Guava Farming: 28 साल तक फलों का उत्पादन देगी अमरूद की ये किस्म, हार्वेस्टिंग के 15 दिन तक खराब नहीं होंगे फल
Guava Cultivation: थाईलैंड वैरायटी के अमरूद की हार्वेस्टिंग के बाद 12 से 13 दिन तक भी फल खराब नहीं होते. इसके फलों का आकार और चमक अलग ही होती है. साथ ही फलों का वजन 400 ग्राम से 1 किलो तक होता है.

Thailand Guava: किसानों की आय को दोगुना करने के लिए खेती-किसानी में नवाचारों को प्रेरित किया जा रहा है. आधुनिक तकनीक और उन्नत किस्मों के जरिए अब किसान कम मेहनत में भी अच्छा पैसा कमा सकते हैं. बागवानी फसलों की बात करें तो मिट्टी और जलवायु के अनुसार नई किस्में इजाद की जा रही है. अमरुद भी एक प्रमुख बागवानी फसल है. देश-विदेश में इसका निर्यात हो रहा है. एक बार इस के पौधों की रोपाई करके बहुत जल्द फलों का बंपर प्रॉडक्शन ले सकते हैं, लेकिन कई बार जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के कारण फल उत्पादन बंद हो जाता है.
कई पेड़ तो तीन-चार साल में ही खत्म हो जाते हैं और उनकी जगह नये पेड़ लगाने पड़ते हैं. यह भी किसानों के लिए बड़ा खर्चीला काम हो जाता है. अब इस समस्या का समाधान निकाला है इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के वैज्ञानिकों ने. कृषि वैज्ञानिकों का दावा है कि अमरूद की खेती में अब सिर्फ एक बार पौधे लगाकर सालों-साल मुनाफा कमा सकते हैं. इसके लिए ऐसी किसम में हमारे बीच मौजूद है जो 28 साल तक लगातार फल उत्पादन (Fruit Production) देती है.
छत्तीसगढ़ में अमरूद की बागवानी
छत्तसीगढ़ के भिलाई को अमरूद की बागवानी (Guava Farming) का केंद्र कहा जाता है. यहां के स्वादिष्ट और मिठास भरे अमरुद ने देश-दुनिया में अपनी पहचान बनाई है. इन अमरूदों का बड़ा आकार और इनकी चमक से आकर्षित होकर लोग इन्हें हाथों-हाथ खरीद लेते हैं. यह थाईलैंड वैरायटी (Thai Guava) के अमरुद हैं. इनकी यही विशेषता है कि हार्वेस्टिंग के 12 से 13 दिन तक भी इस किस्म के फल खराब नहीं होते. इसके एक ही अमरूद का वजन 400 ग्राम से 1 किलो तक होता है. किसान चाहें तो मिट्टी और जलवायु को ध्यान में रखकर देख के किसी भी इलाके में थाइलैंड वैरायटी के अमरूदों के साथ बागवानी शुरू कर सकते हैं.
अमरूद की उन्नत किस्में
बता दें कि छत्तीसगढ़ के तीन भौगोलिक क्षेत्र है, जो अमरूद की बागवानी के लिए काफी अनुकूल है. इन इलाकों में अंबिकापुर का रायपुर इलाका और बस्तर का पठारी क्षेत्र भी शामिल है. हाल ही में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने 1 एकड़ में अमरूद के 1600 पौधे लगाए हैं. वैज्ञानिकों का दावा है कि ये पेड़ सालाना 12 क्विंटल तक फलों का उत्पादन दे सकते हैं. इन अमरूद के पेड़ों में इलाहाबाद सफेदा, ललित, लखनऊ-49 और वीएनआर भी शामिल है.
अमरूद की बागवानी में लागत और कमाई
अमरुद एक प्रमुख बागवानी फसल और एक बेहद स्वादिष्ट फल है. शुरुआती 2 साल में अमरूद के पौधों की अच्छी देखभाल करनी होती है. एक अनुमान के मुताबिक, प्रति हेक्टेयर खेत में अमरूद की बागवानी के लिए 10 लाख तक का खर्च आ सकता है. यह पूरी तरह अमरूद की किस्म मिट्टी और जलवायु पर निर्भर करता है. वहीं 2 साल बाद अमरूद का फल उत्पादन मिलने लग जाता है. एक ही पौधे से 20 किलो तक अमरूद की हार्वेस्टिंग ले सकते हैं. यह अमरूद 50 रुपये किलो तक के भाव पर बिकते हैं. वहीं सालभर में अमरूद की बागवानी करके प्रति हेक्टेयर से 25 लाख तक की कमाई कर सकते हैं. इस तरह 10 लाख रुपये खर्च करके किसान 15 लाख तक भी मुनाफा कमा सकते हैं.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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Source: IOCL






















