एक्सप्लोरर

भारत के लिए विदेश नीति में 'स्वहित' हो सबसे ऊपर, 'क्वाड' सहित किसी भी बहुपक्षीय संधि या संबंध में देश के हितों का रखना होगा ध्यान

वैश्विक रंगमंच पर घटनाएं लगातार घटित होती हैं और सूचना-क्रांति के कारण हमारे पास अब तेजी से पहुंचने भी लगी हैं. भारत शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में व्यस्त है, तो अमेरिका ने एक बार फिर क्वाड के बारे में बयान दे दिया है कि वह फिलहाल किसी नए सदस्य को लाने के पक्ष में नहीं है. चीन की खासतौर से इस चतुष्पक्षीय संधि पर नजर है, क्योंकि उसका मानना है कि उसकी नकेल कसने के लिए ही यह संधि हुई है. रूस के रक्षामंत्री ने इस संबंध में शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में बोल भी दिया है. भारत की स्थिति इन सबके बीच बेहद अनूठी है और उसे अपनी डिप्लोमेसी इसी नजरिए से चलाने और बरतने की जरूरत है. 

चीन के खारिज करने से नहीं होगा 'क्वाड' खत्म

अमेरिका ने कोई पहली बार नहीं कहा है कि अभी 'क्वाड' (क्वाड्रिलेटरल सेक्योरिटी डायलॉग) में किसी नए सदस्य को जोड़ने की कोई योजना नहीं है. वह 2021-22 में भी यही बात कह चुका है. उसका मानना है कि द्विपक्षीय संबंधों, बहुपक्षीय सहयोग को जारी रखा जाएगा, लेकिन किसी नए सदस्य को जोड़ा नहीं जाएगा. यह मंशा वह पहले भी जाहिर कर चुका है. हां, औपचारिक तौर पर उसने यह बयान भले अभी दिया है. जहां तक चीन की बात है तो जब 2017 में 'क्वाड' की स्थापना हुई थी, तभी चीन ने इसे 'एशियन नाटो' कहकर खारिज कर दिया था. हालांकि, अभी हाल में जिस तरह से क्वाड की गतिविधियां बढ़ी हैं या तेज हुई हैं, तो जो चीन अब तक इसे खारिज कर रहा था, उसके सुर बदल गए हैं. अब उसका मानना है कि इन गतिविधियों से क्षेत्र की शांति बिगड़ेगी और जहां तक अमेरिका का सवाल है तो वह शायद इस क्षेत्र को सैन्यीकृत करेगा. चीन को यह खतरा तो है ही कि एक खास इलाके, जिसे हमलोग कूटनय की भाषा में भारत-प्रशांत क्षेत्र कहते हैं, जिसमें 'पैसिफिक आइलैंड' आता है, 'साउथ-ईस्ट एशिया' आता है, 'हिंद महासागर के क्षेत्र' आते हैं, उससे अलग रखने के लिए क्वाड सक्रिय हो रहा है. चीन को ये तो नजर आ ही रहा है कि इस क्षेत्र में जो उसकी गतिविधियां थीं, लगातार बढ रही सक्रियता थी, उसको टारगेट करने के लिए ही ये संधि (यानी क्वाड) तेजी से काम कर रहा है. 

भारत की चुनौतियां और पोजीशनिंग अनूठी

भारत की अगर बात करें तो आप जिसे आक्रामक कह रहे हैं, उसे अंग्रेजी में 'असर्टिव' कहें तो ठीक रहेगा. भारत की अंतरराष्ट्रीय संबंधों में बड़ी अनूठी स्थिति यानी यूनिक पोजीशनिंग भी है और उसी हिसाब से चुनौतियां भी. चीन के सामने खड़ी जो दो ताकतें हैं- अमेरिका और रूस, वे दोनों भारत के मित्र हैं. इनमें चीन और अमेरिका दोस्त नहीं हैं, लेकिन दोनों पाकिस्तान का समर्थन करते हैं. रूस और अमेरिका मित्र नहीं हैं, लेकिन दोनों भारत के साथ ठीक संबंध रखते हैं. भारत इसीलिए थोड़ी जटिल स्थिति में रहता है. उसको चीन को काउंटर करने के लिए पश्चिम में अमेरिका चाहिए और पूरब में रूस चाहिए. तो, कूटनीति तो यही कहती है कि हमारी जो डिप्लोमेसी है, राजनय है, वह स्वायत्त हो. हम रणनीतिक रूप से तय करें कि हम किसके साथ रहेंगे. यह भारत के लिए निर्णय लेने का समय है. अभी की जो नीति है कि क्वाड में जो देश सम्मिलित हैं, उनका डेवलपमेंट हो और वह केवल सैन्य ताकत की बात नहीं है, मतलब वह केवल चीन के खिलाफ न हो, बल्कि जलवायु, आर्थिक और मानवीय विषयों को सोच कर उसके विकास की बात की जाए. दूसरी बात ये है कि बिना सदस्य बनाए भी, अनेक गतिविधियां हो सकती हैं. दक्षिण कोरिया ने भी सदस्यता में रुचि दिखाई थी. क्वाड के माध्यम से ही सिंगापुर के साथ सैन्य-अभ्यास हुआ था और ये काम जारी भी रखा जा सकता है. संयुक्त राष्ट्र में भारत की एंट्री को बार-बार चीन रोकता है, तो भारत को भी थोड़ा लीवरेज तो लेना चाहिए. वह क्वाड के माध्यम से हो तो भी कोई दिक्कत नहीं है. 

राष्ट्रीय हित सबसे ऊपर 

भारत को अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखना चाहिए. अगर हम क्वाड को या इंडो-पैसिफिक रीजन को भूल भी जाएं तो भी रूस और चीन का जो आर्थिक संबंध है, उस लेनदेन का मुकाबला भारत नहीं कर पा रहा है. इसलिए, भारत रूस के संबंध में फायदा यानी लीवरेज नहीं उठा पाता. वह वेस्ट के साथ संबंध बनाकर तो चीन को रोकने की कोशिश कर सकता है, लेकिन रूस और चीन के संबंध में वह नहीं कर पाता है. लाखों मिलियन डॉलर का लेनदेन चीन के साथ रूस का होता है, तो वह उसे छोड़कर हमारे साथ स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप ही करेगा. यहां तक कि आप यूएस को देख लीजिए. वह भी हमारा पार्टनर है, लेकिन पाकिस्तान का सवाल आते ही वह इसको भूल जाते हैं. यही कारण है कि दुनिया में कई सारे ध्रुव बनते हैं, कई सारी साझीदारी होती है. यही वजह है कि हमारे विदेश मंत्री जयशंकर ने भी कहा है कि अगर दुनिया बहुध्रुवीय होगी, तो भारत उसमें बड़ी ताकत बनकर उभर सकता है. 

भारत के जहां तक अपनी विदेश नीति को असंलग्न यानी गुटबाजी से अलग रखने की जो बात है, वह आज की दुनिया में भी संभव है. इसलिए कि आप एक तो पाकिस्तान का उदाहरण देखिए. अमेरिका जैसे देश भी उसकी मदद नहीं कर पा रहे, वह फेल्ड नेशन हो चुका है. यूनीपोलर यानी एकध्रुवीय या द्विध्रुवीय दुनिया की जगह बहुध्रुवीय दुनिया का जो उत्स है, वह प्रजातंत्र में है. लोकशाही उसको सशक्त करती है. भारत का जो मुखर रुख है, उसका एक विजन है, एक दर्शन है. उसको कायम रखना कोई बहुत बड़ी बात नहीं होगी. वह असर्टिवनेस आत्मविश्वास से भी तो आया है. इस आत्मविश्वास की वजह है- नेतृत्व और हां, हमारी आर्थिक स्थिति और राजनीतिक स्थिरता भी इसका कारण है. देश के लोगों के पोटेंशियल को जब नेतृत्व समझे और उसके आधार पर काम करे, तो यह आत्मविश्वास आता ही है. आप पिछले कुछ वर्षों की गतिविधियां देखिए. वह चाहे कोरोना काल की भारत की डिप्लोमेसी हो या हाल ही में सूडान और यूक्रेन से अपने निवासियों को निकालने की कार्रवाई. भारत ने मजबूती से काम किया है और विदेशियों को यह समझाया है. इसके पीछे कारण यही है कि भारत अब आत्मविश्वास से भरा देश है. क्वाड में भी उसकी भूमिका औऱ वैश्विक राजनीति में दखल को इसी नजरिए से देखना और समझना चाहिए. 

[ये आर्टिकल निजी विचारों पर आधारित है.]

View More

ओपिनियन

Sponsored Links by Taboola
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h

टॉप हेडलाइंस

'असली वजह क्या थी, अभी बता पाना मुश्किल', DGCA के कारण बताओ नोटिस का इंडिगो ने भेजा जवाब
'असली वजह क्या थी, अभी बता पाना मुश्किल', DGCA के कारण बताओ नोटिस का इंडिगो ने भेजा जवाब
Bihar Teacher Salary: नीतीश सरकार ने दी शिक्षकों को बड़ी खुशखबरी, अब हर महीने इस तारीख को मिलेगा वेतन
नीतीश सरकार ने दी शिक्षकों को बड़ी खुशखबरी, अब हर महीने इस तारीख को मिलेगा वेतन
वंदे मातरम् पर बहस क्यों जरूरी? राजनाथ सिंह ने संसद में ही दिया प्रियंका गांधी के सवाल का जवाब
वंदे मातरम् पर बहस क्यों जरूरी? राजनाथ सिंह ने संसद में ही दिया प्रियंका गांधी के सवाल का जवाब
IND vs SA T20 Head to Head: भारत या दक्षिण अफ्रीका, जानिए हेड टू हेड में किसका पलड़ा भारी; किसने नाम सबसे ज्यादा रन और विकेट
भारत या दक्षिण अफ्रीका, जानिए हेड टू हेड में किसका पलड़ा भारी; किसने नाम सबसे ज्यादा रन और विकेट
ABP Premium

वीडियोज

'Nehru नहीं होते तो...' Vande Matram चर्चा पर Priyanka Gandhi ने Lok Sabha में क्या कहा? सुनिए
Khabar Filmy Hain: Dharmendra को याद कर क्यो रोए सलमान
Saas Bahu Aur Saazish: मंगल- कुसुम जा रहें है जोर्जिया
IT Refund Delay का असली कारण! हजारों Taxpayers के Refund क्यों रुके हैं? |Paisa Live
Amritsar पहुंचीं Cm Rekha Gupta,  दरबार साहिब जाकर टेका  माथा | Breaking | ABP News

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
'असली वजह क्या थी, अभी बता पाना मुश्किल', DGCA के कारण बताओ नोटिस का इंडिगो ने भेजा जवाब
'असली वजह क्या थी, अभी बता पाना मुश्किल', DGCA के कारण बताओ नोटिस का इंडिगो ने भेजा जवाब
Bihar Teacher Salary: नीतीश सरकार ने दी शिक्षकों को बड़ी खुशखबरी, अब हर महीने इस तारीख को मिलेगा वेतन
नीतीश सरकार ने दी शिक्षकों को बड़ी खुशखबरी, अब हर महीने इस तारीख को मिलेगा वेतन
वंदे मातरम् पर बहस क्यों जरूरी? राजनाथ सिंह ने संसद में ही दिया प्रियंका गांधी के सवाल का जवाब
वंदे मातरम् पर बहस क्यों जरूरी? राजनाथ सिंह ने संसद में ही दिया प्रियंका गांधी के सवाल का जवाब
IND vs SA T20 Head to Head: भारत या दक्षिण अफ्रीका, जानिए हेड टू हेड में किसका पलड़ा भारी; किसने नाम सबसे ज्यादा रन और विकेट
भारत या दक्षिण अफ्रीका, जानिए हेड टू हेड में किसका पलड़ा भारी; किसने नाम सबसे ज्यादा रन और विकेट
Theatre Releases This Week: इस हफ्ते मिलेगा कॉमेडी-एक्शन का तगड़ा डोज, 'किस किस को प्यार करूं 2' समेत रिलीज होंगी ये फिल्में
इस हफ्ते मिलेगा कॉमेडी-एक्शन का तगड़ा डोज, थिएटर्स में रिलीज होंगी ये फिल्में
लिवर कैंसर से पहले शरीर करता है ये 5 इशारे, पहचान लिया तो बच जाएगी जान
लिवर कैंसर से पहले शरीर करता है ये 5 इशारे, पहचान लिया तो बच जाएगी जान
सफदरजंग में एडवांस्ड न्यूरोमॉड्यूलेशन ट्रीटमेंट फैसिलिटी शुरू, डिप्रेशन–OCD मरीजों का फ्री होगा इलाज
सफदरजंग में एडवांस्ड न्यूरोमॉड्यूलेशन ट्रीटमेंट फैसिलिटी शुरू, डिप्रेशन–OCD मरीजों का फ्री होगा इलाज
Video: धीरेंद्र शास्त्री पर छोटी बच्ची ने लुटाया प्यार, पहले वारा फिर रोते हुए दी फ्लाइंग किस- वीडियो वायरल
धीरेंद्र शास्त्री पर छोटी बच्ची ने लुटाया प्यार, पहले वारा फिर रोते हुए दी फ्लाइंग किस- वीडियो वायरल
Embed widget