एक्सप्लोरर

जब होने वाला था भारत दुनिया भर में डिफॉल्टर, तब मनमोहन की आर्थिक नीतियों ने बदल दिया देश

डॉक्टर मनमोहन सिंह  ने 92 वर्ष की आयु पूरी कर इस दुनिया को अलविदा कह दिया. ये आयु ऐसी होती है, जिसके बारे में ये कहा जाएगा कि उन्होंने अपनी संपूर्ण जिंदगी जी ली लेकिन, केवल जीवन जीना ही महत्वपूर्ण नहीं होता है. आप एक मनुष्य के तौर पर अपने जीवन को कैसे सार्थक बनाते हैं, वो कहीं ज्यादा मायने रखता है. नियति अवश्य निर्धारित होती है, किंतु नियति को भी अपनी क्षमता, अपने काम और अपनी योग्यता से उसको साकार करना और शीर्ष तक लेकर जाना ये मनुष्य के रूप में हमारा दायित्व होता है. मृत्यु के बाद हिन्दू धर्म में सभी हमारे पूर्वज होते हैं, मनमोहन सिंह भी हमारे पूर्वज थे. इस नाते उनके प्रति श्रद्धांजलि उनके जीवन की उपलब्धियों को लेकर ही हो सकती है.

बड़ी हैं मनमोहन की उपलब्धियां

एक व्यक्ति जो विस्थापित के रुप में पाकिस्तान से भारत आया, शरणार्थी के तौर पर जिंदगी शुरू की, अत्यंत कठोर संघर्ष करते हुए अपनी पढ़ाई-लिखाई की और फिर एक ख्याति प्राप्त प्रोफेसर, ख्याति प्राप्त अर्थशास्त्री से लेकर बिना किसी पारिवारिक-खानदानी पृष्ठभूमि के होते हुए लगातार नीति निर्माण में भूमिका निभाते रहने वाला बनना असाधारण उपलब्धि है. उदाहरण के लिए वह वित्त सचिव, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर, योजना आयोग के उपाध्यक्ष, प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार, विश्वविद्यालय अनुदान अयोग के अध्यक्ष से होते हुए वित्त मंत्री, प्रधानमंत्री तक पहुंचे. संयुक्त राष्ट्र संघ में इन सबसे पहले काम करना ऐसी असाधारण उपलब्धि है जो हम सब के लिए प्रेरक हैं. हम अक्सर बोलते हैं कि बगैर हमारे पीछे कोई सपोर्ट नहीं है, हमारा कोई गॉडफादर नहीं है, हम संपन्न परिवार से नहीं हैं और अपनी असफलता के लिए इन कारणों को जिम्मेदार ठहराते हैं, हम कहते हैं इनके बिना हम देश में आगे नहीं बड़ सकते. मनमोहन सिंह इसके विपरीत उदाहरण हैं.

शरणार्थी से देश के सर्वोच्च पद तक     

मनमोहन सिंह के योगदान को प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री के रूप में याद किया जाता  है. जब वह प्रधानमंत्री बने तो अटल बिहारी वाजपेई जैसे लोकप्रिय राजनेता के बाद देश को उन्हें संभालना था. दोनों नेता के बीच तुलना होनी ही थी, तुलना हुई भी. साथ ही साथ उन्हें 145 सांसदों वाली पार्टी यानी अल्पमत वाली गठबंधन सरकार का नेतृत्व करना था और वाम पंथी पार्टियों के समर्थन में चलने वाली सरकार आर्थिक सुधारों पर ज्यादा नीतियां लागू नहीं कर सकती थी. हालांकि, इसके बावजूद उन्होंने कई सुधार लागू किए और 2008 में दुनिया भर में आर्थिक संकट पैदा हुआ, लेकिन भारत उससे बच गया. भले ही उस समय के पहले सरकार में ठोस आधार भूमि भारत की अर्थव्यवस्था रखी जा चुकी थी, लेकिन उस समय अपनी कुशल नीतियों के से, नेतृत्व से देश को संभालना और भारत को बचाए रखना, उसके अनुरूप बैंकिंग और वित्तीय के साथ-साथ आर्थिक नीतियां बनाना, यह महत्वपूर्ण जिम्मेवारी थी. उन्होंने उस जिम्मेवारी को बखूबी निभाया.  

भारत-अमेरिका नाभिकीय समझौता, भारत के इतिहास में मील का पत्थर था. भारत को परमाणु विस्फोट के बाद लगे प्रतिबंधों से उभरना था. साथ ही साथ हमको उस मार्केट में भी जाना था. उसकी भी आधार भूमि बनानी थी. उन्होंने समझौता किया और वामपंथियों द्वारा सरकार से समर्थन वापसी के बावजूद अड़े रहे और उसको पूर्णता तक पहुंचाया, सरकार गिरने का खतरा मोल उठाया, जोखिम मोल लिया. हालांकि, उनकी सरकार बच गई थी, लेकिन प्रतिबद्धता नहीं होती तो वो डर जाते और पीछे हट जा सकते थे. यह देश के प्रति व्यक्ति की प्रतिबद्धता जताता है.

वित्तमंत्री के तौर पर सबसे शानदार 

हालांकि, उनका सबसे बड़ा महत्वपूर्ण योगदान देखा जाए तो 1991 में पीवी नरसिम्हा राव के शासन काल में वित्त मंत्री के रूप में रहा. जब वह आए थे तो हमरा राजकोषीय घाटा 8 प्रतिशत तक पहुंच चुका था. 5.8 अरब डॉलर मात्र हमारा विदेशी मुद्रा कोष था. हम केवल 15 दिनों का निर्यात-भुगतान कर सकते थे. दुनिया में दिवालिया होने की कगार पर थे. विश्व की कोई बैंकिंग संस्था हमको सहयोग के लिए तैयार नहीं थी. उस हालात में बेरोजगारी दर चरम पर थी.  शहरों में 100 लोगों में से 60 लोग बेरोजगार थे. गांव में इससे बुरी स्थिति थी. 

प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर के कार्यकाल में सोना तक गिरवी रखना पड़ा था. उसके पूर्व से ही हालात खराब थे. उस समय पूरी नीतियां बननी और वित्त मंत्री बनने के बाद दिन रात बैठकों का दौर शुरू हुआ. जो नीतियां आई उसने भारत की अर्थव्यवस्था का क्रम बदल दिया. इस तरह से नीतियों और ढांचों की आधार भूमि खड़ी हुई जिस पर आज देश आगे बढ़ा है, जिसे भविष्य की महाशक्ति माना जा रहा है. हर शासन काल की कुछ विफलताएं होती हैं. उनके जीवन की भी थी. वो राज नेता नहीं थे. इस कारण सोनिया गांधी को कांग्रेस प्रधानमंत्री बनाना चाहती थी. देश में तब सोनिया के नाम का विरोध हो गया था. देश भर में आंदोलन होने लगे थे, तब उन्होंने मनमोहन सिंह का नाम आगे किया. उस समय किसी को कल्पना भी नहीं थी.

नियति ने बनाया प्रधानमंत्री

कह सकते हैं कि नियति ने उनको प्रधानमंत्री बनाया लोकिन दस वर्ष तक सरकार चलाने का रिकॉर्ड बनाया. उनकी योग्यता थी, उनमें क्षमता थी. यह सामन्य स्थिति नहीं होती है कि इतने खींचतान के बीच सरकार चलायी जाए. उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया तो वामपंथियों के बारे में उन्होंने टिप्पणी की थी कि वे गुलाम बनाकर रखना चाहते थे. इसका उन पर दबाव रहा होगा. उनको ना बोलने वाला,  कम बोलने वाला, कभी मौनी बाबा भी कहा जाता था. संसद में जब उनकी बहस होती थी वो अत्यंत प्रभावी होती थी. वो शानदार उत्तर देते थे. अपने प्रधानमंत्रित्व काल में पांच पत्रकार वार्ताएं उन्होंने की और पत्रकारों के प्रश्नों का बड़े विस्तार से उत्तर देते थे. 

एक बार आडवाणी ने कहा था कि प्राइम मिनिस्टर इज इनविजिवल तो उन्होंने उत्तर दिया था कि मिस्टर आडवाणी, मेरा काम विजिवल है वो इतिहास में लिखा जाएगा. देखना चाहिए कि इतिहास उनको कैसे याद करेगा? 

सहयोगियों पर दाग लगे

उनकी जो यह पंक्ति थी, "हजारों जबावों से अच्छी खमोशी, ना जाने कितने सवालों की आबरू रख ली"- यह हमेशा ही गूंजेगी क्योंकि वह शांत और स्थिर आदमी थे. विकट परिस्थिति में गुस्से से दूर रहते थे. उनके काल में मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे और उनकी आलोचना भी होती रही थी. कांग्रेस पार्टी के अंदर कई तरह की खींचतान थी, अनेक लॉ भी काम कर रहे थे. इन सब के बीच सरकार को दस वर्ष तक चलाना, स्थिरता बनाए रखना और देश की अर्थव्यवस्था संभालना, देश की विदेश नीति के स्तर पर भारत को ठीक-ठाक रखना, कांग्रेस के प्रथम परिवार के साथ भी संबंध बनाए रखना, योग्य लोगों के चयान करने की कोशिश करते रहना और अपने विरोधियों के विरुद्ध तीखी भाषा ना बोलना, यह सब उनके गुण थे. इस सब के लिए उनको याद किया जाएगा. 

यह कह सकते है कि वित्त मंत्री के रूप में उन्होंने इतिहास का अध्याय लिखा, पूरे भारत की अर्थव्यवस्था का वर्ण-क्रम बदल दिया. वह असाधारण थे क्योंकि कोई कल्पना नहीं कर सकता था कि भारत में लाइसेंस राज, परमिट राज और लालफीताशाही और नौकरशाही का इतना दबाव समाप्त होगा. विदेशी निवेश आएंगे, क्योंकि भारत में आते भी नहीं थे. 

बाजार के लिए उन्होंने उदारीकरण, भूमंडलीकरण और निजीकरण, इन तीन कामों की आधार शिला रखी. उनकी बहुत आलोचना हुई, अनेक आंदोलन चले, देश को गिरवी रखने तक के आरोप लगते थे, लेकिन बाद में लगभग उन्हीं नीतियों  पर थोड़े बहुत बदलाव किए, बाकी चीजें जोड़ी गईं लेकिन उन्हीं नीतियों  पर सरकारें आगे बढ़ी. आधार नीतियों और ढांचों को उन्होंने तैयार किया था.  

उन्होंने इतिहास का अध्यय लिखा और प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने उसे सुदृढ़ किया. राजनेता ना होते हुए भी अपनी कार्यकुशलता और परिश्रम से इतिहास पर अपनी छाप छोड़ी है.

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.]

View More

ओपिनियन

Sponsored Links by Taboola
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h

टॉप हेडलाइंस

'BJP के ऐतिहासिक प्रदर्शन को...', तिरुवनंतपुरम में फहराया भगवा तो शशि थरूर का आया पहला रिएक्शन, जानें क्या कहा?
'BJP के ऐतिहासिक प्रदर्शन को...', तिरुवनंतपुरम में फहराया भगवा तो शशि थरूर का आया पहला रिएक्शन, क्या कहा?
लालू की संपत्ति को लेकर सम्राट चौधरी के बयान से सियासी बवाल, RJD बोली- 'कानून हाथ में लेने की...'
लालू की संपत्ति को लेकर सम्राट चौधरी के बयान से सियासी बवाल, RJD बोली- 'कानून हाथ में लेने की...'
ISI के निशाने पर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, खतरे को देखते हुए सुरक्षा बढ़ाई,  Z+ सिक्योरिटी मिली हुई
ISI के निशाने पर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, खतरे को देखते हुए सुरक्षा बढ़ाई, Z+ सिक्योरिटी मिली हुई
पाकिस्तान की सरेआम बेइज्जती, ICC से खफा हो गया PCB; 2026 टी20 वर्ल्ड कप से जुड़ा है मामला
पाकिस्तान की सरेआम बेइज्जती, ICC से खफा हो गया PCB; 2026 टी20 वर्ल्ड कप से जुड़ा है मामला
ABP Premium

वीडियोज

Commodities Market में Copper की ज़बरदस्त Rally: 35% Jump और $12,000 का Level | Paisa Live
West Bengal Elections: 'महिलाएं रसोई के औजारों के साथ तैयार रहें', जनता को क्यों भड़का रही ममता?
Trump Tariff: टैरिफ के चक्कर में अपने ही देश में घिरे ट्रंप, शुरू हुई बगावत! |ABPLIVE
UP BJP President Live Updates: यूपी का प्रदेश अध्यक्ष कौन? INSIDE STORY!  | ABPLIVE
BJP State President: BJP में खुश की लहर... Pankaj Chaudhary होंगे BJP UP के नए सारथी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
'BJP के ऐतिहासिक प्रदर्शन को...', तिरुवनंतपुरम में फहराया भगवा तो शशि थरूर का आया पहला रिएक्शन, जानें क्या कहा?
'BJP के ऐतिहासिक प्रदर्शन को...', तिरुवनंतपुरम में फहराया भगवा तो शशि थरूर का आया पहला रिएक्शन, क्या कहा?
लालू की संपत्ति को लेकर सम्राट चौधरी के बयान से सियासी बवाल, RJD बोली- 'कानून हाथ में लेने की...'
लालू की संपत्ति को लेकर सम्राट चौधरी के बयान से सियासी बवाल, RJD बोली- 'कानून हाथ में लेने की...'
ISI के निशाने पर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, खतरे को देखते हुए सुरक्षा बढ़ाई,  Z+ सिक्योरिटी मिली हुई
ISI के निशाने पर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, खतरे को देखते हुए सुरक्षा बढ़ाई, Z+ सिक्योरिटी मिली हुई
पाकिस्तान की सरेआम बेइज्जती, ICC से खफा हो गया PCB; 2026 टी20 वर्ल्ड कप से जुड़ा है मामला
पाकिस्तान की सरेआम बेइज्जती, ICC से खफा हो गया PCB; 2026 टी20 वर्ल्ड कप से जुड़ा है मामला
विलेन से पहले कॉमिक रोल्स में खूब चमके 'रहमान डकैत', ओटीटी पर अवेलेबल हैं ये कल्ट मूवीज
विलेन से पहले कॉमिक रोल्स में खूब चमके 'रहमान डकैत', ओटीटी पर अवेलेबल हैं ये कल्ट मूवीज
बिहार कैबिनेट के नए विभागों का हुआ बंटवारा, CM नीतीश कुमार के पास सिविल विमानन की जिम्मेदारी
बिहार कैबिनेट के नए विभागों का हुआ बंटवारा, CM नीतीश कुमार के पास सिविल विमानन की जिम्मेदारी
ब्रिटेन से पाकिस्तान तक पहुंचा H3N2 'सुपर फ्लू' का खतरनाक स्ट्रेन, इससे भारत को कितना खतरा?
ब्रिटेन से पाकिस्तान तक पहुंचा H3N2 'सुपर फ्लू' का खतरनाक स्ट्रेन, इससे भारत को कितना खतरा?
IPL में नौकरी करने के लिए कहां मिलती है डिटेल, कितनी योग्यता होनी बेहद जरूरी?
IPL में नौकरी करने के लिए कहां मिलती है डिटेल, कितनी योग्यता होनी बेहद जरूरी?
Embed widget