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विदेशों में बैठे भारतीय भी चुन सकेंगे अब अपना मनपसंद विधायक-सांसद
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दुनिया के 114 देशों में बसे एक करोड़ से ज्यादा अप्रवासी भारतीय नागरिक (NRI) भी अब वहां बैठे ही भारत में अपना मनपसंद विधायक और सांसद चुन सकेंगे. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि NRI के अलावा उन लोगों को भी वोट देने का अधिकार दिया जायेगा जो देश में रहते हुए ही अपने राज्य से बाहर काम कर रहे हैं.
सरकार के इस फैसले को एक बेहतरीन कदम के रुप में देखा जा रहा है, इसलिये कि इससे लोकतंत्र के उत्सव में लोगों की भागीदारी और ज्यादा बढ़ेगी. वैसे भी हमारे देश में ऐसे प्रवासी मजदूरों की बहुत बड़ी संख्या है, जो किसी दूसरे राज्य में काम करने की मजबूरी के चलते सिर्फ वोट देने के लिए ही पैसा खर्च करके अपने शहर नहीं जा पाते. अब उन सभी को मतदान का अधिकार मिल जाने से बिहार व पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों की कई सीटों पर राजनीतिक समीकरण भी बदलने के आसार हैं क्योंकि इन्हीं दो राज्यों से ही सबसे ज्यादा मजदूर अन्य राज्यों में जाकर काम कर रहे हैं.
दरअसल, पिछले नौ साल से सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका लंबित थी जिसमें मांग की गई थी कि भारत से बाहर रह रहे नागरिकों को मतदान का अधिकार दिया जाए. केरल प्रवासी संघ की तरफ से दायर इस याचिका में अनिवासी भारतीयों (NRI) को वोटिंग के दिन मतदान केंद्रों पर शारीरिक तौर पर उपस्थिति में छूट देने की मांग की गई थी. साथ ही कहा गया कि रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट 1950 के सेक्शन-20ए के तहत उन्हें उनके निवास स्थान या ऑफिस से ही मताधिकार की अनुमति दी जाये.
याचिका में कोर्ट से गुहार लगाई गई थी कि इसके लिए सरकार और चुनाव आयोग को निर्देश दिए जाएं. बीती 17 अगस्त को इस याचिका की सुनवाई के दौरान तत्कालीन चीफ जस्टिस एनवी रमना की अगुवाई वाली बेंच ने केंद्र और चुनाव आयोग को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा था कि इसके लिये क्या इंतज़ाम किये जा रहे हैं.
सरकार की तरफ से दिए गए आश्वासन के बाद मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने उस लंबित याचिका की सुनवाई बंद कर दी है. कोर्ट ने कहा है कि "2013 में दाखिल इस याचिका में रखी गई मांग से सरकार और चुनाव आयोग सहमत हैं. ऐसे में कोर्ट इसका इंतजार नहीं कर सकता कि NRI वोटिंग शुरू होने तक सुनवाई जारी रखें".
केंद्र सरकार की तरफ से पेश अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने कहा कि न सिर्फ NRI भारतीयों को बल्कि भारत में ही अपने राज्य से बाहर काम कर रहे लोगों को भी मतदान का मौका दिया जाएगा. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग पर भी विचार चल रहा है. ऐसी व्यवस्था बनाई जाएगी जिससे चुनाव प्रक्रिया की गोपनीयता प्रभावित न हो सके. कोर्ट ने इस पर संतुष्टि जताई.
चीफ जस्टिस उदय उमेश ललित ने कहा कि 2018 में लोकसभा में जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 60 में संशोधन का कानून पेश किया गया. अभी तक कानून बन नहीं पाया है, लेकिन हम समझते हैं कि याचिका जिस उद्देश्य से दाखिल की गई थी, वह पूरा हो चुका है. जल्द ही सरकार उचित व्यवस्था बना लेगी. अब इस मामले पर आगे सुनवाई की जरूरत नहीं है.
हालांकि NRI को देश में वोट का अधिकार देने को लेकर लंबे समय से मांग हो रही है. इसे देखते हुए ही केंद्र की मोदी सरकार ने 15 फरवरी 2019 को लोकसभा में 'जन प्रतिनिधित्व (संशोधन) विधेयक 2017' पेश किया था, जो पारित तो हो गया लेकिन राज्यसभा में अटक गया, लिहाजा वह क़ानून नहीं बन पाया. हालांकि उस विधेयक में प्रवासी भारतीय मतदाताओं को अपने निवास स्थान से मताधिकार का प्रयोग करने के लिए प्रॉक्सी वोटिंग का प्रावधान रखा गया था. लेकिन नई व्यवस्था में अब वे इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग के जरिये अपना पसंदीदा विधायक या सांसद चुनने के हकदार बन जाएंगे.
नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.
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