एक्सप्लोरर

मध्य प्रदेश की सियासत: बूझो-बूझो पंडित अमृतवाणी, बरसे कंबल भींजे पानी...

हमें तो अहल-ए-सियासत ने ये बताया है

किसी का तीर किसी की कमान में रखना

-महबूब ज़फ़र

सियासत में कोई स्थाई दोस्त या दुश्मन नहीं होता, यह घिसी-पिटी हुई पंक्ति सियासी समीकरण में हर स्तर पर फिट है, लेकिन हाल के बड़े राजनीतिक हलचलों पर गौर करें तो एक बात खुलकर सामने आ रही है, नेताओं और दलों के दिल मिलने से कार्यकर्ताओं की खटास कम नहीं होती. इस वजह से गले मिलने का निर्णय कई बार गले की हड्डी बन जाता है.

शिवराज के विभीषण वाले बयान का मतलब?

मध्य प्रदेश के सियासी हलचल के बीच सबसे कम शब्दों में बड़ी खबर यह है कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को अलविदा कहकर ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी में शामिल हो गये. शामिल होने के चंद मिनट बाद बीजेपी की तरफ से राज्यसभा उम्मीदवार बनाए गये. बता दें कि करीब दो दशक से चंबल इलाके समेत पूरे एमपी में महाराज बनाम शिवराज का सियासी संघर्ष चलता आ रहा है. अब शिवराज सिंह चौहान ने तारीफ में ही सही ज्योतिरादित्य सिंधिया को विभीषण बताया है. ऐसे राजनीतिक मौकों पर कबीर के व्यंजना याद आते हैं...

बूझो-बूझो पंडित अमृतवाणी

बरसे कंबल भींजे पानी...

खैर.. व्यवहारिक समाज में विभीषण किस रूप में स्थापित हैं, यह बहस का विषय हो सकता है. लेकिन अब सवाल यह है कि जिस प्रभात झा की सियासत महाराज के खिलाफ ही टिकी हुई थी, वह कितना अपना पाएंगे. करीब दो दशक से जमीन पर महाराज और बीजेपी के कार्यकर्ता एक दूसरे से संघर्ष करते आ रहे हैं. क्या इन नेताओं के सियासी संगम से जमीनी कार्यकर्ता अब अपने क्षेत्र को 'सियासी प्रयाग' बना देंगे. यह भविष्य के गर्भ में छुपा लेकिन कड़वा सवाल है.

..जब महज पांच महीने में यूपी ने सियासी सबक दिया?

खैर.. वक्त का पहिया थोड़ा पीछे ले चलिए. यूपी में लोकसभा चुनाव से पहले देश की सियासत को चौंकाने वाला मिलन हुआ. जनवरी में पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचने वाले गठबंधन सपा-बसपा ने जून आते आते अपनी राहें जुदा कर लीं. वजह.. मायावती के उस वक्त के ट्वीट को ध्यान से पढ़ने में छुपा है.

मायावती ने ट्वीट किया था, "बसपा ने प्रदेश में सपा सरकार के दौरान हुए दलित विरोधी फैसलों को दरकिनार कर देशहित में पूरी तरह गठबंधन धर्म निभाया. चुनावों के बाद सपा का व्यवहार सोचने के लिए मजबूर करता है कि क्या ऐसा करके बीजेपी को आगे हरा पाना संभव होगा? जो संभव नहीं है. अतः पार्टी के हित में बसपा आगे होने वाले सभी छोटे-बड़े चुनाव अकेले अपने बूते पर ही लड़ेगी." बता दें कि 1993 में सपा-बसपा ने एकसाथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा और यूपी में सरकार भी बनाई, लेकिन 1995 में गेस्ट हाउस कांड के बाद गठबंधन टूट गया. सिर्फ गठबंधन ही नहीं टूटा.. इस घटना के बाद यूपी में दो जातियों के बीच, दोनों दलों के कार्यकर्ताओं के बीच एक दूसरे के प्रति नफरत ने जन्म लिया. वक्त के साथ दोनों दलों के कार्यकर्ताओं के बीच खाई चौड़ी होती गई. करीब ढ़ाई दशक का यह संघर्ष दो पीढ़ियों की जवानी ने देखा और ढोया... यही वजह थी कि लोकसभा चुनाव 2019 के पहले इन दोनों दलों का गठबंधन महज साढ़े चार महीने चला और धड़ाम से ढह गया.

बिहार में जीत के बाद भी इस वजह से हो गया 'सियासी तलाक'

अब वक्त का पहिया थोड़ा और पीछे ले चलिए.. बाबरी मस्जिद कांड के बाद उस वक्त सियासी दल बीजेपी को राजनीतक अछूत मानते थे. आलम यह था कि शिरोमणी अकाली दल और शिवसेना ही बीजेपी की प्रमुख सहयोगी पार्टी थीं. उस वक्त समता पार्टी जो बाद में जेडीयू बनी, सबसे पहले 1996 में बीजेपी की तरफ आयी. और इस तरह सेक्युलर दलों में बीजेपी के प्रति अछूत की भावना को कम करने की शुरूआत हो गई. करीब 17 साल बाद 16 जून 2013 को नीतीश कुमार ने बीजेपी से नाता तोड़ लिया. इन 17 सालों में बीजेपी के कार्यकर्ता भी नीतीश कुमार को अपना नेता मान चुके थे. नेताओं और कार्यकर्ताओं की एक पूरी पीढ़ी एक साथ पूरे बिहार में साथ साथ मिलकर लालू प्रसाद यादव की पार्टी से सड़क से विधानसभा तक लड़ी. अचानक वक्त करवट लेता है और नीतीश कुमार और लालू यादव गले मिल जाते हैं. चुनाव परिणाम में बंपर जीत होती है. एक बार फिर लालू यादव के सहयोग से नीतीश कुमार सीएम बनते हैं. यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि बीजेपी के कार्यकर्ताओं और आरजेडी में जोरदार द्वंद दशकों से बिहार में चल रहा है. जातीय गोलबंदी को देखें तो बीजेपी की तरफ सवर्णों की और लालू यादव की तरफ पिछड़ों का झुकाव बना रहा. मोटे तौर द्वंद भी इन्हीं के बीच रहा. यहां बीजेपी के साथ गठबंधन के बावजूद नीतीश अपनी छवि को सेक्युलर बनाए रखने में सफल रहे. जिसका फायदा उन्हें मिला. लेकिन यह गले मिलने का दौर भी करीब 20 महीने के बाद दरक गया. और 2017 में नीतीश कुमार फिर अपने पुराने गठबंधन में वापस आते हैं और एक बार फिर सीएम बनते हैं. अर्थात यह भी नहीं चला. हमसफर बने साथियों ने महज 20 महीने बाद सियासी तलाक ले लिया.

अब इसी दौर में जम्मू- कश्मीर में भी एक अप्रत्याशित गठबंधन होता है. पीडीपी और बीजेपी का.. सियासत के दो विपरीत ध्रुव हमसफर बन गए. लेकिन यहां भी रिश्ता 40 महीने बाद टूट गया. लोकतंत्र के मौजूदा स्थिति में वोटर एक नंबर होता है, यह सच है.. लेकिन जमीन पर वोटर भावों से भरा, तमाम गुणों और अवगुणों में एक इंसान होता है.

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)

View More

ओपिनियन

Sponsored Links by Taboola
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h

टॉप हेडलाइंस

गोवा नाइट क्लब के मालिक लूथरा ब्रदर्स को झटका, दिल्ली की कोर्ट ने खारिज कर दी अग्रिम जमानत याचिका
गोवा नाइट क्लब के मालिक लूथरा ब्रदर्स को झटका, दिल्ली की कोर्ट ने खारिज कर दी अग्रिम जमानत याचिका
नकली अंडों की बिक्री पर दिए जांच के आदेश, होगी सख्त कानूनी कार्रवाई
नकली अंडों की बिक्री पर दिए जांच के आदेश, होगी सख्त कानूनी कार्रवाई
आसिम मुनीर के CDF बनते ही एक्शन! ISI के पूर्व चीफ का कोर्ट मार्शल, 14 साल की सजा का ऐलान; इमरान के करीबी थी फैज
आसिम मुनीर के CDF बनते ही एक्शन! ISI के पूर्व चीफ का कोर्ट मार्शल, 14 साल की सजा का ऐलान; इमरान के करीबी थी फैज
T20 World Cup 2026 Tickets: सिर्फ 100 रुपये में टी20 वर्ल्ड कप 2026 का टिकट, कहां से और कैसे करें बुक? जानिए पूरी डिटेल
सिर्फ 100 रुपये में टी20 वर्ल्ड कप 2026 का टिकट, कहां से और कैसे करें बुक? जानिए पूरी डिटेल
ABP Premium

वीडियोज

Paridhi Sharma की Untold Journey: Jodha Akbar Audition, Pankaj Tripathi Moment और Mumbai Struggle की Real Story
3I ATLAS घूमा और खिंच गई फोटो; नई तस्वीर अचंभित करने वाली! | ABPLIVE
Dhurandhar Lyari Real Story Explained: कहानी रहमान डकैत की ल्यारी की, जहां जन्मा असली रहमान डकैत!
BJP Chief New Update: यूपी बीजेपी चीफ का नाम तय, जानिए कौन होगा नया चेहरा? |ABPLIVE
Who is Real Rehman Dakait: कौन था रहमान डकैत... जानिए इस गैंगस्टर की असली कहानी! |ABPLIVE

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
गोवा नाइट क्लब के मालिक लूथरा ब्रदर्स को झटका, दिल्ली की कोर्ट ने खारिज कर दी अग्रिम जमानत याचिका
गोवा नाइट क्लब के मालिक लूथरा ब्रदर्स को झटका, दिल्ली की कोर्ट ने खारिज कर दी अग्रिम जमानत याचिका
नकली अंडों की बिक्री पर दिए जांच के आदेश, होगी सख्त कानूनी कार्रवाई
नकली अंडों की बिक्री पर दिए जांच के आदेश, होगी सख्त कानूनी कार्रवाई
आसिम मुनीर के CDF बनते ही एक्शन! ISI के पूर्व चीफ का कोर्ट मार्शल, 14 साल की सजा का ऐलान; इमरान के करीबी थी फैज
आसिम मुनीर के CDF बनते ही एक्शन! ISI के पूर्व चीफ का कोर्ट मार्शल, 14 साल की सजा का ऐलान; इमरान के करीबी थी फैज
T20 World Cup 2026 Tickets: सिर्फ 100 रुपये में टी20 वर्ल्ड कप 2026 का टिकट, कहां से और कैसे करें बुक? जानिए पूरी डिटेल
सिर्फ 100 रुपये में टी20 वर्ल्ड कप 2026 का टिकट, कहां से और कैसे करें बुक? जानिए पूरी डिटेल
न्यू ईयर पर दिखना है ग्लैमरस? अनन्या पांडे के ये 10 स्टनिंग लुक्स हैं परफेक्ट पार्टी इंस्पिरेशन
न्यू ईयर पर दिखना है ग्लैमरस? अनन्या पांडे के ये 10 स्टनिंग लुक्स हैं परफेक्ट पार्टी इंस्पिरेशन
Indigo Flight Cancellation: इंडिगो का बड़ा ऐलान! जिनकी फ्लाइट रद्द हुई, उन्हें मिलेगा 10,000 रुपये का मुआवजा
इंडिगो का बड़ा ऐलान! जिनकी फ्लाइट रद्द हुई, उन्हें मिलेगा 10,000 रुपये का मुआवजा
ये गोवा इफेक्ट है बीड़ू... Indigo की फ्लाइट लेट हुई तो एयरपोर्ट पर ही गरबा करने लगे पैसेंजर्स, एयरलाइन स्टाफ ने भी लगाए ठुमके
ये गोवा इफेक्ट है बीड़ू... Indigo की फ्लाइट लेट हुई तो एयरपोर्ट पर ही गरबा करने लगे पैसेंजर्स, एयरलाइन स्टाफ ने भी लगाए ठुमके
PCOS से जूझ रहीं महिलाएं सर्दियों में नहीं होंगी परेशान, ये टिप्स आएंगे आपके काम
PCOS से जूझ रहीं महिलाएं सर्दियों में नहीं होंगी परेशान, ये टिप्स आएंगे आपके काम
Embed widget