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BLOG: मोदी सरकार 2 के सामने ये है बड़ी चुनौतियां, इसे पूरे करके ही होगा जनादेश का सम्मान

अपने दूसरे कार्यकाल के लिए नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने 30 मई, 2019 की शाम भारत के नए प्रधानमंत्री पद के रूप में शपथ ली. पीएम मोदी जानते हैं कि अगर देश के करोड़ों मतदाताओं ने उनकी कार्यशैली और योजनाओं पर अपनी मुहर लगाई है, तो आगे उनकी अपेक्षाओं पर खरा उतरना एक बहुत बड़ी चुनौती होगी, इसीलिए मंत्रिमंडल में परिणाम देने वाले नेताओं के साथ-साथ टेक्नोक्रैट, कृषि-विशेषज्ञ, कलाकार और एकेडमीशियन को पीएम मोदी ने शामिल किया है.

अपने दूसरे कार्यकाल के लिए नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने 30 मई, 2019 की शाम भारत के नए प्रधानमंत्री पद के रूप में शपथ ली. मंत्रिमंडल के गठन को देखते हुए कहा जा सकता है कि इसमें अनुभव, विशेषज्ञता और उच्च प्रदर्शन के साथ-साथ उन्होंने अपने मन में निर्धारित किए गए लक्ष्यों को पूरा करने की भूख रखने वालों का खास ख्याल रखा है. पीएम मोदी जानते हैं कि अगर देश के करोड़ों मतदाताओं ने उनकी कार्यशैली और योजनाओं पर अपनी मुहर लगाई है, तो आगे उनकी अपेक्षाओं पर खरा उतरना अपने आपमें एक बहुत बड़ी चुनौती होगी, इसीलिए मंत्रिमंडल में परिणाम देने वाले नेताओं के साथ-साथ टेक्नोक्रैट, कृषि-विशेषज्ञ, कलाकार और एकेडमीशियन भी शामिल किए गए हैं.

अर्थव्यवस्था को सुधारना बड़ी जिम्मेदारी

देश की अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करने वाले वित्त मंत्रालय के सामने वित्तीय संकट से जूझ रहे बैंकों को मजबूत करने की चुनौती है. उसे सिस्टम में ज्यादा से ज्यादा नकदी उपलब्ध कराने के तरीकों पर फैसला करना होगा और राजकोषीय घाटा संतुलित करते हुए जीडीपी की विकास दर में तेजी लानी होगी. लंबित रणनीतिक विनिवेश को फिर से शुरू करना होगा और हाई प्रोफाइल टैक्स चोरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी होगी. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय को देश में व्यापार करना आसान बनाने वाले भरोसेमंद कदम उठाने होंगे, साथ ही साथ घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए आयात शुल्क में कमी लानी होगी. स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए स्टार्टअप के नियमों को सरल बनाना होगा. कृषि मंत्रालय को स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करने और किसानों की आय दुगुनी करने का लक्ष्य पाना होगा.

दूरसंचार क्षेत्र की चुनौतियां

इसी तरह दूरसंचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सामने सबसे पहले दूरसंचार क्षेत्र की सेहत पर ध्यान देने और सरकारी दूरसंचार कंपनियों बीएसएनएल और एमटीएनएल की मुश्किलें दूर करने की चुनौती होगी. दुनिया के साथ कदम मिलाकर चलने और नए और आधुनिक भारत का निर्माण करने हेतु उसे हाई स्पीड ब्रॉडबैंक और इंटरनेट नेटवर्क के काम में तेजी लानी पड़ेगी और 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी का तत्काल प्रबंध करना होगा. रेल मंत्रालय को चाहिए कि यात्रियों की बढ़ती संख्या और माल ढुलाई की मात्रा को देखते हुए वह बिना देरी किए डेडीकेटेड फ्रेट और हाई-स्पीड कॉरिडोर बनाकर अपनी क्षमता में बढ़ोतरी करे. यात्रियों की संतुष्टि के लिए सुरक्षा को प्राथमिकता देने के साथ-साथ उसे आधुनिक वाई-फाई समेत पोषणयुक्त भोजन और गुणवत्तापूर्ण स्वच्छता सेवाएं प्रदान करने की दिशा में जुटना होगा. सांख्यिकी मंत्रालय को सरकारी आंकड़े अधिक से अधिक विश्वसनीय बनाना चाहिए और शीघ्रातिशीघ्र उसे नेशनल स्टैटिस्टिक्स कमीशन की स्थापना करनी चाहिए. वह आर्थिक आधार पर जनगणना का काम भी प्रारंभ कर सकता है, जो आगामी योजनाओं की संकल्पनाओं और उनके अमल का आधार बन सकती है.

एयर इंडिया मुश्किल में

नागरिक उड्डयन मंत्रालय को एयर इंडिया संकट का समाधान निकालने में तत्काल लग जाना चाहिए. उसे जेट एयरवेज जैसे संकट से भी निबटना होगा. इसके साथ-साथ घरेलू उड़ानों और यात्रियों की संख्या बढ़ाने के उपाय भी खोजने होंगे. इसके लिए सर्वप्रथम उसे एयरपोर्ट और एटीसी की क्षमता में व्यापक विस्तार करना होगा. पेट्रोलियम मंत्रालय को ईरान पर अमेरिकी पाबंदी के बाद पर्याप्त मात्रा में तेल की आपूर्ति सुनिश्चित करना होगा ताकि कीमतों पर नियंत्रण बनाए रखा जा सके. इसके साथ-साथ मंत्रालय को घरेलू तेल और गैस क्षेत्रों की खोज में तेजी लानी होगी ताकि आत्मनिर्भरता बढ़ सके. ऊर्जा मंत्रालय और कोयला और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय को कंधे से कंधा मिलाकर निवेशकों और उपभोक्ताओं के मन में नवीकरणीय ऊर्जा के प्रति भरोसा पैदा करना होगा और बंद पड़े बिजली संयंत्रों को चालू करके कोयले के उत्पादन और आपूर्ति में वृद्धि करनी होगी.

इन समस्याओं का ढूंढना होगा समाधान

केंद्रीय गृह और विदेश मंत्रालय को आंतरिक और बाह्य सुरक्षा सुदृढ़ व सुनिश्चित करने के लिए एकरस होकर काम करना होगा ताकि भारत के राष्ट्रीय हितों की अनदेखी न होने पाए. पीएम मोदी इन आसन्न चुनौतियों और लक्ष्यों से भली-भांति वाकिफ हैं. इसीलिए उन्होंने तमाम कयासों से परे विभिन्न विभागों के मंत्री चुने हैं. वे प्रचंड जीत के नशे का नफा-नुकसान भी समझते हैं. इसीलिए दूसरे कार्यकाल का श्रीगणेश करने से पूर्व उन्होंने संसद के सेंट्रल हॉल में नवनिर्वाचित एनडीए सांसदों को संबोधित करते हुए यह स्पष्ट करने की कोशिश की थी कि अगर सेवा भाव चला गया तो मतदाता अपने दिल से दूर कर देंगे. इसलिए अब पीएम मोदी को सबसे पहले जिन मोर्चों पर डटना है, उनमें शामिल हैं युवा, महिला, दलित, आदिवासी और किसान-मजदूर वर्ग की मुश्किलों का हल खोजना. क्योंकि इन्हीं वर्गों ने पीएम मोदी पर अपना अटूट विश्वास जाहिर किया है. खुद सरकारी आंकड़े बता रहे हैं कि बेरोजगारी की दर पिछले 45 सालों के उच्चतम स्तर पर है. कुछ रिपोर्ट में कहा गया कि 2016 में हुई नोटबंदी और 2017 के जीएसटी रोलआउट के साइड इफेक्ट के रूप में 2018 में करीब 1.1 करोड़ नौकरियां खत्म हो गईं. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एनपीए दिसंबर 2018 के अंत में 8 ट्रिलियन रुपये से अधिक रहा. महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा और लैंगिक अत्याचार थमने का नाम नहीं ले रहे हैं, दलितों को निचली पायदान पर बिठाए रखने के उपक्रम चल रहे हैं, किसान आत्महत्या भी थमने का नाम नहीं ले रही है. ऐसे में मोदी सरकार के एजेंडे में इन वर्गों की चिंताओं का समाधान निकालना सर्वोपरि होगा.

इस बार सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास का नारा

पीएम मोदी के बदले हुए रुख में एक सकारात्मक बात यह भी है कि उन्होंने अल्पसंख्यकों का विश्वास जीतने की जरूरत बताई है और अपने सांसदों से कहा है कि अल्पसंख्यकों को कथित भय के छल से निकालकर उन्हें साथ लेकर चलना होगा. सबका साथ सबका विकास के नारे में इस बार उन्होंने सबका विश्वास भी जोड़ दिया है. लेकिन इसके साथ-साथ पीएम मोदी को सरकारी योजनाओं के जरिए अल्पसंख्यकों की शिक्षा और रोजगार की समस्याएं भी हल करनी होगी. तभी इस नारे की कोई सार्थकता दिखेगी और लोगों का विश्वास हासिल होगा. उन्हें शिक्षा के तीर्थों को भी बाहरी राजनीतिक दबावों से मुक्त करना होगा. एक स्थिर सरकार लेकर आए नरेंद्र मोदी ने जिस तरह सेंट्रल हॉल में संविधान के सामने और शपथ ग्रहण के बाद महात्मा गांधी की प्रतिमा और वॉर मेमोरियल पर सिर झुकाया वह कड़ा संदेश देता है कि भारत राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए संविधान के आदर्शों और राष्ट्रपिता के पदचिह्नों पर ही चलेगा. और अगर नहीं चलेगा तो हाथी के दांत खाने के और दिखाने के और वाली कहावत ही सिद्ध होगी.

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)

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