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कोहली की टीम इंडिया के लिए कहीं खतरे की घंटी तो नहीं राजकोट का नतीजा?

यूं तो किसी भी खेल में ‘अगर-मगर-किंतु-परंतु’ जैसे शब्दों की कोई जगह नहीं है,  लेकिन क्रिकेट प्रेमियों को सोचकर देखना चाहिए कि राजकोट में अगर भारतीय टीम को 10 ओवर और बल्लेबाजी करनी पड़ती तब क्या होता? विराट कोहली को तो इस बारे में और गंभीरता से सोचना चाहिए. सिर्फ इसलिए नहीं कि वो भारतीय टीम के कप्तान हैं या इस वक्त दुनिया के सबसे शानदार बल्लेबाज है बल्कि इसलिए कि कहीं हम विरोधी टीम को आंकने में गलती तो नहीं कर रहे हैं. जिस सीरीज के शुरू होने से पहले सौरव गांगुली, वीवीएस लक्ष्मण और तमाम बड़े-बड़े दिग्गजों ने सीरीज का नतीजा भारत के पक्ष में बता दिया हो, उसमें कहीं टीम इंडिया अति आत्मविश्वास की शिकार तो नहीं हो रही है. न्यूजीलैंड की टीम को धोने के बाद कहीं हम इंग्लैंड को कम करके तो नहीं आंक रहे हैं. राजकोट मैच के सूरते-हाल को जान लेते हैं.

राजकोट में आखिरी दिन क्या हुआ? इंग्लैंड के कप्तान एलिस्टर कुक ने राजकोट में ये दिखा दिया कि वो ‘अग्रेसिव’ कप्तानी के इरादे से भारत आए हैं. दूसरी पारी में शानदार शतक लगाने के बाद उन्होंने 260 रनों पर डिक्लेयर कर दिया. पहली पारी में 49 रनों की बढ़त पहले से थी यानि भारत के सामने 310 रनों का लक्ष्य सेट हो गया. कुक ने जब ये फैसला लिया तो उनके लिए मैच एक तरीके से बिल्कुल ‘सेफ’ था क्योंकि करीब 50 ओवर में 310 रनों का लक्ष्य हासिल करने का ‘रिस्क’ शायद ही कोई टीम उठाएगी. क्रिकेट प्रेमियों को ये भी लगा था कि मैच तो ड्रॉ ही होना है लेकिन आखिरी 50 ओवरों में थोड़ा मजा आएगा क्योंकि भारतीय टीम भी कुछ ना कुछ ‘जलवा’ तो दिखाएगी ही. ये अलग बात है कि जलवा देखने की उम्मीद करने वाले क्रिकेट प्रेमियों को दूसरी पारी के दूसरे ही ओवर से सहम सहम कर मैच देखना पड़ा. गौतम गंभीर दूसरी पारी में बगैर खाता खोले पवेलियन लौट गए. फिर 17वें ओवर में चेतेश्वर पुजारा आउट हो गए. फिर 23वें ओवर में मुरली विजय और 24वें ओवर में अजिंक्य रहाणे आउट हो गए. स्कोर हो गया 71 रन पर 4 विकेट. मुसीबत ये थी कि भारतीय टीम को अब भी करीब 30 ओवर और बल्लेबाजी करनी थी.

यहीं से भारतीय टीम ‘बैकफुट’ पर दिखने लगी. स्थिति तब और खराब हो गई जब आर अश्विन और ऋद्धिमान साहा भी जल्दी ही आउट हो गए. विराट कोहली को छोड़ दिया जाए तो अब बल्लेबाजी करने वालों में रवींद्र जडेजा, मोहम्मद शमी, उमेश यादव और अमित मिश्रा बाकि थे. इंग्लैंड के पास अभी करीब 10 ओवर थे, वो तो भला हो विराट कोहली का जिन्होंने अपनी जिम्मेदारी भरी बल्लेबाजी से मैच को सुरक्षित बचा लिया लेकिन अगर 10-12 ओवर का खेल और बचा होता तो निश्चित तौर पर भारत को मुसीबत का सामना करना पड़ता क्योंकि विकेट के दोनों छोर से विराट कोहली बल्लेबाजी नहीं कर सकते हैं. ये वही विराट कोहली हैं जिन्होंने 2014 में एडीलेड में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 364 रनों के लक्ष्य को पाने की कोशिश की थी. उन्होंने उस मैच में शानदार 141 रन बनाए थे. जो टेस्ट क्रिकेट की चौथी पारी में खेली गई अब तक की सबसे बेहतरीन पारियों में शुमार है. लेकिन राजकोट में मजबूरन विराट कोहली को अलग अंदाज में बल्लेबाजी करनी पड़ी.

टीम इंडिया से कहां हुई चूक? भारतीय टीम को, क्रिकेट फैंस को, कप्तान विराट कोहली को, पूर्व क्रिकेट दिग्गजों को और तमाम दूसरे लोगों को ये बात अच्छी तरह समझनी होगी कि आर अश्विन या कोई भी दूसरा स्पिनर हर मैच में पांच विकेट नहीं ले सकता है. सच्चाई ये है कि दुनिया का कोई भी गेंदबाज ये कारनामा हर मैच में नहीं कर सकता है. बस चूक यहां होती है कि किसी भी सीरीज के शुरू होने से पहले हम अपने खिलाड़ियों पर उम्मीदों का बोझ कुछ ज्यादा ही डाल देते हैं. एक आम क्रिकेट प्रेमी ये काम करे तो फिर भी समझ में आता है 100-100 टेस्ट मैच खेल चुके क्रिकेट खिलाड़ी भी हाथ में माइक पकड़ते ही दूसरी जुबान में बात करने लगते हैं. जिन पूर्व खिलाड़ियों ने हमेशा खिलाड़ियों पर उम्मीदों का दबाव ना डालने की दलीलें दी हैं उनके कॉलमों में भी उम्मीदों का पहाड़ दिखने लगता है…सबसे बड़ी चूक यहीं होती है.

राजकोट में इंग्लैंड की टीम ने भारतीय स्पिनर्स का बेहतरीन तरीके से सामना किया. ऐसा लगा कि उन्होंने भारतीय स्पिनर्स से निपटने के लिए जमकर तैयारी की है. यही वजह है कि पिछली सीरीज के जादूगर आर अश्विन को इस मैच में सिर्फ तीन विकेट मिले. ऐसा कतई नहीं है कि आर अश्विन अगले मैचों में विकेट नहीं लेंगे लेकिन सिर्फ अश्विन ही विकेट लेंगे ये उम्मीद लगाना गलत है. आज के दौर में जब हर एक बल्लेबाज और गेंदबाज के वीडियो विरोधी टीमों के पास मौजूद हैं तब किसी एक बल्लेबाज या एक गेंदबाज के खिलाफ खास रणनीति बनाना पहले से कहीं आसान हो गया है.

नहीं भूलना चाहिए पिछली कुछ सीरीजों का नतीजा 2010 के बाद से अब तक खेली गई 3 टेस्ट सीरीज में जीत इंग्लैंड को ही मिली है. इसमें 2 सीरीज में भारतीय टीम इंग्लैंड में हारी है जबकि एक सीरीज में उसे अपने घर में ही हार का सामना करना पड़ा है. इन तीन सीरीज के कई मैचों में भारतीय टीम को एकतरफा बड़ी हार देखनी पड़ी है. ऐसे में इंग्लैंड की टीम को अचानक कमजोर कहना किस लिहाज से ठीक है समझ नहीं आता.

सीरीज का अगला मैच 17 नवंबर से विशाखापत्तनम में खेला जाना है. विशाखापत्तनम की विकेट राजकोट से थोड़ी अलग होगी लेकिन अगर वाकई भारतीय टीम अगले टेस्ट में इंग्लैंड पर शिकंजा कसना चाहती है तो सबसे पहले उसे विकेट और स्पिनर्स को लेकर अपनी सोच भी थोड़ी बदलनी होगी.

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ओपिनियन

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