एक्सप्लोरर

रिमोट वोटिंग की अचानक याद आने के पीछे क्या है चुनाव आयोग का इरादा?

हमारे देश का निर्वाचन आयोग वैसे तो एक संवैधानिक  संस्था है लेकिन पिछले आठ सालों से विपक्ष लगातार उसकी निष्पक्षता व पारदर्शिता पर ये सवाल उठाता आया है कि वह सरकार की एक कठपुतली बनकर रह गया है. विपक्ष के ऐसे तमाम आरोपों का जवाब देते हुए उसका माकूल ईलाज निकालने का तरीका तो सिर्फ देश की शीर्ष अदालत ही निकाल सकती है. लिहाज़ा, जब उसके सामने ऐसा कोई भी मामला आता है, तो सुप्रीम कोर्ट ठोंक-बजाकर यानी हर पहलू को ध्यान में रहते हुए ही अपना फैसला देता आया है.

लेकिन निर्वाचन आयोग के एक नये फैसले ने देश की सियासत तो गरमा ही दी है और पूरी संभावना है कि ये एक नई कानूनी जंग में भी तब्दील हो सकता है. कोर्ट के अंतिम फैसले का अंदाजा लगाना तो नामुमकिन है. लेकिन अगले साल नौ राज्यों में होने वाले चुनावों से ठीक पहले चुनाव आयोग के इस निर्णय ने विपक्षी दलों के कान इसलिये खड़े कर दिये हैं कि इसका मकसद आखिर किसको फायदा पहुंचाने का है.

दरअसल, चुनाव आयोग ने वोट डालने के लिये एक नया फार्मूला तैयार किया है, जिस पर विपक्षी दलों को ऐतराज है और उन्हें लगता है कि ये सत्तारुढ़ पार्टी को सियासी फायदा पहुंचाने का एक तरीका ईजाद किया गया है. इसके मुताबिक आप देश के किसी भी शहर के पंजीकृत वोटर हैं लेकिन नौकरी या किसी और काम के सिलसिले में अपने शहर से बाहर हैं, तो आप वहां रहते ही अपना वोट डाल सकते हैं.यानी सिर्फ वोट डालने के लिए आपको अपने घर आने की ज़हमत नहीं उठानी पड़ेगी. चुनाव आयोग ने इसे रिमोट ईवीएम का नाम दिया है और इसकी तैयारी भी पूरी कर ली है.

पहली नजर में तो ये आईडिया बहुत सारे लोगों को पसंद आयेगा लेकिन सोचने वाली बात ये है कि इसे राजधानी दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर यानी IIC जैसे किसी सभ्रान्त क्लब के चंद हजार सदस्यों के लिए लागू नहीं किया जा रहा है, बल्कि देश के तमाम वोटरों के लिये ये योजना बनाई गई है. जाहिर है कि इसमें तकनीकी खामियों और वोट देने की गोपनीयता भंग होने जैसे कई पहलुओं पर सवाल भी उठेंगे. जाहिर है कि चुनाव आयोग ने ऐसे तमाम सवालों का जवाब पहले से ही सोच रखा होगा लेकिन उससे विपक्षी दलों की बुनियादी आशंका को ह कैसे दूर कर पाता है, ये देखने वाली बात होगी. हालांकि निर्वाचन आयोग ने इसे लागू करने से पहले तमाम राजनीतिक दलों को न्योता दिया है कि वे आगामी 16 जनवरी को आयोग के दफ्तर में आकर इस पूरी व्यवस्था का प्रोटोटाइप यानी नमूना अपनी आंखों से देखें.आयोग का ये फार्मूला कितना पारदर्शी होगा और क़ानूनीसम्मत होगा या नहीं, ये हम नहीं जानते लेकिन इतना तय है कि मुख्य विपक्षी कांग्रेस समेत कुछ अन्य विपक्षी दलों को भी ये पसंद नहीं आयेगा और वे  इस फैसले के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाने में भी ज्यादा देर नहीं लगाएंगे.

दरअसल, इस तकनीक से जुड़े सूत्रों की मानें, तो चुनाव आयोग का मकसद तो इसे 2024 के लोकसभा चुनाव में ही इस्तेमाल करने का था. लेकिन आयोग ने अपना इरादा बदलते हुए इसे अगले साल होने वाले 11 राज्यों के विधानसभा चुनाव में लागू करने का फैसला ले लिया. चूंकि संविधान के प्रावधानों के मुताबिक निर्वाचन आयोग को चुनाव-प्रणाली से जुड़ा कोई भी नया फैसला लेने से पहले तमाम पंजीकृत राजनीतिक दलों को सूचित करना अनिवार्य होता है. लिहाज़ा,आयोग 16 जनवरी को उस औपचारिकता को तो पूरा करेगा लेकिन ये कोई जरुरी नहीं कि वो विपक्षी दलों की किसी भी आपत्ति पर कोई संज्ञान ले ही लेगा.

हालांकि, कांग्रेस ने आयोग के इस फार्मूले का नमूना देखने से पहले ही इस पर सवाल उठा दिये हैं. पार्टी के संचार महासचिव जयराम रमेश ने कई तर्कों के साथ ईवीएम की विश्वसनीयता को फिर से शक के कटघरे में खड़ा किया है. उनके मुताबिक चुनाव व्यवस्था पर विश्वास लोकतंत्र की सर्वोच्च प्राथमिकता है,जिसे हर हाल में कायम रखा जाना चाहिये. चूंकि, ईवीएम की अस्पष्टता मतदाता को यह भरोसा नहीं दिलाती कि उसका वोट वहीं पड़ा है, जहां उसने दिया है, इसीलिए जर्मन फेडरल कांस्टीट्यूशनल कोर्ट ने वहां 2009 में ही ईवीएम को हटा दिया था.कांग्रेस नेता ने कहा कि भारत में ईवीएम को लेकर विवाद खड़े होते रहे हैं क्योंकि इसके दुरुपयोग का डर है. मतदाता और राजनीतिक दलों का भरोसा निर्वाचन व्यवस्था पर होना चाहिए, लेकिन कुछ वर्षों से यह भरोसा लगातार टूट रहा है.

वे तो निर्वाचन आयोग पर मोदी सरकार के दबाव में काम करने का आरोप लगाने से भी नहीं बचे और इसके लिए ताजा उदाहरण बीते दिनों गुजरात में हुए विधानसाभा चुनाव का का दे दिया. उनका आरोप है कि आयोग ने चुनाव घोषित करने में विलंब इसलिए किया, ताकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपने गृह राज्य के चुनाव में प्रचार का भरपूर वक्त मिल सके. साथ ही उन्होंने मतदान वाले दिन रोड शो कर आचार संहिता का भी उल्लंघन किया. तब और उससे पहले कई बार निर्वाचन आयोग को ज्ञापन दिए जाते रहे, लेकिन संज्ञान नहीं लिया गया. ऐसे बयानों से जाहिर है कि रिमोट ईवीएम के मुद्दे पर चुनाव आयोग और विपक्ष की पटरी नहीं बैठने वाली है और आखिरकार शीर्ष अदालत को ही इसे सुलझाना पड़ेगा.

नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

इसे भी पढ़ें-

साल 2023 क्यों है भारत की राजनीति और अर्थव्यवस्था के लिए अहम, क्या ये नए दौर की शुरुआत होगी?

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

India-Canada Row: कनाडा में खालिस्तान समर्थकों के निशाने पर इंडियन्स, हिंदुओं के लिए खतरनाक होता जा रहा ट्रूडो का देश
कनाडा में खालिस्तान समर्थकों के निशाने पर इंडियन्स, हिंदुओं के लिए खतरनाक होता जा रहा ट्रूडो का देश
Lok Sabha Elections: थम गया छठे चरण का चुनाव प्रचार, मेनका, संबित पात्रा और धर्मेंद्र प्रधान की साख का अब 25 मई को होगा इम्तिहान
थम गया छठे चरण का चुनाव प्रचार, मेनका, संबित पात्रा और धर्मेंद्र प्रधान की साख का अब 25 मई को होगा इम्तिहान
राजस्थान में लू लगने से पांच लोगों की मौत, बाड़मेर में तापमान 48.8 डिग्री पर पहुंचा, कई जिलों में रेड अलर्ट
राजस्थान में लू लगने से पांच लोगों की मौत, बाड़मेर में तापमान 48.8 डिग्री पर पहुंचा, कई जिलों में रेड अलर्ट
शिवराज सिंह चौहान के बेटे कुणाल की हुई सगाई, आप भी देखें दुल्हन की तस्वीरें
शिवराज सिंह चौहान के बेटे कुणाल की हुई सगाई, आप भी देखें दुल्हन की तस्वीरें
for smartphones
and tablets

वीडियोज

Muslim OBC Reservation: आरक्षण पर घमासान..मोदी-योगी और मुसलमान | CM Yogi | Loksabha Election 2024Crime News: सोनीपत में ट्रिपल मर्डर का 'शैतान' !, भाई, भाभी और भतीजे का मर्डर | सनसनीशकील पर सस्पेंस...कौन था वो हिटमैन ?, सोशल मीडिया के दावों की पड़ताल | ABP NewsSwati Maliwal Case: मालीवाल केस में चश्मदीद और नार्को टेस्ट, Kejriwal के ड्राइंग रूम में क्या हुआ ?

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
India-Canada Row: कनाडा में खालिस्तान समर्थकों के निशाने पर इंडियन्स, हिंदुओं के लिए खतरनाक होता जा रहा ट्रूडो का देश
कनाडा में खालिस्तान समर्थकों के निशाने पर इंडियन्स, हिंदुओं के लिए खतरनाक होता जा रहा ट्रूडो का देश
Lok Sabha Elections: थम गया छठे चरण का चुनाव प्रचार, मेनका, संबित पात्रा और धर्मेंद्र प्रधान की साख का अब 25 मई को होगा इम्तिहान
थम गया छठे चरण का चुनाव प्रचार, मेनका, संबित पात्रा और धर्मेंद्र प्रधान की साख का अब 25 मई को होगा इम्तिहान
राजस्थान में लू लगने से पांच लोगों की मौत, बाड़मेर में तापमान 48.8 डिग्री पर पहुंचा, कई जिलों में रेड अलर्ट
राजस्थान में लू लगने से पांच लोगों की मौत, बाड़मेर में तापमान 48.8 डिग्री पर पहुंचा, कई जिलों में रेड अलर्ट
शिवराज सिंह चौहान के बेटे कुणाल की हुई सगाई, आप भी देखें दुल्हन की तस्वीरें
शिवराज सिंह चौहान के बेटे कुणाल की हुई सगाई, आप भी देखें दुल्हन की तस्वीरें
Lok Sabha Elections 2024: सुबह हनुमान मंदिर गए तो शाम को इफ्तार देना होगा... जानें प्रधानमंत्री मोदी ने क्यों कही ये बात
सुबह हनुमान मंदिर गए तो शाम को इफ्तार देना होगा... जानें प्रधानमंत्री मोदी ने क्यों कही ये बात
70 साल की उम्र में बुजुर्ग ने की शादी, अब लुटेरी दुल्हन जेवरात लेकर हुई फरार
70 साल की उम्र में बुजुर्ग ने की शादी, अब लुटेरी दुल्हन जेवरात लेकर हुई फरार
'भाई जी! सब ठीक हो गया, लेकिन...', CM सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सुनाया विधायकों की क्रॉस वोटिंग का किस्सा
'भाई जी! सब ठीक हो गया, लेकिन...', CM सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सुनाया विधायकों की क्रॉस वोटिंग का किस्सा
The Family Man 3 OTT Updates: 'फैमिली मैन 3' में नहीं नजर आएगा ये दमदार एक्टर, खुद किया इसपर बड़ा खुलासा
'फैमिली मैन 3' में नहीं नजर आएगा ये दमदार एक्टर, खुद किया इसपर बड़ा खुलासा
Embed widget