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रोहिंग्या मुसलमानों पर दिया बयान आखिर क्यों बन गया सरकार के गले की फांस?

पिछले सवा आठ साल में ऐसा पहली बार देखने को मिला है, जब मोदी सरकार के दो मंत्रालयों के बीच न सिर्फ तालमेल की कमी उज़ागर हुई बल्कि गृह मंत्रालय को अपने ही एक मंत्री के दिये बयान को ख़ारिज करने पर मजबूर भी होना पड़ा. मंत्री के दिये एक बयान ने ऐसा बवाल मचा दिया है कि केंद्र सरकार को जहां अपनी सफाई देनी पड़ी है, तो वहीं दिल्ली की केजरीवाल सरकार केंद्र के खिलाफ पूरी ताकत से हमलावर हो गई है.

चूंकि मामला रोहिंग्या मुसलमानों से जुड़ा है, जो संघ व बीजेपी के लिए सबसे ज्यादा संवेदनशील मुद्दा है. सवाल ये उठ रहा है कि केंद्रीय आवास व शहरी कार्य मंत्री हरदीप पुरी ने उन्हें फ्लैट देने व सुरक्षा मुहैया कराने का बयान क्या अपनी मर्जी से दे दिया या फिर इसके जरिये दिल्ली के सियासी माहौल को भांपने की कोशिश की गई? विवाद होते ही गृह मंत्रालय मैदान में कूद पड़ा और उसने हरदीप पूरी के बयान से पल्ला झाड़ते हुए सारा ठीकरा दिल्ली की केजरीवाल सरकार के सिर फोड़ डाला कि वह रोहिंग्या मुस्लिमों को डिटेंशन सेन्टर में न रखे.

दरअसल, ये सारा विवाद शुरु हुआ बुधवार की दोपहर में जब केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने अपने एक ट्वीट में कहा, ‘‘भारत ने हमेशा उन लोगों का स्वागत किया है जिन्होंने देश में शरण मांगी. एक ऐतिहासिक फैसले में सभी रोहिंग्या शरणार्थियों को दिल्ली के बक्करवाला इलाके में स्थित फ्लैट में स्थानांतरित किया जाएगा. उन्हें मूलभूत सुविधाएं यूएनएचसीआर (शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त की ओर से जारी) परिचय पत्र और दिल्ली पुलिस की चौबीसों घंटे सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी.’’

उनके इस ट्वीट के महज चंद घंटे के भीतर ही संघ से लेकर विश्व हिंदू परिषद के नेताओं ने अपनी नाराजगी ज़ाहिर करते हुए सरकार में बैठे हुक्मरानों तक ये संदेश पहुंचा दिया कि वो ऐसा बेतुका फैसला आख़िर कैसे ले सकते हैं, जो लाखों लोगों की जिंदगी को खतरे में डाल देगा. हरदीप पूरी ने अपने ट्वीट में लिखा था कि ये एक ऐतिहासिक फैसला है. जाहिर-सी बात है कि ऐसा अहम फैसला कोई मंत्री अपने स्तर पर तो ले नहीं सकता, इसलिये कहा जा रहा है कि सरकार के शीर्ष स्तर पर ही ये निर्णय हुआ लेकिन संघ व उससे जुड़े तमाम हिन्दू संगठनों के भारी विरोध के बाद इसे वापस लेना पड़ा.

लेकिन इसके लिए सरकार ने अपने ही एक केंद्रीय मंत्री को झूठा ठहराते हुए अपने इकबाल पर एक बड़ा सवालिया निशान लगा लिया है. इसे सरकार का जरुरत से ज्यादा आत्मविश्वास कहें या फिर उसकी भयंकर चूक लेकिन सच तो ये है कि विपक्ष को बैठे-बिठाए सरकार ने अपने खिलाफ हमलावर होने का एक बड़ा मुद्दा दे दिया है.

किसी भी सरकार में ऐसा शायद ही कभी हुआ हो कि एक मंत्री के दिये ऐसे महत्वपूर्ण बयान का खंडन करने के लिए किसी दूसरे मंत्रालय को मैदान में कूदकर सफाई देते हुए सरकार का रुख साफ करना पड़े. हरदीप पूरी के ट्वीट से उठे विवाद की गंभीरता को देख सरकार की तरफ से गृह मंत्रालय को जिम्मा सौंपा गया कि अब वह इस आग पर पानी डालने का काम करे.

चंद घंटों के भीतर ही गृह मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया, ‘‘अवैध विदेशी रोहिंग्याओं के संबंध में मीडिया के कुछ वर्गों में आये समाचार के संबंध में, यह स्पष्ट किया जाता है कि गृह मंत्रालय ने दिल्ली के बक्करवाला में रोहिंग्या मुसलमानों को ईडब्ल्यूएस फ्लैट प्रदान करने का कोई निर्देश नहीं दिया है. साथ ही, अरविंद केजरीवाल सरकार से अवैध विदेशियों को उनके मौजूदा स्थान पर ही रखा जाना सुनिश्चित करने को कहा जाता है.’’

दरअसल, दिल्ली में रहने वाले रोहिंग्या मुस्लिमों को EWS फ्लैट में बसाने का फैसला तो सरकार के शीर्ष स्तर पर लिया गया था लेकिन इसकी जानकारी हरदीप पुरी ने अपने ट्वीट के जरिये दी, इसलिए उन्हें हिन्दू संगठनों के निशाने पर आने में ज्यादा देर नहीं लगी.

विश्व हिंदू परिषद ने हरदीप पुरी की आलोचना करते हुए अपने बयान में कहा है कि सरकार रोहिंग्या लोगों को आवास देने के बजाए उन्हें देश से बाहर करे. वीएचपी के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा, "हम श्री पुरी को केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह के बयान की याद दिलाना चाहते हैं. उन्होंने 10 दिसंबर, 2020 को संसद में घोषणा की थी कि रोहिंग्या को भारत में कभी स्वीकार नहीं किया जाएगा."

दरअसल, भारत के पड़ोसी देश म्यांमार में उत्पीड़न और शोषण के शिकार हज़ारों रोहिंग्या लोग अपने देश से जान बचाकर भारत आए हैं और वे देश के अलग-अलग हिस्सों में रह रहे हैं. लेकिन बीजेपी और हिंदूवादी संगठन भारत में रोहिंग्या लोगों की मौजूदगी का शुरु से ही विरोध करते रहे हैं. याद दिला दें कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने भारत में रोहिंग्या लोगों की मौजूदगी को एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया था. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपने चुनावी भाषणों में कहा था कि हम भारत के किसी भी हिस्से में रोहिंग्या लोगों को रहने नहीं देंगे. इसी साल फ़रवरी में उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले अमित शाह ने एक रैली में कहा था कि कांग्रेस रोहिंग्या मुसलमानों को उत्तराखंड में बसाने में मदद कर रही है.

संघ व बीजेपी के एजेंडे वाले इस बेहद संवेदनशील मामले में सरकार में कहां व किस स्तर पर चूक हुई, ये तो वही जानती है लेकिन दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने इस मसले पर मोदी सरकार को घेरने में जरा भी देर नहीं लगाई. आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता व विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा, ‘केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी की घोषणा के साथ ही, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार आज बेनकाब हो गई है. यह राष्ट्रीय सुरक्षा और दिल्लीवासियों के लिए भी एक बड़ा खतरा है. हम देशवासी और दिल्लीवासी, कम से कम उन्हें यहां किसी भी कीमत पर बसने नहीं देंगे. केंद्र सरकार चाहे कुछ भी करे, हम सरकार को उन्हें फ्लैट आवंटित नहीं करने देंगे.’

अब सवाल ये है कि केंद्रीय मंत्री पुरी का बयान वाकई किसी ऐतिहासिक फैसले की घोषणा करना था या फिर देश की राजधानी में यह नया सियासी प्रयोग करने की कोई कवायद थी ?

नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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