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BLOG: 250 फिल्मों और सीरियल में काम कर चुकीं शम्मी आंटी की विदाई

शम्मी आंटी के पुत्र इकबाल रिज़वी बताते हैं - उनकी मां का असली नाम नर्गिस रबाड़ी था. लेकिन तब नर्गिस एक मशहूर अभिनेत्री थीं और नर्गिस जी , उनकी मां को अपनी बहन जैसा ही मानती थीं.

बात नवम्बर 1980 की है. दिल्ली में यश चोपड़ा की फिल्म ‘सिलसिला’ की शूटिंग चल रही थी. अमिताभ बच्चन, रेखा और जया बच्चन जैसे सितारे दिल्ली के होटल ओबेरॉय में रुके हुए थे. अपने पुत्र अमिताभ के साथ उनके पिता और सुप्रसिद्द कवि डॉ हरिवंश राय बच्चन भी आये हुए थे. मैं उन्हीं के साथ उनके कमरे में बैठा था. अभिषेक और श्वेता भी उसी कमरे में खेल रहे थे. तभी उस कमरे में अचानक किसी महिला के साथ जया बच्चन ने प्रवेश किया. बच्चन जी सहित मैं भी उनके सम्मान में खड़े हो गए. तभी बच्चन जी ने मेरा परिचय जया बच्चन के साथ आई उन महिला से कराते हुए कहा कि यह वरिष्ठ फिल्म अभिनेत्री शम्मी जी हैं,आपने इन्हें पुरानी फिल्मों में भी देखा होगा. अब भी यह बहुत सी फिल्मों में काम करती रहती हैं. शम्मी आंटी से मेरा यह पहला व्यक्तिगत परिचय था. लेकिन माननीय बच्चन जी द्वारा शम्मी आंटी से करायी मेरी वह पहली मुलाकात मुझे आज भी याद है. अब जब अमिताभ बच्चन के ट्विटर के माध्यम से मैंने शम्मी आंटी के निधन का समाचार सुना तो मुझे वह मुलाकात तो फिर से ताजा हो आई. साथ ही उनके साथ बाद में हुयी बहुत सी बातें भी जहन में उभरने लगीं. असल में शम्मी आंटी ने फिल्मों और सीरियल में बहुत काम किया है. लेकिन 89 वर्षीय शम्मी आंटी का 5 मार्च को रात साढ़े 11 बजे निधन हो गया. पिछले कुछ समय से वह वृद्धावस्था के कारण कुछ बीमार थीं. लेकिन इस सबके बावजूद कुछ दिन पहले तक वह पूरी तरह एक्टिव थीं. शम्मी जी के बारे में एक बड़ी बात यह रही कि उन्हें जहाँ पूरा फिल्म और टीवी उद्योग पूरा सम्मान देता रहा, वहां सिल्वर स्क्रीन की कई बड़ी नायिकाएं उनकी ख़ास दोस्त रहीं. इनमें नर्गिस से लेकर नंदा और साधना तक वे नाम भी हैं जो अब इस दुनिया में नहीं हैं. साथ ही वहीदा रहमान, आशा पारेख और हेलन जैसी अभिनेत्रियों के साथ उनकी गहरी दोस्ती रही. यहाँ तक जया बच्चन, डेजी ईरानी और सायरा बानो के साथ भी शम्मी आंटी के साथ काफी अच्छे सम्बन्ध रहे. वहीदा, आशा और हेलन जैसी लिजेंड्स अभिनेत्रियों के साथ तो शम्मी आंटी की दोस्ती का आलम यह रहा कि ये सभी हफ्ते में एक बार तो कभी किसी के घर या किसी रेस्तरा में मिलते ही थे और गप शप करने के साथ लंच या डिनर साथ ही करते थे. फिर इस ‘मित्र मण्डली’ में से किसी का जन्म दिन हो तो उसका सेलिब्रेशन भी साथ होता नर्गिस से बनीं शम्मी शम्मी आंटी के पुत्र इकबाल रिज़वी बताते हैं - उनकी मां का असली नाम नर्गिस रबाड़ी था. लेकिन तब नर्गिस एक मशहूर अभिनेत्री थीं और नर्गिस जी , उनकी मां को अपनी बहन जैसा ही मानती थीं. जब 1951 में गायक मुकेश ने निर्माता के रूप एक फिल्म ‘मल्हार’ का निर्माण किया तो उन्होंने इस फिल्म में नर्गिस रबाड़ी, मोती सागर और अर्जुन को लीड रोल में लिया. इस फिल्म में नर्गिस रबाड़ी के चरित्र का नाम शम्मी था तो फिल्म के निर्देशक हरीश ने इनका नाम शम्मी ही रख दिया. बस तभी से नर्गिस रबाड़ी शम्मी बन गयीं. आगे चलकर सम्मान के तौर पर सभी उन्हें शम्मी आंटी कहने लगे और वह इसी नाम से मशहूर हो गयीं. शम्मी आंटी ने कुछ फ़िल्में बतौर नायिकाएं की मगर बाद में उन्हें सहायक अभिनेत्री और फिर चरित्र भूमिकाएं मिलने लगीं. करीब 250 फिल्मों में काम करने वाली शम्मी की जोड़ी एक समय अभिनेता प्राण के साथ बहुत लोकप्रिय हुयी थी. इन फिल्मों में ‘हाफ टिकट’ और ‘आज़ाद’ जैसी फ़िल्में शामिल हैं.इन फिल्मों के माध्यम से शम्मी की नृत्य प्रतिभा भी सामने आई. शम्मी आंटी को यह सौभाग्य रहा कि उन्हें दिलीप कुमार और अमिताभ बच्चन जैसे दिग्गज सितारों के साथ अन्य बहुत से नए पुराने अभिनेताओं के साथ काम किया. वह गंभीर भूमिकाओं में भी ज़मीं और कॉमिक रोल में भी. शम्मी आंटी की प्रमुख फिल्मों में जहाँ- संगदिल, दिल अपना और प्रीत परायी, मुसाफिरखाना, आग का दरिया,पहली नज़र,मुन्ना, लगन,रुखसान, बागी और इत्तेफाक जैसी बहुत सी फ़िल्में हैं. वहां अमिताभ बच्चन के साथ भी शम्मी आंटी ने हम और खुदा गवाह जैसी कई फ़िल्में की हैं. इनके अलावा उन्होंने ‘अर्थ’, ‘दिल है कि मानता नहीं’ और ‘द बर्निंग ट्रेन’ जैसी फिल्मों में भी काम किया. उनकी अंतिम फिल्म सन 2012 में आई ‘शीरी फ़रियाद की तो निकल पड़ी’ थी. फिल्मों के साथ सीरियल भी मुंबई में पारसी परिवार में 26 अप्रैल 1931 को जन्मी नर्गिस (शम्मी) ने अपनी जिंदगी को भरपूर जिया. वह हमेशा खुश रहती थीं. यहाँ तक विपरीत परिस्थितियों में भी कैसे खुश रहा जाए इसका सलीका भी उन्हें अच्छे से आता था. हालांकि उनका वैवाहिक जीवन सफल नहीं रहा. फिल्मकार सुलतान अहमद से उनकी शादी हुयी लेकिन यह शादी सिर्फ सात साल चल पायी. लेकिन इसके बाद भी शम्मी आंटी ने अपनी जिंदगी से कोई गिला शिकवा न करके अपने काम पर ध्यान दिया. उन्हें पढ़ने का भी बहुत शौक था और आध्यात्मिक पुस्तकें तो वह हमेशा पढ़ती थीं. कुछ बरस पहले उन्होंने खुद को काम में व्यस्त रखने के लिए सीरियल में भी काम करना शुरू कर दिया था. जिसकी अच्छी शुरुआत अमिताभ बच्चन-जया बच्चन की टीवी सीरियल प्रोडक्शन कम्पनी ‘सरस्वती ऑडियो विजुअल’ के सीरियल ‘देख भाई देख’ से हुयी. इस सीरियल में शम्मी आंटी छोटी नानी के रूप में इतनी लोकप्रिय हुयीं कि उन्हें बहुत से हास्य सीरियल मिलने लगे. इनमें- जबान संभाल के,श्रीमान श्रीमती और कभी ये कभी वो जैसे सीरियल शामिल हैं. बाद में शम्मी आंटी ने आशा पारिख के साथ मिलकर खुद भी सीरियल बनाना शुरू कर दिया. आशा पारिख के लगभग तमाम सीरियल दाल में काला, कंगन.बाजे पायल, कुछ पल साथ हमारा और कोरा कागज़ में शम्मी आंटी भी सह निर्माता थीं. आशा पारिख के साथ शम्मी आंटी का दोस्ती और बिजनेस के साथ और भी एक ख़ास रिश्ता रहा है.यूँ आशा पारिख,शम्मी आंटी से 16 बरस छोटी हैं. असल में शम्मी आंटी, आशा पारिख की मां सुधा पारिख की दोस्त थीं. एक बार सुधा पारिख बीमार पड़ी तो उन्होंने शम्मी से कहा कि आशा ने शादी नहीं की, मुझे चिंता है कि मेरे बाद उसकी देखभाल कौन करेगा. शम्मी आंटी ने कहा- “जब तक मैं जिंदा रहूंगी मैं उसकी देखभाल करुँगी.” शम्मी आंटी ने अपना यह वायदा अंतिम सांस तक निभाया. शम्मी आंटी के निधन पर भी आशा पारिख, वहीदा रहमान, हेलन तो मौजूद थी हीं साथ ही प्रिया दत्त, बमन ईरानी और फराह खान जैसी कुछ और हस्तियाँ भी शामिल थीं. मैंने आशा पारिख से शम्मी आंटी के साथ उनके संबंधों और यादों को लेकर बात की तो वह काफी उदास थीं. उन्होंने बताया- “मेरी बहुत ही प्यारी दोस्त थी वह, हर हफ्ते मेरे घर आती थी.हम लोग साथ पिक्चरें देखते थे, रेस्टोरेंट में जाकर साथ खाना खाते थे. पर अफ़सोस अब उनका साथ छूट गया. वह हमेशा हंसती हंसाती रहती थी. सभी के दुःख में पहुँच जाती थी. खूब जोक्स मारती थी. पिछले दो महीने से बीमार होने के कारण वह अब हमारे यहाँ नहीं आ पा रही थी.लेकिन तीन दिन पहले ही मैं उसके घर उससे मिलने गयी थी,पर वह बेहोश थी. उसके जाने का बहुत गम है. एक अच्छी दोस्त तो चली गयी. अब उसकी बातें, उसकी खिल खिलाहट और उसके जोक्स हमेशा याद आयेंगे.” लेखक से ट्विटर पर जुड़ने के लिए क्लिक करें- https://twitter.com/pradeepsardana और फेसबुक पर जुड़ने के लिए क्लिक करें- https://www.facebook.com/pradeep.sardana.1
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