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लोकसभा चुनाव परिणाम 2024

UTTAR PRADESH (80)
43
INDIA
36
NDA
01
OTH
MAHARASHTRA (48)
30
INDIA
17
NDA
01
OTH
WEST BENGAL (42)
29
TMC
12
BJP
01
INC
BIHAR (40)
30
NDA
09
INDIA
01
OTH
TAMIL NADU (39)
39
DMK+
00
AIADMK+
00
BJP+
00
NTK
KARNATAKA (28)
19
NDA
09
INC
00
OTH
MADHYA PRADESH (29)
29
BJP
00
INDIA
00
OTH
RAJASTHAN (25)
14
BJP
11
INDIA
00
OTH
DELHI (07)
07
NDA
00
INDIA
00
OTH
HARYANA (10)
05
INDIA
05
BJP
00
OTH
GUJARAT (26)
25
BJP
01
INDIA
00
OTH
(Source: ECI / CVoter)

हिमाचल में कांग्रेस सरकार बची पर इकबाल नहीं

हिमाचल प्रदेश के राज्यसभा चुनाव में 6 कांग्रेस विधायकों के बीजेपी उम्मीदवार हर्ष महाजन के लिए वोट करने से संकट में आई कांग्रेस राज्य सरकार पर फिलहाल काले बादल छंटते दिखाई दे रहें हैं. हिमाचल प्रदेश विधानसभा में बजट पास हो गया है और सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल तक स्थगित कर दी गई है, जो कांग्रेस की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार के लिए बहुत बड़ी राहत है.

हिमाचल प्रदेश के राज्यसभा की एक सीट के लिए 27 फरवरी को चुनाव हुआ. कांग्रेस ने अपने कानूनी पहलू संभालने वाले तारणहार अभिषेक मनु सिंघवी को उम्मीदवार बनाया. दरअसल 68 सीटों वाली हिमाचल विधानसभा में राज्यसभा का चुनाव जीतने के लिए 35 वोटों की जरूरत थी. कांग्रेस के पास 40 विधायक हैं और बीजेपी के पास 25. राज्य में तीन विधायक निर्दलीय भी कांग्रेस को समर्थन देते हैं. कांग्रेस नेतत्व को विश्वास था कि उनका उम्मीदवार आसानी से जीत जायेगा. कांग्रेस विधायकों और समर्थकों में इस बात को लेकर नाराजगी यहीं से शुरु हो गई. उन्हें बाहर से थोपे गए अभिषेक मनु सिंघवी रास नहीं आ रहे थे, लेकिन कांग्रेस नेतृत्व ने इस नाराज़गी को नजरअंदाज कर अभिषेक मनु सिंघवी को उम्मीदवार बनाए रखा. वही हुआ, जिसका डर था यानी क्रॉस वोटिंग.

बीजेपी के लिए क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायक

छह कांग्रेस विधायकों जिन्होने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के पक्ष में वोट किया उनमें धर्मशाला के विधायक सुधीर शर्मा, सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा, कुटलैहड़ के विधायक देवेंद्र भुट्टो, गगरेट के विधायक चैतन्य शर्मा, लाहौल स्पीति के विधायक रवि ठाकुर और बड़सर के विधायक इंद्र दत्त लखनपाल शामिल हैं.

दिलचस्प रहा पूरा चुनाव

ये साफ था कि बीजेपी ने शुरु में हिमाचल में कांग्रेस के साफ बहुमत को देखते हुए उम्मीदवार उतारने का कोई मन नहीं बनाया था. लेकिन जिस तरह से कांग्रेस उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी को लेकर उन्ही की पार्टी में टूट दिखाई दी, इसी को भांपते हुए बीजेपी ने कांग्रेस के कद्दावर नेता, पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के दाहिने हाथ रहे और अब बीजेपी में शामिल हो चुके हर्ष महाजन को मैदान में उतार दिया. चुनाव के दिन कांग्रेस के 6 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर दी साथ ही तीन निर्दलीय विधायकों ने भी बीजेपी के उम्मीदवार हर्ष महाजन को वोट दे दिया. इस तरह से बीजेपी उम्मीदवार हर्ष महाजन को 34 वोट मिले. कांग्रेस के उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी को भी 34 वोट ही मिले. टाई होने के बाद ‘ड्रा ऑफ लॉट्स’ हुआ. ये समझना जरुरी है कि ये क्या और कैसे होता है. क्योंकि राज्यसभा चुनाव में देश में पहली बार ‘ड्रा ऑफ लॉट्स’ या पर्ची निकालकर फैसला किया गया जिसमें बीजेपी के हर्ष महाजन की जीत हुई.

क्या होता है ड्रा ऑफ लॉट्स

हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा चुनाव में मुकाबला टाई होने के बाद मुख्य चुनाव अधिकारी मनीष गर्ग ने वोटों की संख्या बराबर होने पर लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के अनुच्छेद 102 और निर्वाचनों के संचालन नियम, 1961 के नियम 75 और 81 के मुताबिक 'ड्रॉ ऑफ लॉट्स' की प्रक्रिया अपनाई. जिसमें कांग्रेस उम्मीदवार की पर्ची निकली और भाजपा प्रत्याशी हर्ष महाजन को जीता हुआ मान लिया गया. ये समझना भी जरुरी है कि इस प्रक्रिया में राज्यसभा और लोकसभा के चुनाव लिए 'ड्रॉ ऑफ लॉट्स' के नियम अलग अलग हैं. राज्यसभा चुनाव में जिस उम्मीदवार के नाम की पर्ची निकलती है उसे हारा हुआ माना जाता है. वहीं लोकसभा के चुनाव में जिस उम्मीदवार के नाम की पर्ची निकलती है उसे एक वोट ज्यादा मिला हुआ मान कर जीता हुआ माना जाता है.

कैसे गहराता गया कांग्रेस सरकार पर संकट

असल में हिमाचल प्रदेश में इन दिनों विधानसभा का बजट सत्र चल रहा था और कांग्रेस को इस सत्र में बजट पास करवाना था. ऐसे में राज्यसभा सीट का नतीजा औपचारिक रूप से घोषित होने से पहले ही मंगलवार को बीजेपी द्वारा सुखविंदर सिंह सुक्खू की 14 महीने पुरानी सरकारी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की चर्चा तेज हो गई थी. बुधवार सुबह तड़के नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने बीजेपी के विधायक दल के साथ राज्यपाल से मुलाक़ात कर सदन में बजट के लिए डिवीज़न ऑफ वोट की मांग की. उधर कांग्रेस के क्रॉस वोटिगं करने वाले विधायक वोटिंग के बाद तीन निर्दलीय विधायकों सहित पंचकूला में पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस पहुंच गए और उनमें से कुछ ने दावा किया कि वो बीजेपी के साथ हैं और कई अन्य कांग्रेस विधायक भी उनके संपर्क में हैं. ये भी बात सामने आने लगी कि कांग्रेस के 20 से ज़्यादा विधायक सुखविंदर सिंह सुक्खू के मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के खिलाफ हैं.

बात यहीं खत्म नहीं हुई हिमाचल प्रदेश के लोक निर्माण विभाग मंत्री व पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह ने बुधवार को प्रेस को बुलाकर लोक निर्माण विभाग मंत्री पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर दी. उन्होने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पर अनदेखी और विधायकों की बेज़्जती के आरोप लगाए. विक्रमादित्य सिंह हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे हैं और शिमला (ग्रामीण) से विधायक हैं. विक्रमादित्य सिंह की घोषणा से पार्टी में असंतोष खुलकर सामने आ गया. ऐसे में अपनी सरकार को गिरने से बचाने की खातिर कांग्रेस को अपने विधायकों को एकजुट रखने के लिए प्रत्यक्ष तौर पर काफी मशक्कत करनी पड़ी. सरकार पर संकट गहराया देख कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने हिमाचल प्रदेश सरकार पर आए संकट के बीच बुधवार को ही हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा, छत्तीसगढ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश भगेल और कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को पार्टी विधायकों से बात करके समाधान निकालने के लिए शिमला रवाना कर दिया.

फिलहाल कैसे टला संकट

कांग्रेस को पूरी आशंका थी कि बीजेपी जिस तरह से राज्यपाल से मुलाक़ात के बाद सदन में बजट के लिए डिवीज़न ऑफ वोट की मांग कर रही है कहीं सरकार का ये वित्त विधेयक गिर न जाये. ऐसे में स्पीकर कुलदीप पठानिया ने बजट सत्र के दौरान जयराम ठाकुर समेत बीजेपी के 15 विधायकों को सस्पेंड कर दिया. स्पीकर ने सदन की कार्यवाही के दौरान उनके साथ बदसलूकी और गाली गलौज का आरोप लगाते हुए बीजेपी विधायकों को सस्पेंड किया. इससे पहले, स्पीकर ने राज्यपाल से भी मुलाकात की थी. सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विक्रमादित्य सिंह से बात की और कांग्रेस आलाकमान की भेजी टीम ने भी उनसे बात की है और फिलहाल उन्होने अपना इस्तीफा वापस लेने पर सहमती जताई है. साथ ही शिमला पहुंची कांग्रेस आलाकमान की टीम ने क्रॉस वोटिंग के खिलाफ कारवाई न करने का मन बनाया है. प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है, हम तो सबको माफ करने वाले लोग हैं, हम बदले की भावना नहीं रखते हैं. सभी हमारे छोटे भाई हैं. हमारी सरकार 5 साल पूरे करेगी.

हिमाचल में अब आगे क्या?

कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की टीम से बैठक के बाद हिमाचल प्रदेश में अब दो स्थिति बनती दिखाई दे रही है. पहली कांग्रेस सत्ता में बनी रहेगी. दूसरी स्थिति कांग्रेस की सरकार जाएगी लेकिन अभी नहीं. क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायक अभी भी कांग्रेस में ही हैं यानी कांग्रेस के पास 40 विधायक हैं. लेकिन उसके 6 विधायकों ने बीजेपी के लिए क्रॉस वोटिंग कर अपनी मंशा जाहिर कर दी है. 68 सीटों वाली विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 35 है. क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायक अभी भी कांग्रेस में ही हैं. अगर ये 6 विधायक पाला बदलते हैं, तो इनकी सदस्यता चली जाएगी. ऐसे में विधानसभा में सदस्यों की संख्या 62 हो जाएगी. उसके बाद भी कांग्रेस के पास 34 भी कांग्रेस के पास 34 विधायक होंगे ही. ऐसे में अगर बीजेपी फ्लोर टेस्ट की मांग करती है, तो हो सकता है कि राज्यसभा चुनाव जैसी ही स्थिति बने और सुक्खू सरकार को इसका नुकसान उठाना पड़े बहरहाल, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू बागी विधायकों की वापसी की बात कह रहे हैं. लेकिन इन बागियों की नाराजगी खत्म होती है या नहीं, ये कुछ दिनों में ही साफ हो जाएगा.

वहीं हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंहहुड्डा, छत्तीसगढ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश भगेल और कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार दो भाग में कांग्रेस अलाकमान को अपनी रिपोर्ट सौंपेगें. जिसमे एक क्रॉस वोटिंग पर तो दूसरी हिमाचल में कांग्रेस सरकार पर आगे के कदमों पर होगी. इसके बाद ही अब आगे हिमाचल में कांग्रेस में किसी भी बदलाव परस्थिति साफ हो पायेगी. कांग्रेस की सरकार तो फिलहाल बच गई लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में हिमाचल प्रदेश और देश की जनता में ये साफ हो गया कि कांग्रेस का पूरा घर टूट फूट गया है. इज़्जत की धज्जिंया उडी सो अलग. आने वोले लोकसभा चुनावों में हिमाचल प्रदेश की जनता के लिए इस घटना के बाद कांग्रेस पर विश्वास करना कितना संभव होगा इसका अंदाज़ा आप खुद लगा सकते हैं.

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.]

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