एक्सप्लोरर

आवाज़ के शहंशाह अमीन सयानी दुनिया से जाने से पहले एक बेहद खास काम पूरा करना चाहते हैं

आवाज़ और रेडियो की दुनिया में अमीन सयानी एक ऐसा नाम है, जिन्होंने अपनी आवाज़ और अंदाज़ से रेडियो की दुनिया ही बदल दी थी. रेडियो सिलोन और फिर विविध भारती पर प्रसारित उनके ‘बिनाका गीतमाला’ कार्यक्रम की 40 बरस से भी ज्यादा तक, देश में ही नहीं दुनिया के कई देशों में भी धूम रही. आज 21 दिसंबर को अपने 88 वें जन्म दिन पर वह कैसे हैं और अब उनका क्या सपना है. उस सब को लेकर पढ़ें वरिष्ठ पत्रकार और फिल्म समीक्षक प्रदीप सरदाना का ब्लॉग.

अपनी जादुई आवाज़ और मस्त मस्त अंदाज़ से बरसों दुनिया के कई देशों के श्रोताओं के दिलों पर राज करने वाले, अमीन सयानी आज 88 बरस के हो गए अमीन सयानी देश के ऐसे पहले रेडियो स्टार रहे हैं, जिनके सामने बड़े बड़े फिल्म स्टार भी अपना सलाम मारते थे. अपनी सेहत से जुड़ी कुछ मुश्किलों के कारण पिछले कुछ बरसों से वह कुछ खास नया नहीं कर पा रहे. लेकिन एक जमाना था जब अपने ‘बिनाका गीत माला’ कार्यक्रम के माध्यम से आवाज़ के इस शहंशाह ने अपने नाम और काम की धूम मचा दी थी.

यह सयानी की मधुर आवाज़ की कशिश ही है कि आज भी लोग उनके दीवाने हैं. उनके कुछ पुराने कार्यक्रम ‘सारेगामा कारवां’ आदि के माध्यम से आज भी अच्छे खासे लोकप्रिय हैं. इधर पिछले कुछ समय से कुछ ‘शरारती तत्व’ उनके निधन की झूठी और शर्मनाक खबर फैलाते रहे हैं. लेकिन सयानी कहते हैं- “शुक्र है, मैं आज भी ज़िंदा हूं.”

यूं अमीन सयानी से मेरी बातचीत अक्सर होती रही है. पीछे मैं उनसे मुंबई जाकर भी मिला तो उनसे देर तक बहुत सी बातें कीं. हालांकि, अब वह काफी कुछ भूलने भी लगे हैं. लेकिन उनकी आवाज़ आज भी लाजवाब है. उनसे बात करके दिल खुश हो जाता है. अभी उनके 88 वें जन्म दिन पर मैंने उन्हें बधाई दी तो वह खुश हुए और बोले- “बहुत बहुत शुक्रिया. आप भी परिवार के साथ खुश रहें, और अपने काम से खूब धूम मचाएं.’’

इस बार की बातचीत में अमीन सयानी ने मुझे अपने दिल की वह बात बताई जो वह अब जल्द पूरा करना चाहते हैं. उनकी बात चीत में जहां उनके अब तक के अपने काम काज को लेकर एक संतोष था. वहां एक दर्द और टीस भी थी. अमीन सयानी कहते हैं- “अब काम नहीं कर पा रहा हूँ. मेरा एक कान तो पहले ही खराब था. अब दूसरे कान से भी कम सुनाई देता है. वह भी मेरी तरह बूढ़ा हो गया है. फिर भी जैसे तैसे काम चला रहा हूं. बात करने में मुश्किल है फिर भी आपसे बातचीत करने की कोशिश करूंगा.”

मैंने उनसे कहा, आपने इतना काम किया है कि उसे भुलाया नहीं जा सकता. पीछे भी आप अपने पुराने काम को संजोते रहे, वह सब धीरे-धीरे किसी न किसी नयी शक्ल में हमारे सामने आ रहा है. सयानी कहते हैं “आपकी बात ठीक है. लेकिन अब मैं दुनिया से जाने से पहले एक काम करना चाहता हूँ. हालांकि पता नहीं, इसे पूरा करने के लिए रहूंगा या नहीं. लेकिन आप दुआ कीजिये कि मुझे इतनी शक्ति मिले कि मैं ज़िंदा रहकर इसको पूरा कर सकूँ”.

मेरी तो दुआ आपके साथ हैं ही. साथ ही आपके दुनिअया भर में आज भी इतने चाहने वाले हैं कि उनकी दुआ भी आपके साथ हैं. लेकिन वह कौन सा काम है जो आप पूरा करना चाहते हैं ?

अब बस आत्मकथा लिखने का अरमान

अमीन साहब कहते हैं- “वह काम यह है कि अब मैं अपनी आत्मकथा लिखना चाहता हूँ. मैं चाहता हूँ कि अपनी ज़िंदगी की तमाम खास बातों को एक किताब के रूप में दुनिया के सामने रखूं जिससे आने वाली पीढ़ियां भी जान सकें कि मैंने किन किन संघर्ष और किन किन विकट परिस्थितियों के बावजूद भी कैसे सफलता पायी. मैं समझता हूं इससे लोगों को प्रेरणा मिलेगी और लोग मुझे भी याद रखेंगे.”

अमीन सयानी यह कहते कहते काफी भावुक हो जाते हैं. फिर कहते हैं- "अब मेरे गले में भी खराश रहने लगी है. जिससे मुझे रिकॉर्डिंग करने में भी दिक्कत होती है. साथ ही दुख यह है कि मैं अब अपनी बहुत सी बातों को भूलने लगा हूं. इसलिए अब मैं इसी काम में लगा हूं. सब कुछ भूल जाऊं, उससे पहले वह किताब लिख लूं. बस मन में यह डर रहता है कि मेरा यह आखिरी सपना पूरा हो पाएगा या नहीं. मैं उनको कहता हूँ आप तो ज़िंदगी में कितने ही मुश्किल दौर से निकले है और उसके बाद भी आपने वह सफलता और लोकप्रियता पायी कि आज तक कोई और आपके पास नहीं पहुंच सका. इसलिए आप अब भी सफल होंगे और आपकी यह मुराद जरूर पूरी होगी. लेकिन क्या आपने किताब लिखना शुरू कर दिया है?

सयानी साहब बताते हैं- “लिखना बस अब शुरू करना है. मैंने अभी अपनी ज़िंदगी की कहानी लिखने के लिए सारे पुराने दस्तावेज़ और बहुत सी सामग्री एकत्र कर ली है. अब काफी कुछ सब एक जगह आ गया है. इससे लिखने में दिक्कत नहीं आएगी.”

अपनी मोहब्बत की कहानी भी बताएँगे

आप अपनी आत्मकथा में खास खास क्या देना चाहेंगे इसकी रूप रेखा तो आपने तैयार कर ली होगी. मेरे इस सवाल पर सयानी कहते हैं – “बिलकुल वह सब खाका मेरे दिमाग में तय है. मैं इसकी शुरुआत अपने बचपन से करूंगा. अपने घर परिवार की बातों के बारे में बताने के साथ वह घटना लिखूंगा जब मुझे अपनी चार-पाँच साल की उम्र में इंगलेंड जाना पड़ा. वहाँ क्यूँ जाना पड़ा और वहाँ क्या हुआ यह किताब में बताऊंगा. फिर अपनी पहली रिकॉर्डिंग से लेकर अपने ग्वालियर के सिंधिया स्कूल और फिर मुंबई लौटकर अपने कॉलेज की बातें. जिसमें मैं अपनी ज़िंदगी के उस अहम हिस्से को खास तौर से विस्तार से लिखूंगा, जब जवानी के दिनों में एक कश्मीरी पंडित लड़की से मुझे मोहब्बत हो गयी. बाद में वही लड़की मेरी पत्नी बनी. यहाँ यह भी बता दूँ कि मेरे साथ शादी करने के लिए उस लड़की ने न अपना नाम बदला और न अपना धर्म. उनका नाम रमा था, अंत तक रमा ही रहा. असल में, मैं शुरू से सर्व धर्म का समर्थक रहा हूँ. सभी धर्मों में विश्वास रखता हूँ. सभी धर्मों की जो भी अच्छी अच्छी और ख़ास बातें हैं, उनका उल्लेख मैं सभी जगह करता रहता हूँ.

सिंधिया स्कूल में जहां मैं पढ़ा वहाँ बहुत बड़ा किला था. जहां तीन चार मंदिर थे, दो तीन मस्जिद थीं. और गुरुद्वारा और चर्च भी थे. शाम को हम सभी धर्मों के लोग मिलते थे. बातचीत करते थे. गीत गाते थे. वहाँ एक थिएटर भी था जहां हम नाटक करते थे. हॉकी, फुटबॉल, बॉक्सिंग, कुश्ती आदि खेलते थे.’’

बता दें 21 दिसम्बर 1932 को मुंबई में जन्मे अमीन सयानी का परिवार स्वतन्त्रता आंदोलन से जुड़ा था. वह तब सिर्फ 7 बरस के ही थे कि अपने भाई ब्रॉडकास्टर हामिद सयानी के साथ ऑल इंडिया रेडियो में पहली बार रेडियो प्रसारण को देखा था. उसी दिन से आवाज़ और अंदाज़ की यह दुनिया अमीन सयानी के दिल ओ दिमाग में ऐसे बसी कि कुछ बरस बाद ही वह खुद आवाज़ की दुनिया के सरताज बन गए. सयानी अपनी पुरानी बातों में भी मुझे बताते रहे हैं कि उनकी माँ कुलसुम और उनके भाई हामिद दोनों उनके गुरु रहे हैं. इनकी मां तो महात्मा गाँधी से प्रभावित थीं हीं, खुद अमीनसयानी भी गांधी जी को बहुत पसंद करते रहे हैं. लेकिन सयानी की ज़िंदगी की एक खास बात यह है कि वह 10 बरस के ही थे कि उन्हें सेहत सम्बन्धी कुछ बड़ी समस्याएँ हो गयीं. लेकिन सयानी ने इसकेबावजूद अपनी पढ़ाई को अच्छे से पूरा किया. उसके बाद 1952 में रेडियो सिलोन पर फिल्म गीतों का कार्यक्रम ‘बिनाका गीतमाला’ शुरू किया, तो पहले कार्यक्रम के बाद ही इनके पास श्रोताओं के 9 हज़ार पत्र आ गए. जो बाद में प्रति सप्ताह 50 हज़ार पत्र से भी ज्यादा तक पहुँच गए.

फिल्म गीतों को लोकप्रियता के नंबर देने की पहल

पहले करीब 40 बरस तक रेडियो सिलोन और फिर विविध भारती पर प्रसारित इस कार्यक्रम को दुनिया के कई देशों में बहुत चाव से सुना जाता रहा. फिल्म गीतों को उनकी लोकप्रियता का क्रम देने की पहली शुरुआत भी सयानी ने ही बिनाका गीतमाला के ‘हिट परेड’ से की. रेडियो सिलोन के ‘बिनाका गीतमाला’ कार्यक्रम ने 20 साल के अमीन सयानी की ज़िन्दगी बदल दी. इतनी कम उम्र में इतनी लोकप्रियता कि उनका नाम उन सभी घरों में एक प्रिय नाम बन गया, जिन घरों में रेडियो थे. जिससे रेडियो पर ऐसी पहली क्रान्ति आ गयी. इसी के बाद रेडियो मनोरंजन के बड़े माध्यम के रूप में लोकप्रिय हुआ. जबकि उस दौर में रेडियो सिलोन का प्रसारण बहुत साफ़ नहीं आता था. लगता था दूर से कोई आवाज़ हवा में झूमती लहराती आ रही है.

सयानी बताते हैं- “रेडियो सिलोन और बिनाका गीतमाला की यादों को लेकर मेरे पास बहुत से यादगार और दिलचस्प किस्से हैं. बड़े बड़े फिल्म सितारों से मेरी बातों-मुलाकातों का मेरी इस किताब में खुलकर ज़िक्र होगा. मेरा मतलब यह है कि किताब में वह सब लिखूंगा जो सभी को दिलचस्प लगे. फिर मैं अपनी किताब की कीमत भी ज्यादा नहीं रखूँगा. हालांकि कीमत प्रकाशक निर्धारित करते हैं. लेकिन मैं चाहूंगा कि मेरी पुस्तक का मूल्य 150 या 200 रूपये ही रहे. जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग इसे आसानी से खरीद सकें, पढ़ सकें. हालांकि यह बाद की बातें हैं. पहले यह किताब पूरी हो जाए, अभी तो बस यही तमन्ना है.’’

बहुत कम लोग जानते हैं की अमीन सयानी हिन्दी, अंग्रेजी और उर्दू के साथ गुजराती भाषा पर भी अपनी मजबूत पकड़ रखते हैं. इसलिए मैंने उनसे यह भी पूछा कि उनकी यह आत्मकथा किस भाषा में होगी और इसका नाम क्या होगा. इस पर वह बताते हैं-‘’मैं इसे अंग्रेजी में ही लिखूंगा. बाद में प्रकाशक सही समझेंगे तो इसे अन्य भाषाओं में अनुवाद कर सकेंगे. कुछ प्रकाशक मेरे पुराने दोस्त हैं. जो भी इसे प्रकाशित करेगा उससे बात करके बाकी फैसले लिए जायेंगे. जहाँ तक मेरी इस आत्मकथा के नाम की बात है वह पूरी तरह फाइनल तो नहीं है. लेकिन मैंने अभी जो नाम सोचा है, वह है- ‘माय लाइफ– गार्लेंड ऑफ़ सांग्स’.(मेरा जीवन -गीतों की माला). जिसमें मेरे ‘बिनाका गीतमाला’ की झलक भी मिलती है. अपनी इस किताब को लेकर अमीन साहब की बातों से साफ़ है कि इसको लेकर उनके मन में कई अरमान है, और वह काफी उत्साहित हैं. लेकिन थोड़ा आशंकित भी कि बढ़ती उम्र और सेहत से जुड़ी समस्याओं के चलते वह अपना यह सपना पूरा कर पायेंगे या नहीं. लेकिन हम दुआ करेंगे कि वह सेहतमंद रहें और भी लम्बी उम्र पायें. साथ ही अपनी ज़िन्दगी के इस ख्वाब को भी वह जल्द से जल्द पूरा कर सकें. अमीन सयानी साहब आपको जन्म दिन पर बहुत बहुत शुभकामनाएं और बधाई.

लेखक से ट्विटर पर जुड़ने के लिए क्लिक करें- https://twitter.com/pradeepsardana और फेसबुक पर जुड़ने के लिए क्लिक करें- https://www.facebook.com/pradeep.sardana.1

नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

View More

ओपिनियन

Sponsored Links by Taboola
Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

रूस की 14 करोड़ आबादी में कितने फीसदी मुस्लिम, तेजी से क्यों फैल रहा इस्लाम? जानें 2030 तक कितने होंगे मुसलमान
रूस की 14 करोड़ आबादी में कितने फीसदी मुस्लिम, तेजी से क्यों फैल रहा इस्लाम? जानें 2030 तक कितने होंगे मुसलमान
अजमेर दरगाह को बम से उड़ाने की धमकी, जांच में कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला
अजमेर दरगाह को बम से उड़ाने की धमकी, जांच में कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला
जिस आलीशान महल में होगा पुतिन का स्वागत, जानें क्या है उसकी कीमत, कितना लग्जीरियस है हैदराबाद हाउस?
जिस आलीशान महल में होगा पुतिन का स्वागत, जानें क्या है उसकी कीमत, कितना लग्जीरियस है हैदराबाद हाउस?
2025 में सबसे ज्यादा सर्च की गईं ये फिल्में, साउथ को पछाड़ बॉलीवुड ने मारी बाजी
2025 में सबसे ज्यादा सर्च की गईं ये फिल्में, साउथ को पछाड़ बॉलीवुड ने मारी बाजी
ABP Premium

वीडियोज

Indian Middle Class Debt Trap: बढ़ते Loan और घटती Savings की असल कहानी | Paisa Live
Putin India Visit: भारतीय मूल के रूस के विधायक Abhay Singh बोले, 'कोई देश नहीं टिक पाएगा' | PM Modi
Putin India Visit: भारतीय मूल के रूस के विधायक Abhay Singh बोले, 'कोई देश नहीं टिक पाएगा' | PM Modi
Putin India Visit: Delhi में पुतिन की यात्रा से पहले रुस हाऊस में फोटों प्रदर्शन | abp #shorts
Delhi Pollution: 'किस मौसम का मजा लें' | Priyanka Gandhi | abp  #shorts

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
रूस की 14 करोड़ आबादी में कितने फीसदी मुस्लिम, तेजी से क्यों फैल रहा इस्लाम? जानें 2030 तक कितने होंगे मुसलमान
रूस की 14 करोड़ आबादी में कितने फीसदी मुस्लिम, तेजी से क्यों फैल रहा इस्लाम? जानें 2030 तक कितने होंगे मुसलमान
अजमेर दरगाह को बम से उड़ाने की धमकी, जांच में कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला
अजमेर दरगाह को बम से उड़ाने की धमकी, जांच में कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला
जिस आलीशान महल में होगा पुतिन का स्वागत, जानें क्या है उसकी कीमत, कितना लग्जीरियस है हैदराबाद हाउस?
जिस आलीशान महल में होगा पुतिन का स्वागत, जानें क्या है उसकी कीमत, कितना लग्जीरियस है हैदराबाद हाउस?
2025 में सबसे ज्यादा सर्च की गईं ये फिल्में, साउथ को पछाड़ बॉलीवुड ने मारी बाजी
2025 में सबसे ज्यादा सर्च की गईं ये फिल्में, साउथ को पछाड़ बॉलीवुड ने मारी बाजी
विजय हजारे ट्रॉफी में एक मैच खेलने का कितना पैसा लेंगे विराट कोहली? रकम जान आपके होश उड़ जाएंगे
विजय हजारे ट्रॉफी में एक मैच खेलने का कितना पैसा लेंगे विराट कोहली? रकम जान आपके होश उड़ जाएंगे
Explained: व्लादिमीर पुतिन का भारत दौरा कितना ऐतिहासिक, क्या रिश्ते और मजूबत होंगे, अमेरिका-यूरोप को जलन क्यों?
Explained: व्लादिमीर पुतिन का भारत दौरा कितना ऐतिहासिक, क्या रिश्ते और मजूबत होंगे, अमेरिका-यूरोप को जलन क्यों?
इस राज्य में महिलाओं को साल में 12 दिन की मिलेगी पीरियड्स लीव, जानें किस उम्र तक उठा सकती हैं फायदा?
इस राज्य में महिलाओं को साल में 12 दिन की मिलेगी पीरियड्स लीव, जानें किस उम्र तक उठा सकती हैं फायदा?
क्रिकेटर ऋचा घोष बनीं पश्चिम बंगाल पुलिस में DSP, जानें इस पद पर कितनी मिलती है सैलरी?
क्रिकेटर ऋचा घोष बनीं पश्चिम बंगाल पुलिस में DSP, जानें इस पद पर कितनी मिलती है सैलरी?
Embed widget