायद ही किसी महिला नेता को इस बदजुबानी का शिकार न होना पड़ा हो. लेकिन क्या खुद महिला नेताओं ने महिला सुरक्षा का मसला किसी चुनावी सभा में उठाया? नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, 2016 में पूरे देश में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के तीन लाख से भी ज्यादा मामले दर्ज किए गए.महिलाओं के खिलाफ सबसे अधिक अपराध उत्तर प्रदेश और फिर पश्चिम बंगाल में दर्ज किए गए हैं. लेकिन महिला नेता भी मर्दवादी झुनझुने को बजाने को मजबूर हैं. शायद वे भी जानती हैं कि उनके साथ के पुरुष ऐसे ही हैं, बदलने वाले नहीं हैं. इसलिए उनकी हरकतों को बर्दाश्त करना स्वभाव में शुमार हो चुका है. इसीलिए अपने नारों में अपने आकाओं के कसीदे पढ़ने के अलावा असल मुद्दों पर चर्चा की ही नहीं जाती.

असल मुद्दा रोजगार का भी है. रोजगार न मिलने का, और एक बराबर काम करने के बावजूद एक बराबर मेहनताना न मिलने का. ऑक्सफेम इंडिया का कहना है कि देश में चार में से तीन औरतें घर से बाहर निकलकर काम नहीं करती और काम करने वाली औरतों को पुरुषों के मुकाबले 34 परसेंट कम मेहनताना मिलता है. पर इस तरफ किसी की नजर नहीं मुड़ती. नेतागण चुनावों में इन विषयों पर भाषण नहीं देते- औरतों को एहसास नहीं दिलाते कि उन्हें आजादी के सत्तर साल बाद भी बुनियादी जरूरतें पूरी करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ता है.

यूं इन चुनावों में औरतें हैं ही कहां? नंबर में कम हैं और जो हैं, उनके चेहरों पर भी मर्दवादी मुखौटे चढ़ा दिए गए हैं. वही लहजा, वही घिसे-पिटे विषय. राष्ट्रवादी हड़बड़ी में मानो विक्षिप्त होकर बड़बड़ा रहे हैं. सन्निपात में भूल गए हैं कि आधी आबादी की समस्याएं बाकी की आधी आबादी से अलग हैं. इनके लिए कौन खड़ा होगा... खुद महिला उम्मीदवार या महिला वोटर.. महिला उम्मीदवारों की ही तरह महिला वोटर भी बहकाए हुए मुद्दों में उलझा दी जाती हैं. जाति, धर्म और खास विचारधारा की खेत हो जाती हैं. उन्हें अपनी शिक्षा, नौकरियों, हिफाजत और इंसाफ के सवाल सुनाई ही नहीं देते. पर इस घड़ी औरतों की समझदारी की परीक्षा की होगी. क्या वे अपने हक के लिए बोलेंगी या अपनी आवाज को डूब जाने देंगी? क्या वे राजतंत्र के बढ़ते अहंकार को समझेंगी?

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)

View More

ओपिनियन

Sponsored Links by Taboola
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h

टॉप हेडलाइंस

पुतिन की भारत यात्रा पर चीन ने दे दिया बड़ा बयान, ड्रैगन की बात से अमेरिका को लग जाएगी मिर्ची!
'सबके लिए अच्छा होगा...', पुतिन की भारत यात्रा पर चीन ने दिया बड़ा बयान, ड्रैगन की बात से लगेगी अमेरिका को मिर्ची
इकरा हसन ने समझाया वंदे मातरम् के इन दो शब्दों का मतलब, वायरल हुआ बयान
इकरा हसन ने समझाया वंदे मातरम् के इन दो शब्दों का मतलब, वायरल हुआ बयान
'किसी को भी इस्लामाबाद की...', पाकिस्तान का CDF बनने के बाद आसिम मुनीर ने भारत को दी गीदड़भभकी
'किसी को भी इस्लामाबाद की...', PAK का CDF बनने के बाद आसिम मुनीर ने भारत को दी गीदड़भभकी
स्मृति मंधाना के पलाश मुच्छल के साथ शादी तोड़ने के बाद जेमिमा रोड्रिग्ज की क्रिप्टिक इंस्टाग्राम स्टोरी वायरल
स्मृति मंधाना के पलाश मुच्छल के साथ शादी तोड़ने के बाद जेमिमा रोड्रिग्ज की क्रिप्टिक इंस्टाग्राम स्टोरी वायरल
ABP Premium

वीडियोज

Gurugram Accident: थार चला रहे युवक ने मारी टक्कर, कार के उड़े परखच्चे! | Breaking | ABP News
Maharashtra निकाय चुनाव को लेकर बंद कमरे में हुई Fadnavis और Eknath Shinde के बीच बैठक
20 लाख का 'मुर्दा दोस्त' !  मौत का Fixed Deposit | Sansani | Crime
Bengal Babri Masjid Row: काउंटिंग के लिए लगानी पड़ी मशीन, नींव रखने के बाद कहा से आया पैसा?
Vande Matram Controversy: विवादों में किसने घसीटा? 150 साल बाद गरमाया वंदे मातरम का मुद्दा...

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
पुतिन की भारत यात्रा पर चीन ने दे दिया बड़ा बयान, ड्रैगन की बात से अमेरिका को लग जाएगी मिर्ची!
'सबके लिए अच्छा होगा...', पुतिन की भारत यात्रा पर चीन ने दिया बड़ा बयान, ड्रैगन की बात से लगेगी अमेरिका को मिर्ची
इकरा हसन ने समझाया वंदे मातरम् के इन दो शब्दों का मतलब, वायरल हुआ बयान
इकरा हसन ने समझाया वंदे मातरम् के इन दो शब्दों का मतलब, वायरल हुआ बयान
'किसी को भी इस्लामाबाद की...', पाकिस्तान का CDF बनने के बाद आसिम मुनीर ने भारत को दी गीदड़भभकी
'किसी को भी इस्लामाबाद की...', PAK का CDF बनने के बाद आसिम मुनीर ने भारत को दी गीदड़भभकी
स्मृति मंधाना के पलाश मुच्छल के साथ शादी तोड़ने के बाद जेमिमा रोड्रिग्ज की क्रिप्टिक इंस्टाग्राम स्टोरी वायरल
स्मृति मंधाना के पलाश मुच्छल के साथ शादी तोड़ने के बाद जेमिमा रोड्रिग्ज की क्रिप्टिक इंस्टाग्राम स्टोरी वायरल
मीरा राजपूत के साथ शाहिद कपूर ने किया प्रैंक, फोन पर क्रैक देख गुस्से से हुईं आग बबूला!
मीरा राजपूत के साथ शाहिद कपूर ने किया प्रैंक, फोन पर क्रैक देख गुस्से से हुईं आग बबूला!
'...एक बार और फिर हमेशा के लिए इसे बंद कर दें', नेहरू की गलतियों पर प्रियंका गांधी ने PM मोदी को दी ये सलाह
'...एक बार और फिर हमेशा के लिए इसे बंद कर दें', नेहरू की गलतियों पर प्रियंका गांधी ने PM मोदी को दी ये सलाह
UAN नंबर भूल गए हैं तो ऐसे कर सकते हैं रिकवर, PF अकाउंट वाले जान लें जरूरी बात
UAN नंबर भूल गए हैं तो ऐसे कर सकते हैं रिकवर, PF अकाउंट वाले जान लें जरूरी बात
क्या सच में एग योक से होता है हार्ट अटैक? एक्सपर्ट्स ने बताया इस मिथक के पीछे का बड़ा सच
क्या सच में एग योक से होता है हार्ट अटैक? एक्सपर्ट्स ने बताया इस मिथक के पीछे का बड़ा सच
Embed widget