एक्सप्लोरर

Ex-MP और MLA की पेंशन से जुड़े विरोधाभास कब होंगे दूर? ओपीएस पर आरबीआई की चेतावनी के बाद बहस तेज़

पुरानी पेंशन योजना यानी ओपीसी को फिर से लागू करने की गूंज देश के कोने-कोने में सुनाई दे रही है. केंद्र और राज्य के कम से कम 50 संगठनों ने राष्ट्रव्यापी आंदोलन की चेतावनी दी है. राष्ट्रीय संयुक्त कार्रवाई परिषद (NJAC) के बैनर तले संगठनों ने  कहा है कि अगर केंद्र सरकार उनकी मांग पर कार्रवाई नहीं करती है, तो वे संसद के बजट सत्र के दौरान जुलूस निकालेंगे.

इस बीच देश के केंद्रीय बैंक आरबीआई ने कुछ राज्यों को नई पेंशन व्यवस्था की जगह पुरानी पेंशन व्यवस्था फिर से बहाल करने को लेकर चेताया है. हाल ही में जारी 'राज्य वित्तः 2022-23 के बजट का अध्ययन’ से जुड़ी रिपोर्ट में आरबीआई ने कहा है कि इससे राज्यों की वित्तीय स्थिति बिगड़ सकती है. आरबीआई का मानना है कि  ओपीएस से आने वाले वर्षों में राज्यों के लिए देनदारी बढ़ेगी, जिससे लिए पैसे की व्यवस्था नहीं है. केंद्रीय बैंक ने कहा है कि जिन राज्यों ने पुरानी व्यवस्था को लागू किया है, वे वर्तमान के खर्चों को भविष्य के लिए स्थगित करके अनफंडेड पेंशन देनदारियों का जोखिम उठा रहे हैं.

2004 से कर्मचारियों के लिए नई पेंशन योजना

एक जनवरी 2004 के बाद भर्ती हुए केंद्रीय कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन योजना की जगह नई पेंशन योजना (NPS) लागू हुई और उसके बाद राज्य सरकारों ने अलग-अलग तारीखों पर इसे लागू किया. कर्मचारियों के लिए तो 19 साल पहले ही पुरानी पेंशन व्यवस्था को खत्म कर दिया गया. लेकिन देश में अभी भी पूर्व सांसदों और पूर्व विधायकों को पुराने तर्ज पर ही पेंशन और दूसरी सुविधाएं भी मिलती है. जब केंद्र सरकार ने ओपीसी की जगह एनपीएस लाने का फैसला किया गया था, तो इसके पीछे बड़ी वजह सरकारी खजाने पर पड़ रहे बोझ को बताया गया था. राजकोषीय स्थिति को बेहतर करने का हवाला देकर पुरानी पेंशन व्यवस्था की जगह नई पेंशन व्यवस्था लागू की गई थी, जिसमें सरकार की देनदारी कम हो गई थी और कर्मचारियों का अंशदान बढ़ गया था.

एमपी-एमएलए के पेंशन में कई विरोधाभास

सवाल उठता है कि अगर सरकारी खजाने पर बोझ की ही चिंता थी, तो पूर्व सांसदों और पूर्व विधायकों के लिए भी नई पेंशन योजना शुरू होनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और वर्तमान में भी विधायक और सांसद पुराने ढर्रे पर पेंशन ले रहे हैं. मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया, लेकिन वहां से भी कोई हल नहीं निकल सका. दिलचस्प बात ये हैं कि सरकारी कर्मचारी 30 से 35 साल तक नौकरी करने के बावजूद पेंशन के ह़कदार नहीं रह गए हैं, लेकिन सांसद और विधायक महज़ चंद दिनों या चंद सालों तक इस जिम्मेदारी को निभाने के बावजूद पेंशन के साथ ही दूसरे भत्ते उठाने के योग्य हो जाते हैं. उसमें भी अजीब बात ये हैं कि पूर्व सांसदों और पूर्व विधायकों को मिलने वाले पेंशन में कई विरोधाभास हैं.

पेंशन के लिए कोई समय सीमा तय नहीं

सबसे पहले हम सांसदों से जुड़ी व्यवस्था पर बात करते हैं. राज्यसभा और लोकसभा के सदस्यों को जब वे पूर्व सांसद हो जाते हैं, तो उन्हें  Salary, Allowances and Pension of Members of Parliament Act, 1954 के तहत पेंशन मिलती है.  मई 1954 को संसद से इस कानून को मंजूरी मिली और एक जून 1954 से ये लागू हुआ. इसमें बाद में कई संशोधन भी हुए. इस कानून की धारा 8 A में पूर्व सांसदों के लिए पेंशन का प्रावधान किया गया है.  इस धारा को 1976 में कानून का हिस्सा बनाया गया था. फिलहाल पेंशन का ह़कदार बनने के लिए सांसद के लिए कोई समय सीमा तय नहीं है. यानी एक दिन भी सांसद रहकर वे पेंशन के ह़कदार बन जा रहे हैं. पेंशन के लिए कोई न्यूनतम समय सीमा तय नहीं है. इतना ही नहीं अगर कोई 5 साल से ज्यादा की अवधि तक सांसद रहते हैं, तो उन्हें पेंशन तो मिलेगा ही, इसके अलावा 5 साल के बाद के हर साल के हिसाब से अतिरिक्त पेंशन भी मिलेगा.

1976 से पूर्व सांसदों के लिए पेंशन

कम से कम पांच साल सांसद रह चुके पूर्व सांसदों के लिए पहली बार 1976 में पेंशन की शुरुआत की गई. उस वक्त  300 रुपये हर महीने पेंशन की व्यवस्था शुरू की गई थी. पांच साल से ज्यादा अवधि तक रहने वाले सांसदों को 50 रुपये अतिरिक्त मिलते थे, लेकिन अधिकतम पेंशन की सीमा 500 रुपये तय थी. उस वक्त फैमिली पेंशन की व्यवस्था नहीं थी. 2001 में पूर्व सांसदों की मासिक पेंशन 3000 रुपये हो गई. पांच साल बाद हर अतिरिक्त साल पर 600 रुपये और मिलने का प्रवाधान किया गया. 2004 में न्यूनतम 5 साल सांसद रहने की शर्त खत्म कर दी गई. उसके बाद से ये प्रावधान हो गया कि कोई जितने दिन भी सांसद रहे, वो पेंशन पाने का हकदार होगा. 2006 में पूर्व सांसदों का मासिक पेंशन बढ़ाकर 6000 हजार रुपये कर दिया गया.

समय के साथ पेंशन राशि में इजाफा

2010 में कानून में संशोधन कर सांसदों के पेंशन में इजाफा किया गया था. इसके मुताबिक मई 2009 से पूर्व सांसदों के पेंशन को 8 हजार से बढ़ाकर 20 हजार रुपये प्रति महीना कर दिया गया था. इसके साथ ही 5 साल की अवधि के बाद हर साल के हर महीने में 1,500 रुपये का अतिरिक्त पेंशन भी मिलता है. पहले ये राशि 8 सौ रुपये थी. अतिरिक्त पेंशन व्यवस्था से जो व्यक्ति 5 साल के बाद जितने ज्यादा दिन तक सांसद रहेगा, उसके पेंशन में उसी हिसाब से इजाफा होते जाएगा. 2018 में पूर्व सांसदों के पेंशन को बढ़ाकर 25,000 रुपये प्रति महीने कर दिया गया. वहीं अतिरिक्त पेंशन को 1500 से बढ़ाकर 2000 रुपये प्रति महीने कर दिया गया. ये भी प्रावधान है कि हर पांच साल पर सांसदों के पेंशन में संशोधन किया जाएगा. यानी अप्रैल 2023 से फिर इनके पेंशन में बढ़ोत्तरी हो जाएगी.

2006 से फैमिली पेंशन की व्यवस्था

दिलचस्प बात ये है कि अगर 9 महीने या उसके ज्यादा की अवधि होती है, तो उसे राउंडिंग ऑफ पीरियड नियमों के तहत एक साल मानकर अतिरिक्त पेंशन दी जाती है. राउंडिंग की ये व्यवस्था 2004 से लागू की गई है. इसके अलावा सांसद के निधन होने की स्थिति में पति या पत्‍नी (spouse) के लिए फैमिली पेंशन के तहत आधा पेंशन की भी व्यवस्था है. 2006 में ही फैमिली पेंशन की व्यवस्था की गई थी. इसके अलावा मुफ्त ट्रेन सफर की सुविधा और सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम का लाभ भी पूर्व सांसदों को मिलता है.

सांसद ही तय करते हैं पेंशन

अगर पूर्व सांसद राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति या किसी राज्य का राज्यपाल बन जाता है, या फिर एमएलए बन जाता है, तो सिर्फ उस अवधि के दौरान वो बतौर पूर्व सांसद पेंशन पाने का हकदार नहीं होगा. सबसे ख़ास बात है कि भारत में पूर्व सांसद कितना पेंशन लेंगे, इसका निर्धारण भी खुद सांसद ही करते हैं. संसद से कानून बनाकर पूर्व सांसदों के पेंशन व्यवस्था में संशोधन होते रहा है. जबकि कई देशों में सांसदों के वेतन और पेंशन तय करने के लिए सांसदों से अलग कमेटी होती है, लेकिन भारत में ऐसा नहीं है. भारत में नियम भी तय करने के लिए दोनों सदनों की साझा कमेटी होती है, जिसमें राज्यसभा से 5 और लोकसभा से 10 सदस्य शामिल होते हैं. 

सांसदों के पेंशन पर बढ़ता खर्च

फिलहाल कितने सांसदों को पेंशन मिल रहा है, इसके बारे में सरकार की ओर से कोई सार्वजनिक आंकड़ा मुहैया नहीं कराया जाता है. लेकिन सूचना के अधिकार कानून के तहत मिली जानकारी से खुलासा हुआ था कि 2020-21 में केंद्र सरकार ने 2,679 पूर्व सांसदों को पेंशन देने पर करीब 100 करोड़ रुपये खर्च किए थे. इन पूर्व सांसदों में कई फिल्मी सितारे, उद्योगपति और अमीर लोग भी शामिल थे. एक अप्रैल 2010 से लेकर 31 मार्च 2018 तक पूर्व सांसदों की पेंशन पर केंद्र सरकार ने 489 करोड़ रुपये खर्च किए थे. यानी इन 8 सालों में पूर्व सांसदों की पेंशन पर औसतन 61 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. 2018 में 2064 पूर्व सांसदों को पेंशन दी जा रही थी, इनमें 1515 पूर्व लोकसभा सांसद और 549 पूर्व राज्यसभा सांसद थे.

पूर्व सांसद खुद से कब करेंगे पहल?

डबल पेंशन से जुड़ा एक और विरोधाभास है. पूर्व सांसद और पूर्व विधायक को डबल पेंशन लेने का हक है. अगर कोई विधायक और सांसद दोनों रह चुका हो, तो उसे दोनों की पेंशन मिलती है. पिछले कुछ साल से सरकार लोगों से बार-बार अपील करते रही है किसक्षम होने पर आम लोग गैस सबिसिडी समेत कई तरह की सब्सिडी स्वेच्छा से छोड़ दें. सवाल यहां भी उठना लाजिमी है कि पूर्व सांसद और विधायक जो सक्षम हैं, पेंशन छोड़ने की पहल क्यों नहीं करते. यहां तक कि रेलवे ने भी सीनियर सिटीजन को मिलने वाली छूट से किनारा कर लिया है, लेकिन पूर्व सांसद अभी भी ट्रेनों के एसी कोच में मुफ्त में सफर करने के हकदार बने हुए हैं.

पेंशन के मामले में पूर्व एमएलए हैं राजा

पेंशन के मामले में पूर्व विधायकों का तो कुछ कहना ही नहीं है. वे इस मामले में पूर्व सांसदों से भी आगे हैं. पूर्व विधायकों का पेंशन अलग-अलग राज्य में अलग-अलग है. आम तौर पर कोई भी नेता जितनी बार एमएलए बनता है, उसका पेंशन उस हिसाब से बढ़ते जाता है. कई राज्यों में तो ऐसी स्थिति है कि पूर्व विधायक सांसदों से ज्यादा पेंशन पाते हैं. ऐसे सूबों की संख्या 20 है. देश में 8 राज्यों ने पूर्व विधायकों को कितना पेंशन मिल सकता है, इसके लिए अधिकतम सीमा तय कर रखी है. कुछ राज्यों में कार्यकाल की समय सीमा भी तय की गई है. ओडिशा में एक साल, सिक्किम और त्रिपुरा में 5 साल और असम में ये सीमा 4 साल है. यानी इतने साल तक विधायक रहने पर ही पेंशन के हक़दार होंगे. गुजरात एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां पूर्व विधायकों के लिए पेंशन की व्यवस्था नहीं है.

पंजाब में 'वन एमएलए, वन पेंशन'

मार्च 2022 में पंजाब में भगवंत मान की अगुवाई में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी.  मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पंजाब में पूर्व विधायकों के लिए पेंशन से जुड़ा अभूतपूर्व फैसला लिया. उन्होंने एक विधायक एक पेंशन योजना लागू कर दिया. इसके लिए 30 जून 2022 को पंजाब विधानसभा से कानून पारित करवाया. अगस्त 2022 में इसे राज्यपाल से मंजूरी मिली. उससे पहले हालात ऐसे थे कि पंजाब में कई पूर्व विधायकों को 5 से 6 लाख रुपये महीने तक की पेंशन मिल रही थी. बाकी राज्यों की तरह पहले पंजाब के पूर्व विधायकों को कार्यकाल के मुताबिक पेंशन मिलती थी. इससे ज्यादा बार एमएलए रहे लोगों के हिस्से में लाखों रुपये तक की पेंशन आ रही थी.अगर कोई 10 बार विधायक रह चुका है, तो उसका पेंशन साढ़े 6 लाख रुपये से भी ज्यादा हो जाता था. नए कानून से अब पंजाब में पूर्व विधायकों को हर महीने बतौर पेंशन 75,150 रुपये ही मिलने का प्रावधान कर दिया गया है, भले ही वे कई बार एमएलए रहे हों. नई व्यवस्था से अगले 5 साल के भीतर पंजाब को 80 करोड़ रुपये से ज्यादा की बचत होने का अनुमान है. पंजाब में फिलहाल करीब 325 पूर्व विधायक हैं, जो पेंशन का लाभ उठा रहे हैं. इनमें से कई ऐसे हैं जो कई बार विधायक रह चुके हैं. अब इन सभी को 'वन एमएलए वन पेंशन' योजना के तहत एक समान पेंशन मिलेगी.

हरियाणा में पेंशन पर मोटी रकम खर्च

हरियाणा सरकार ने भी 2018 में पूर्व विधायकों के पेंशन को तर्कसंगत बनाने की कोशिश की. इसके लिए विधानसभा से एक कानून भी बनवाया. लेकिन इसके बावजूद वहां 'वन एमएलए वन पेंशन' का फॉर्मूला लागू नहीं हो पाया. हरियणा सरकार को पूर्व विधायकों की पेंशन पर मोटी रकम खर्च करनी पड़ती है.2020 के आंकड़ों के मुताबिक हरियाणा में 286 पूर्व विधायकों पर पेंशन मद में हर महीने ढाई करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च हो रहा था. यानी हरियाणा सरकार उस वक्त इस मद में 30 करोड़ खर्च कर रही थी. 

राजस्थान में भी मिलती है मोटी रकम

राजस्थान में एक बार विधायक बन जाने पर कोई शख्स प्रति महीने 35 हजार रुपये पेंशन का हकदार बन जाता है. दो या उससे ज्यादा बार एमएलए बनने पर उसकी पेंशन में इजाफा होते जाता है. दूसरी बार एमएलए बनने पर पेंशन में 8 हजार रुपये की बढ़ोत्तरी हो जाती है. ऐसे ही हर बार 8-8 हजार रुपये की राशि बढ़ते जाती है. पू्र्व विधानसभा अध्यक्ष सुमित्रा सिंह 9 बार विधायक रही हैं और इस हिसाब से करीब एक लाख रुपये पेंशन पाने की हकदार हैं. 2022 के आंकड़ों के मुताबिक राजस्थान में 483 पूर्व विधायकों पर राज्य सरकार 37 करोड़ रुपये खर्च कर रही थी.

बिहार, महाराष्ट्र में भी भारी खर्च

बिहार में भी पूर्व विधायकों को पूर्व सांसदों की तुलना में हर महीने ज्यादा पेंशन मिल रही है. वहां पूर्व एमएलए को हर महीने 35 हजार रुपये पेंशन मिलती है. बिहार में एक हजार से ज्यादा पूर्व विधायक पेंशन का लाभ उठा रहे हैं और इनपर हर साल 60 करोड़ से ज्यादा का सरकारी खर्च हो रहा है. महाराष्ट्र सरकार विधानसभा के 668 पूर्व विधायकों और विधानपरिषद के 144 पूर्व विधायकों की पेंशन का खर्च उठा रही है. यहां पांच साल का कार्यकाल पूरा होने पर हर महीने 50 हजार रुपये पबेंसन दी जाती है. इससे ज्यादा अवधि होने पर हर साल के लिए दो हजार रुपये के अनुपात में हर महीने ज्यादा पेंशन दी जाती है. महाराष्ट्र विधानसभा के 668 पूर्व एमएलए में से 368 को 50 से 60 हजार रुपये तक की पेंशन मिल रही है. महाराष्ट्र में पूर्व विधायकों की पेंशन पर सालाना 75 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च होता है.  
  
पेंशन पर सालाना 500 करोड़ का खर्च

ऐसे तो कोई सरकारी आंकड़ा नहीं है जिससे पता चल सके कि पूर्व सांसदों और पूर्व विधायकों की पेंशन पर सालाना कितनी राशि खर्च हो रही है. लेकिन एक अनुमान के मुताबिक इस मद में सालाना 500 करोड़ से ज्यादा की राशि खर्च हो रही है.

कोर्ट में पहुंचते रहा है मामला

पूर्व सांसदों और विधायकों की पेंशन का मुद्दा कोर्ट में पहुंचते रहा है. ऐसा ही एक मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट से खारिज होने के बाद 2017 में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. एक एनजीओ की याचिका में पूर्व सांसदों की पेंशन और सुविधाओं को संविधान के अनुच्छेद 14 के खिलाफ बताया गया था. इसमें मांग की गई थी कि पेंशन और बाकी सुविधाओं से जुड़े सभी कानूनों को रद्द कर दिया जाए. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने 16 अप्रैल 2018 को इसे नीतिगत मामला बताते हुए गैर सरकारी संगठन की याचिका को खारिज कर दिया था और इस मामले को विधायिका का अधिकार क्षेत्र बताते हुए दखल देने से इंकार कर दिया था.  

सांसद-विधायक को ज्यादा तरजीह क्यों?

सरकारी कर्मचारियों को नई पेंशन स्कीम यानी नेशनल पेंशन सिस्टम में निवेश करने पर ही रिटायरमेंट के बाद पेंशन मिल पाती है. लेकिन पूर्व सांसदों और विधायकों के लिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं है. एक दिन भी सांसद या विधायक रहने पर भी वे ताउम्र पेंशनके हक़दार हो जाते हैं. कई सारे सांसद और विधायक बेहद अमीर होते हैं. उनके लिए पेंशन ज्यादा मायने नहीं रखता, लेकिन फिर भी उनको ये सुविधा मिलती है. हालांकि ऐसे भी बहुत उदाहरण हैं कि कई सांसद और विधायकों की आर्थिक स्थिति उतनी अच्छी नहीं होती. इस लिहाज से भविष्य में पेंशन को ऐसे सांसदों और विधायकों के लिए तो बना रखा जाना चाहिए, जिनकी आर्थिक हैसियत उतनी अच्छी नहीं है. इस बात को ध्यान में रखकर संतुलन बनाने की कोशिश की जा सकती है. 

एमपी-एमएलए पेंशन क्यों नहीं बन पाता मुद्दा?

चुनाव में पुरानी पेंशन व्यवस्था तो मुद्दा बन जाता है, राज्यों में चुनाव के पहले राजनीतिक दल नए की जगह पुरानी पेंशन व्यवस्था को लागू करने का वादा भी करते हैं और आगामी चुनावों में करेंगे भी.  हाल ही में कांग्रेस की सरकार ने हिमाचल प्रदेश में ओपीएस को लागू करने का फैसला किया है. झारखंड, पंजाब, छत्तीसगढ़ और राजस्थान समेत कई विपक्ष शासित राज्यों ने ओल्ड पेंशन स्कीम में वापसी की घोषणा कर दी है. अब तो बीजेपी गठबंधन वाली महाराष्ट्र सरकार ने भी इस दिशा में कदम बढ़ाने के संकेत दे दिए हैं. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने 21 जनवरी को कहा था कि राज्य सरकार शिक्षकों और सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को लेकर सकारात्मक है और राज्य शिक्षा विभाग ओपीएस का अध्ययन कर रहा है. लेकिन सवाल उठता है कि पूर्व सांसदों और पूर्व एमएलए के पेंशन को तर्कसंगत बनाने के लिए कोई भी राजनीतिक दल आगे कदम क्यों नहीं बढ़ाते. बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने कहा भी था कि सांसदों को खुद से ही पेंशन का त्याग कर सरकारी खजाने पर पड़ने वाले बोझ को कम करने की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए. लेकिन ऐसा होते नहीं दिखा.

ये तो स्पष्ट है कि मौजूदा वक्त में पूर्व सांसदों और विधायकों को उनके कार्यकाल के हिसाब से पेंशन सुविधा के नाम पर एक बड़ी राशि मिलती है और इससे सरकारी खजाने पर दबाव भी बढ़ रहा है. कई पूर्व सांसदों और एमएलए को तमाम सुविधाओं के साथ हर महीने लाखों रुपये की पेंशन मिल रही है. आने वाले वक्त में सरकारी कर्मचारियों की तरह इन्हें भी किसी नए पेंशन स्कीम के दायरे में लाया जाएगा या नहीं, ये देखने वाली बात होगी. लेकिन विधायिका के लिए सवाल बनता है कि क्या आम नागरिकों को मिलने वाली पेंशन और पूर्व सांसदों-एमएलए की पेंशन में तर्कसंगत संतुलन बनाने का वक्त आ गया है.  

ये भी पढें:

बीजेपी के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर मोर्चा बनाने के चक्कर में केसीआर तेलंगाना की सत्ता से न धो बैठें हाथ

View More

ओपिनियन

Sponsored Links by Taboola
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h

टॉप हेडलाइंस

PM मोदी को बेंजामिन नेतन्याहू ने किया फोन, आतंकवाद समेत कई मुद्दों पर हुई बात
PM मोदी को बेंजामिन नेतन्याहू ने किया फोन, आतंकवाद समेत कई मुद्दों पर हुई बात
'आपके हिसाब से नहीं चलेगी संसद...', लोकसभा में भयंकर बहस, राहुल गांधी ने टोका तो अमित शाह ने दिया जवाब
'आपके हिसाब से नहीं चलेगी संसद...', लोकसभा में भयंकर बहस, राहुल ने टोका तो अमित शाह ने दिया जवाब
ब्लैक ड्रेस, डायमंड जूलरी और आंखों पर चश्मा... फिल्म फेस्टिवल से आलिया भट्ट का किलर लुक वायरल, देखें तस्वीरें
ब्लैक ड्रेस, डायमंड जूलरी और आंखों पर चश्मा... आलिया भट्ट का किलर लुक वायरल
बुमराह या नसीम शाह, 1 ओवर में 10 रन बचाने के लिए किसे ओवर देंगे? बाबर आजम के जवाब से दुनिया हैरान
बुमराह या नसीम शाह, 1 ओवर में 10 रन बचाने के लिए किसे ओवर देंगे? बाबर आजम के जवाब से दुनिया हैरान
ABP Premium

वीडियोज

Aniruddhacharya Controversy: 'बेशर्म' बोल पर लगेगा ब्रेक?  | ABP News | Khabar Gawah Hai
Tanya Mittal Interview, BB19 Grand Finale, Neelam Giri और Gaurav Khanna पर खास बातचीत
IndiGo Flight Crisis: 5000 Flights Cancel! क्या आपका Refund भी फंसा है? |Paisa Live
IPO Alert: Nephrocare Health IPO  में Invest करने से पहले जानें GMP, Price Band, subscription status
Census 2027 High Tech: Real Time Monitoring से बदल जाएगा पूरा System | Paisa Live

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
PM मोदी को बेंजामिन नेतन्याहू ने किया फोन, आतंकवाद समेत कई मुद्दों पर हुई बात
PM मोदी को बेंजामिन नेतन्याहू ने किया फोन, आतंकवाद समेत कई मुद्दों पर हुई बात
'आपके हिसाब से नहीं चलेगी संसद...', लोकसभा में भयंकर बहस, राहुल गांधी ने टोका तो अमित शाह ने दिया जवाब
'आपके हिसाब से नहीं चलेगी संसद...', लोकसभा में भयंकर बहस, राहुल ने टोका तो अमित शाह ने दिया जवाब
ब्लैक ड्रेस, डायमंड जूलरी और आंखों पर चश्मा... फिल्म फेस्टिवल से आलिया भट्ट का किलर लुक वायरल, देखें तस्वीरें
ब्लैक ड्रेस, डायमंड जूलरी और आंखों पर चश्मा... आलिया भट्ट का किलर लुक वायरल
बुमराह या नसीम शाह, 1 ओवर में 10 रन बचाने के लिए किसे ओवर देंगे? बाबर आजम के जवाब से दुनिया हैरान
बुमराह या नसीम शाह, 1 ओवर में 10 रन बचाने के लिए किसे ओवर देंगे? बाबर आजम के जवाब से दुनिया हैरान
Kidney Damage Signs: आंखों में दिख रहे ये लक्षण तो समझ जाएं किडनी हो रही खराब, तुरंत कराएं अपना इलाज
आंखों में दिख रहे ये लक्षण तो समझ जाएं किडनी हो रही खराब, तुरंत कराएं अपना इलाज
घरेलू एयरलाइंस में कितने पायलट, अब विदेशी पायलटों को भारत में कैसे मिल सकती है नौकरी?
घरेलू एयरलाइंस में कितने पायलट, अब विदेशी पायलटों को भारत में कैसे मिल सकती है नौकरी?
गर्म पानी और शहद पीने से होते हैं बड़े फायदे, टॉप-10 तुरंत कर लें नोट
गर्म पानी और शहद पीने से होते हैं बड़े फायदे, टॉप-10 तुरंत कर लें नोट
कितनी है IndiGo के सीईओ की सैलरी? रकम जान नहीं होगा यकीन
कितनी है IndiGo के सीईओ की सैलरी? रकम जान नहीं होगा यकीन
Embed widget