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NASA ने जिसे अब खोजा, भारत के ऋषियों ने हजारों साल पहले बता दी थी ‘अतिचारी सिद्धांत’ की सच्चाई
NASA ने अब जो खगोलीय खोज की है, उसे भारत के ऋषि हजारों साल पहले 'गुरु के अतिचारी सिद्धांत' के रूप में बता चुके हैं. जानिए कैसे वैज्ञानिक अनुसंधान अब प्राचीन ज्योतिष को प्रमाणित कर रहा है.

NASA को अब पता चला, ऋषियों ने पहले ही बता दिया था, गुरु के ‘अतिचारी सिद्धांत’ की सच्चाई
Source : abplive
Atichari Guru 2025: बृहस्पति के तेज गति से राशि परिवर्तन करने को NASA अब खोज रहा है, जबकि भारत के ऋषि मुनियों ने इसे हजारों साल पहले ही समझ लिया था.
भारतीय ज्योतिषशास्त्र में जब बृहस्पति (Jupiter) अपनी सामान्य 12 महीनों की गति को तोड़कर तीव्र गति से राशि परिवर्तन करता है, तो उसे 'अतिचारी गुरु' कहा जाता है. इस सिद्धांत का उल्लेख बृहत संहिता, जातक पारिजात, फलदीपिका जैसे ग्रंथों में किया गया है. आइए इसे विस्तार से समझते हैं-
अतिचारी गुरु का प्रभाव (Guru Atichari)
- जलवायु परिवर्तन
- राजनीतिक हलचल
- सामाजिक अस्थिरता
- मानसिक विचलन
NASA के खगोलविदों ने हाल ही में एक रिसर्च में पाया कि जब Jupiter अपनी सामान्य गति से तेज़ चलता है, तो पृथ्वी पर इसका असर होता है-
- Ionosphere में electromagnetic disturbance
- मौसम में असामान्यता (Weather Anomalies)
- रेडियो व GPS कम्युनिकेशन में बाधा
NASA ने इसे 'High-speed Jupiter Transit Events' कहा है, और बताया कि यह खगोलीय घटनाएं पृथ्वी की ऊर्जा संरचना को प्रभावित करती हैं. जबकि ऋषियों ने पहले ही कर दी थी यह भविष्यवाणी. बृहत संहिता (अध्याय 5, श्लोक 12) में वराहमिहिर लिखते हैं-
'यदि गुरु शीघ्रं गच्छेत्, तदा जनव्यथाः भवन्ति, राजकीय क्लेशः, वृष्टिहीनता च प्रकटते.'
(अर्थ: यदि गुरु तीव्र गति से आगे बढ़े, तो समाज में पीड़ा, सत्ता में अस्थिरता और वर्षा में बाधा उत्पन्न होती है.)
जातक पारिजात और संहिता ग्रंथों में अतिचारी गुरु के काल को विशेष संकटों और बदलावों का काल माना गया है. क्या 2025 में अतिचारी गुरु–फिर से दोहराएगा इतिहास? गुरु 8 वर्षों के लिए अतिचारी रहेंगे. वर्तमान समय में गुरु वृषभ राशि में हैं 14 मई 2025 को गुरु मिथुन राशि में गोचर करेंगे. 2025-26 में बृहस्पति ग्रह तीन बार राशि बदलने जा रहे हैं. यह गति सामान्य से अधिक है, जिसे ऋषियों ने 'अतिचारी काल' कहा है. इसके प्रभाव ग्रंथों में अलग-अलग तरह से बताए गए हैं-
- अर्थव्यवस्था में उतार-चढ़ाव
- वैश्विक सत्ता परिवर्तन
- पर्यावरणीय संकट
- धार्मिक पुनर्जागरण
NASA जैसी संस्थाएं जब उन तथ्यों पर रिसर्च कर रही हैं जिन्हें भारतीय ऋषियों ने बिना आधुनिक यंत्रों के केवल ध्यान, गणना और ज्योतिष सिद्धांतों से समझ लिया था, तो यह सिद्ध करता है, भारतीय ज्योतिष विज्ञान है, अंधविश्वास नहीं. ऋषि गणितज्ञ, खगोलवेत्ता और चेतना के वैज्ञानिक थे.
NASA आज जहां पहुंचा है, वहां भारत के ऋषि मुनि हजारों साल पहले ही पहुंच चुके थे. भारत के ऋषि मुनि खगोल विज्ञान को केवल देखने की नहीं, समझने की शक्ति रखते थे. गुरु का अतिचारी सिद्धांत इसका सर्वोत्तम उदाहरण है. आज NASA जिसकी पुष्टि कर रहा है, वह भारतीय ग्रंथों में पहले से ही दर्ज है.
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