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BLOG: धोनी की कौन सी एक गलती पड़ी पूरी टीम पर भारी?
इसे धोनी की रणनीति कहिए, भारतीय खिलाड़ियों पर उनका भरोसा कहिए, जिद कहिए या आदत कहिए रविवार के मैच में उनका एक फैसला हर किसी की आंख में चुभ रहा था. हुआ यूं कि किंग्स इलेवन पंजाब ने टॉस जीतकर 197 रन बनाए. चेन्नई के सामने 198 रनों का लक्ष्य था.
इसे धोनी की रणनीति कहिए, भारतीय खिलाड़ियों पर उनका भरोसा कहिए, जिद कहिए या आदत कहिए रविवार के मैच में उनका एक फैसला हर किसी की आंख में चुभ रहा था. हुआ यूं कि किंग्स इलेवन पंजाब ने टॉस जीतकर 197 रन बनाए. चेन्नई के सामने 198 रनों का लक्ष्य था.
जवाब में चेन्नई को जिस तरह की शुरूआत चाहिए थी, वो मिली नहीं. बीच बीच में विकेट गिरते रहे. पहला विकेट शेन वॉटसन का गिरा, इसके बाद मुरली विजय, बिलिंग्स भी जल्दी आउट हो गए. बिलिंग्स जब आउट हुए तो चेन्नई का स्कोर था 56 रन पर तीन विकेट. इसके बाद धोनी और अंबाती रायडू क्रीज पर आए तो चेन्नई की स्थिति थोड़ी संभली. दोनों ने स्कोर को 13.4 ओवर में 113 रनों तक पहुंचाया.
तभी आर अश्विन की शानदार फील्डिंग और थ्रो की बदौलत अंबाती रायडू रन आउट हो गए. रायडू जब आउट हुए तब मैच में जीत के लिए चेन्नई को 38 गेंद पर 85 रन चाहिए थे. रनों की रफ्तार को बगैर देरी किए बढ़ाने की जरूरत थी. हर किसी को लगा कि अब बल्लेबाजी करने ड्वेन ब्रावो आएंगे लेकिन डगआउट से आए रवींद्र जडेजा. इस फैसले ने हर किसी को चौंकाया. यहां तक कि कॉमेंट्री कर रहे इरफान पठान, आकाश चोपड़ा और आरपी सिंह जैसे खिलाड़ी भी लगातार यही चर्चा कर रहे थे कि जब रनों की रफ्तार बढ़ाने की जरूरत थी तो ड्वेन ब्रावो को बल्लेबाजी के लिए क्यों नहीं बुलाया.
अनुभवी और आक्रामक ब्रावो की अनदेखी
ब्रावो मैच विनर खिलाड़ी हैं. वो आत्मविश्वास से भरे रहते हैं. बल्ले के अलावा वो गेंद से भी चेन्नई के भरोसेमंद खिलाड़ी हैं. वो सीजन में लगातार संभली हुई गेंदबाजी कर रहे हैं. बल्ले से तो वो खैर सुपरहिट रहते ही हैं. भूलना नहीं चाहिए कि इस सीजन में मुंबई इंडियंस के खिलाफ पहले मैच में भी उन्होंने बल्ले से धमाका किया था. सिर्फ 30 गेंद पर 68 रनों की उनकी पारी की बदौलत ही चेन्नई सुपरकिंग्स ने मुंबई इंडियंस को हराया था. उन्हें प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया था.
गेंदबाजी में भी उन्होंने उस मैच में 4 ओवर में सिर्फ 25 रन दिए थे. दूसरे मैच में गेंदबाजी के दौरान वो महंगे साबित हुए. उन्होंने 3 ओवर में 50 रन दे दिए. लेकिन बल्लेबाजी में एक बार फिर उन्होंने 5 गेंद पर 11 रन बनाकर टीम को जीत दिलाई.
इन दोनों मैचों में फिनिशर की भूमिका पर खरे उतरने वाले ड्वेन ब्रावो को अगर रविवार को जडेजा से पहले बल्लेबाजी के लिए बुलाया गया होता तो शायद वो ‘आस्किंग रन रेट’ को काबू में रखते. जडेजा ने बहुत कोशिश की लेकिन वो ऐसा कर नहीं पाए. जडेजा ने 13 गेंद पर 19 रन बनाए. करीब 146 की स्ट्राइक रेट से उन्होंने रन तो जोड़े लेकिन वो रन काफी नहीं थे. रनों की रफ्तार में और आक्रामकता चाहिए थी. जिसे हासिल करने में रवींद्र जडेजा चूक गए.
उनके आउट होने के बाद ड्वेन ब्रावो बल्लेबाजी करने तो आए लेकिन तब तक देर हो चुकी थी. पहली गेंद पर एक रन लेने के बाद उन्होंने स्ट्राइक धोनी को दी, जिन्होंने आखिरी ओवर में एक चौका और एक छक्का लगाया भी लेकिन तीन गेंदों पर कोई रन नहीं बना पाए. इसी वजह से चेन्नई को 4 रन से हार का सामना करना पड़ा. धोनी 44 गेंद पर 79 रन बनाकर नॉट आउट लौटे. ये उनके आईपीएल करियर का सर्वश्रेष्ठ स्कोर है. ये अलग बात है कि इस शानदार पारी के बाद भी वो मैच को ‘फिनिश’ नहीं कर पाए, जो कम ही होता है.
मैच के दौरान चर्चाओं का दौर गरम था
रविवार को कॉमेंट्री के दौरान दो ही चर्चा ज्यादा हो रही थी. एक तो यही कि ड्वेन ब्रावो की जगह धोनी ने जडेजा को बल्लेबाजी के लिए क्यों बुलाया और दूसरी ये कि किंग्स इलेवन पंजाब ने मुजीब उर रहमान से तीन ओवर गेंदबाजी ही क्यों कराई. दरअसल, मुजीब उर रहमान शानदार गेंदबाजी कर रहे हैं. उन्होंने तीन ओवर में सिर्फ 18 रन दिए थे, ऐसे में उनके ओवर का कोटा पूरा ना कराना चौंकाने वाला फैसला था. फर्क बस ये है कि किंग्स इलेवन पंजाब जीत गई इसलिए इस मुद्दे पर ज्यादा चर्चा अब नहीं होगी.
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आनंद कुमार, राजनीतिक विश्लेषक
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