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Nano Urea: फसल के लिये वरदान साबित हुआ नैनो यूरिया, किसानों को मिल रहे हैं ये 4 कमाल के फायदे

Nano Urea Benefits: सबसे अच्छी बात यह है कि नैनो यूरिया से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होता. कम लागत ये पूरी फसल को कवर कर लेता है. इसकी कुछ ही बूंदों से मिट्टी के साथ फसलों को भी पोषण मिल जाता है.

Nano Fertilizer: फसलों से बेहतर उत्पादन के लिए कई प्रकार की खाद-उर्वरकों का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें जैव उर्वरकों का इस्तेमाल तो मिट्टी और पर्यावरण के लिहाज से सुरक्षित होता है, लेकिन रासायनिक उर्वरकों से मिट्टी की उपजाऊ शक्ति कम हो जाती है. साथ ही, पर्यावरण को भी कई तरह के नुकसान होते हैं. रासायनिक उर्वरक मिट्टी में प्रदूषण की मात्रा का बढ़ाते हैं. इनके इस्तेमाल से भूजल स्तर भी काफी कम हो जाता है, इसलिये जैविक खाद और जैव उर्वरकों (Bio Fertilizer) के इस्तेमाल को तवज्जो दी जाती है.

पिछले कुछ सालों में नैनो यूरिया एक सुरक्षित विकल्प बनकर सामने आया है. बता दें कि नैनो यूरिया लिक्विड फर्टिलाइजर (Liquid Fertilizer) यानी यूरिया का तरल रूप है. इसकी कुछ बूंदों से ही पौधों में नाइट्रोजन की आपूर्ति हो जाती है. सबसे अच्छी बात यह है कि नैनो यूरिया (Nano Urea) से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होता. इसकी कुछ ही बूंदों का स्प्रे काफी होता है, जिसे मिट्टी और पौधे हाथों-हाथ सोख लेते हैं.

नैनो यूरिया इस्तेमाल करने का सही तरीका 
बता दें कि अभी तक यूरिया सिर्फ सफेद पाउडर या दानों के तौर पर उपलब्ध होता था, लेकिन अब वैज्ञानिकों ने इको फ्रेंडली नैनो तरल यूरिया को बाजार में उतारा है. फसल पर तरल यूरिया का छिड़काव करना बेहद आसान है. जहां रसायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल करने पर किसानों को त्वचा संक्रमण और स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याएं हो जाती थी. ऐसे में तरल यूरिया को बिना छुए और बिना किसी नुकसान के फसल पर छिड़क सकते हैं.

इसके लिए 2 से 4 मिली. नैनो यूरिया को 1 लीटर पानी में मिलाकर घोल बनाते हैं. कृषि विशेषज्ञों की मानें तो एक फसल में सिर्फ दो बार नैनो यूरिया का छिड़काव काफी रहता है. तरल यूरिया में मौजूद नाइट्रोजन तत्वों को पौधों की पतियां सोख लेती है. इस तरह पारंपरिक यूरिया के मुकाबले इससे प्रदूषण भी नहीं होता और कम लागत में दोगुना फायदा होता है.

50 फीसदी तक उर्वरकों की बचत 
नैनो यूरिया अपने आप में खाद और उर्वरक का समावेश है. इसका इस्तेमाल करने से पोषण प्रबंधन का बड़ा खर्चा बच जाता है. साथ ही इससे सामान्य खाद की खपत को 50 फीसदी तक भी कम किया जा सकता है. इसकी कीमत की बात करें तो 500 मिली. नैनो यूरिया की बोतल 243 रुपये में आती है. वहीं 45 किलोग्राम यूरिया की बोरी का दाम 253 रुपये है. इतना ही नहीं, नैनो तरल यूरिया की कम कीमत के साथ-साथ पर्यावरण की सुरक्षा की गारंटी भी मिलता है.

नैनो यूरिया के फायदे 
देश के आज लाखों किसान नैनो यूरिया का इस्तेमाल कर फसलों से बंपर पैदावार ले रहे हैं. इसने ठोस यूरिया पर निर्भरता को काफी हद तक कम कर दिया है. नैनो यूरिया अब बेहद कम कीमत में पूरी फसल को कवर कर लेता है. इससे पौधों को सही पोषण मिल जाता है और फसलों से कम मेहनत में ही अच्छी पैदावार ले सकते हैं. यह भूमिगत जल की गुणवत्ता को सुधारने में तो मदद करता ही है, ग्लोबल वार्मिंग की समस्या को भी हल करने में अहम योगदान देता है.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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