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UTTAR PRADESH (80)
43
INDIA
36
NDA
01
OTH
MAHARASHTRA (48)
30
INDIA
17
NDA
01
OTH
WEST BENGAL (42)
29
TMC
12
BJP
01
INC
BIHAR (40)
30
NDA
09
INDIA
01
OTH
TAMIL NADU (39)
39
DMK+
00
AIADMK+
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BJP+
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NTK
KARNATAKA (28)
19
NDA
09
INC
00
OTH
MADHYA PRADESH (29)
29
BJP
00
INDIA
00
OTH
RAJASTHAN (25)
14
BJP
11
INDIA
00
OTH
DELHI (07)
07
NDA
00
INDIA
00
OTH
HARYANA (10)
05
INDIA
05
BJP
00
OTH
GUJARAT (26)
25
BJP
01
INDIA
00
OTH
(Source: ECI / CVoter)
BLOG: नामुमकिन है सिर्फ दो गेंदबाजों के दम पर लगातार मैच जीतना
रांची वनडे में जीत और हार की वजह टॉप ऑर्डर की नाकामी के साथ साथ कुछ और भी रही. वो बड़ी वजह है प्लेइंग 11 में सिर्फ दो तेज गेंदबाज.
रांची में खेले गए तीसरे वनडे मैच में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 32 रनों से हरा दिया. इस जीत के साथ ही पांच वनडे मैचों का स्कोर अब 2-1 हो गया है. रांची में भारतीय टीम को जीत के लिए 314 रन बनाने थे. जवाब में भारतीय टीम 281 रन बनाकर ऑल आउट हो गई. इसमे कप्तान विराट कोहली का शानदार शतक शामिल है. उनकी 123 रनों की बहुमूल्य पारी टीम के काम नहीं आई. भारतीय टीम के टॉप ऑर्डर ने एक बार फिर बुरी तरह निराश किया.
शिखर धवन सिर्फ 1 रन बनाकर पवेलियन लौटे. जबकि रोहित शर्मा भी 14 रन ही बना पाए. इक्का दुक्का मैचों को छोड़ दें तो साल 2019 में इन दोनों बल्लेबाजों ने लगातार निराश किया है. टीम इंडिया के लिए निश्चित तौर पर ये चिंता का विषय है कि अगर सलामी बल्लेबाजों की जोड़ी इस बुरे फॉर्म से बाहर नहीं आई तो मुश्किल बढ़ जाएगी. पिछले डेढ़ दो साल के मुकाबले इस साल अचानक मिडिल ऑर्डर पर जीत दिलाने की जिम्मेदारी बढ़ गई है. हालांकि रांची वनडे में जीत और हार की वजह टॉप ऑर्डर की नाकामी के साथ साथ कुछ और भी रही. वो बड़ी वजह है प्लेइंग 11 में सिर्फ दो तेज गेंदबाज.
दो तेज गेंदबाजों से नहीं मिलती जीत
ये टीम के संतुलन का सवाल है. अभी टी-20 सीरीज में टीम इंडिया तीन विकेटकीपरों के साथ मैदान में उतर रही थी. जिसकी वजह से उसे एक दो मैच छोड़कर ज्यादातर मौकों पर हार का सामना करना पड़ा. कुछ ऐसी ही समस्या वनडे सीरीज में भी है. अब तक खेले गए तीनों वनडे मैचों में टीम इंडिया सिर्फ दो तेज गेंदबाजों के साथ मैदान में उतरी है. मोहम्मद शामी और जसप्रीत बुमराह ने तीनों वनडे मैच खेले हैं. रांची वनडे के लिए टीम में भुवनेश्वर कुमार की वापसी जरूर हुई थी लेकिन उन्हें प्लेइंग 11 में शामिल नहीं किया गया. विजय शंकर ने दूसरे वनडे में जीत जरूर दिलाई थी लेकिन उन्हें तीसरे ‘फुलटाइम’ गेंदबाज के तौर पर नहीं देखा जा सकता है.
आदर्श स्थिति में टीम में तीन सीमर होने चाहिए. जिससे अगर एक गेंदबाज का दिन अच्छा नहीं है तो दूसरा मैच को संभाल सके. अगर आप विजय शंकर के 8 ओवर में 44 रन के आंकड़े के साथ ये तर्क रखते हैं कि उन्होंने तो ज्यादा रन नहीं दिए तो आपको ये समझना होगा कि सिर्फ किफायती गेंदबाजी से काम नहीं चलता विरोधी टीम के विकेट भी चटकाने होते हैं. रांची में खेले गए वनडे में सबसे बड़ी मुसीबत ही यही रही कि भारतीय गेंदबाज कंगारुओं की सलामी जोड़ी को तोड़ने में नाकाम रहे. ऑस्ट्रेलिया का पहला विकेट 193 रनों पर गिरा. हालांकि पहला विकेट गिरने के बाद फिर भी गेंदबाजों ने बेहतर गेंदबाजी की और एक वक्त पर साढ़े तीन सौ रनों के आस-पास जाते स्कोर को 313 रनों पर रोक लिया.
पहले दो मैचों की जीत की वजह समझें
अगर आप पहले दोनों वनडे मैच में जीत के लिए दो तेज गेंदबाजों को ही चुनने की थ्योरी सही ठहराने की सोच रहे हैं तो रूकिए. पहले मैच में ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजी पूरी तरह फ्लॉप रही थी. दूसरे मैच में भी उनकी बल्लेबाजी नहीं सुधरी. बावजूद इसके दूसरे वनडे में जीत के लिए टीम इंडिया को एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा. विजय शंकर ने सूझबूझ भरी गेंदबाजी की और मैच जीता दिया. वरना तीसरे तेज गेंदबाज की कमी तो दूसरे वनडे में भी समझ आ रही थी. जब विराट कोहली के पास आखिरी ओवर फेंकने के लिए गेंदबाज के नाम पर कोई विकल्प ही नहीं था. विजय शंकर एक किस्म का जुआ था. जो चल गया.
हार्दिक पांड्या या विजयशंकर का टीम में होना निश्चित तौर पर फायदेमंद है. लेकिन तीन ‘फुलटाइम’ सीमर को रखने के बाद ही ये दोनों ऑलराउंडर कुछ कमाल कर सकते हैं. अगले दोनों वनडे मैचों में टीम मैनेजमेंट को इस बात का ध्यान रखना होगा कि प्रयोग करें लेकिन टीम के संतुलन को बरकरार रखकर. वरना विराट कोहली के शानदार शतकों का दर्द कम नहीं होगा.
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शशि शेखर, स्वतंत्र पत्रकारJournalist
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