कटक, करवाचौथ और धोनी की उम्र
हिंदुस्तान में पतियों की उम्र और क्रिकेटरों के करियर की लंबाई दोनों को मापने और बढ़ाने का तरीका लगभग एक जैसा ही है और आसान ही लगता है. पतियों की उम्र बीवियां करवाचौथ का व्रत रखकर बढ़ा लेती हैं और हिंदुस्तान में किसी क्रिकेटर के करियर की लंबाई एक शॉट से बढ़ जाती है,

हिंदुस्तान में पतियों की उम्र और क्रिकेटरों के करियर की लंबाई दोनों को मापने और बढ़ाने का तरीका लगभग एक जैसा ही है और आसान ही लगता है. पतियों की उम्र बीवियां करवाचौथ का व्रत रखकर बढ़ा लेती हैं और हिंदुस्तान में किसी क्रिकेटर के करियर की लंबाई एक शॉट से बढ़ जाती है, कम से कम फैंस के दिल में, ठीक वैसे ही जैसे करवाचौथ से पति की उम्र बढ़ने का भरोसा बीवियों के मन में बढ़ जाता है.
आखिरी गेंद से छक्के का कनेक्शन
आखिरी गेंद पर छक्का हिंदुस्तानी क्रिकेट के मन मस्तिष्क में ऐसा घुसा है कि किसी खिलाड़ी के खराब और अच्छा होने के बीच का फर्क बन जाता है. 18 अप्रैल 1986 को आखिरी गेंद पर मियादाद ने चेतन शर्मा की गेंद पर छक्का जड़ दिया और चेतन का करियर उसकी भेंट चढ़ गया. वहीं कटक में महेंद्र सिंह धोनी ने भारतीय पारी की आखिरी गेंद पर एक आम छक्का लगाया लेकिन चूंकि वो आखिरी गेंद पर लगाया हुआ छक्का था इसलिए वो आम से खास हो गया. इस एक पारी से उनका करियर 2019 वर्ल्ड कप तक काफी हद तक सवालों के घेरे से निकल गया है. कैसे अब ये समझिए फिट हैं , फटाफट हैं
खुद धोनी ने पिछले साल अपनी फिटनेस को लेकर कहा था कि वो जब तक फिट हैं तब तक खेलना चाहते हैं. कटक में विकेटों के बीच दौड़ लगाते हुए धोनी ने एक बार फिर ये साबित कर दिया कि वो टीम इंडिया में सबसे फिट हैं. उनसे करीब 8 साल और यो यो टेस्ट के टॉपर छोटे मनीष पांडे की धौंकनी चलने लगी लेकिन धोनी विकेटों के बीच हिरन बने हुए थे. वैसे तो धोनी हमेशा ही विकेटों के बीच बेहद तेज दौड़ते हैं लेकिन इस पारी में उनके खाते में रन भी थे लिहाजा ये पारी ही फैंस के बीच में 2019 वर्ल्ड कप का टिकट बन गई है.
दम है, दमदार हैं
धोनी ने अपनी पारी में 4 चौके और एक छक्का ही लगाया. लेकिन लेग ग्लॉंस कर एक चौके को छोड़ दें तो हर चौके में धोनी की ताकत दिखी. जोर से बल्ला घुमाया और गेंद सीमा रेखा के पार नहीं बल्कि गेंदबाजों के दिल में पैबस्त हो गई किसी खंजर की तरह. हिंदुस्तानी क्रिकेट में प्रतिमान भी बेहद कारगर होते हैं. धोनी के ये चौके उनकी ताकत और उनमें बची क्रिकेट के उदाहरण जैसे ही लगे.
एक्टिव धोनी, परफेक्ट धोनी
विकेट के पीछे भी धोनी कीपिंग और बोलने दोनों में परफेक्ट नजर आए. यजुर्वेन्द्र चहल को रणनीति समझानी हो या फिर गेंद की लेंथ बतानी हो, धोनी लगातार ये काम कर रहे थे. फील्डिंग लगाने से लेकर बल्लेबाजों को फंसाने तक का जिम्मा उठा रखा था. विकेट के पीछे चार स्टंपिंग भी धोनी की इस मैच में बड़ी उपलब्धि रही. इससे संदेश क्या गया. संदेश ये गया कि धोनी अब भी 22 गेंद पर 39 रन बना सकते हैं. दौड़ भाग कर सकते हैं. 4 स्टंपिंग कर सकते हैं. और जब इतना सब कुछ वो कर ही सकते हैं तो यहां क्या करेंगे , चलें 2019 वर्ल़्ड कप जीतने के सपने में पंख लगाएं. धोनी ने कटक में जो किया वो उनसे खेल की मांग भी है और धोनी में माद्दा भी है कि वो 2019 वर्ल्ड कप तक खेल सकें, टीम को जीत दिला सकें. एक्सपर्ट्स की भी राय बदल गई
धोनी की इस पारी ने एक बड़ा काम किया. पूर्व खिलाड़ी अक्सर धोनी की टीम में जगह पर गाहे बिगाहे सवाल उठाते ही रहते हैं. जब वो रन बनाने लगते हैं तो यही एक्सपर्ट्स उन्हें क्रिकेट का कोहिनूर भी बना देते हैं. कटक में जब धोनी और मनीष पांडे बैटिंग कर रहे थे तो धोनी अक्सर मनीष पांडे को स्ट्राइक दे रहे थे. कॉमेंट्री में सहवाग, सबा करीब और वीवीएस लक्ष्मण थे. सहवाग और लक्ष्मण लगातार ये कह रहे थे धोनी ठीक कर रहे हैं कि मनीष पांडे को स्ट्राइक दे रहे हैं. मनीष बहुत विस्फोटक शॉट्स लगा रहे हैं. लेकिन कोई भी एक्सपर्ट ये नहीं कह रहा था कि धोनी को स्ट्राइक लेना चाहिए वो पावरफुल शॉट्स लगा सकते हैं. और यही एक्सपर्ट्स जब धोनी ने आखिरी 4 ओवरों में धुंआधार बैटिंग की तो सहवाग ने धोनी की तुलना उस विंटेज कार से कर दी जो 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ती है. लक्ष्मण भी धोनी की तारीफों के फ्लाइओवर बनाते नहीं थक रहे थे. दरअसल यही पूर्व क्रिकेटर काफी हद तक फैंस की राय बनाते या बिगाड़ते हैं और फिलहाल कटक में धोनी के छक्के ने जो करवाचौथ का व्रत जैसा जादू किया, उससे धोनी के करियर की उम्र बढ़ती ही दिख रही है.
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