Mauni Amavasya 2023: मौनी अमावस्या के दिन क्यों किया जाता है मौन व्रत? जानें यह पौराणिक मान्यता
Mauni Amavasya Date: मौनी अमावस्या के दिन भगवान विष्णु और शिव की पूजा की जाती है. माना जाता है इससे मोक्ष प्राप्ति के मार्ग खुलते हैं. इस दिन मौन व्रत रखने का विधान है.

Maghi Amavasya 2023 Rules: सनातन धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व माना जाता है. माघ माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली अमावस्या को माघ अमावस्या या मौनी अमावस्या कहते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मनुष्य को मौन रहना चाहिए और गंगा, यमुना या अन्य पवित्र नदियों, जलाशय अथवा कुंड में स्नान करना चाहिए.
इस बार मौनी अमावस्या 21 जनवरी को मनाई जाएगी. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन मनु ऋषि का जन्म हुआ था. इसलिए मनु शब्द से ही मौनी की उत्पत्ति मानी जाती है. माना जाता है कि मौनी अमावस्या के दिन गंगा नदी का जल अमृत के समान हो जाता है. इस दिन गंगाजल में देवताओं का वास होता है.
मौनी अमावस्या के दिन क्यों रहा जाता है मौन व्रत
शास्त्रों के अनुसार मन के देवता चंद्र देव हैं. अमावस्या के दिन चंद्रमा के दर्शन ना होने की वजह से मन की स्थिति बिगड़ने लगती है. इसलिए इस दिन मौन रहकर कमजोर मन को संयमित करने का विधान है. मान्यताओं के मुताबिक इस दिन व्रत रखकर मन ही मन ईश्वर का जाप और दान करना चाहिए.
इस दिन ऋषियों की तरह चुप रहने से उत्तम फलों की प्राप्ति होती है. इस दिन किसी को भी कटु शब्द कहने से भी बचना चाहिए. मौनी अमावस्या के दिन भगवान विष्णु और शिव दोनों की पूजा करने से मोक्ष प्राप्ति के मार्ग खुलते हैं. जो व्यक्ति मौन रखकर इस व्रत को पूरा करता है तो उसे मुनि पद की प्राप्ति होती है.
मौनी अमावस्या की पूजन विधि
मौनी अमावस्या के दिन स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व है. इस दिन प्रयागराज में गंगा स्नान करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है. मौनी अमावस्या के दिन सूर्योदय से पहले उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें.
पवित्र नदी में स्नान करना संभव ना हो तो पानी में गंगाजल की कुछ बूदें मिलाकर स्नान करें. स्नान करने के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें. फिर मंत्रों का जाप करें. इसके बाद किसी जरूरतमंद को अपनी क्षमता अनुसार दान कर के और खाना खिलाकर विदा करें.
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