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Sugarcane Farming: 25% ज्यादा मिठास और पैदावार देगी शरदकालीन गन्ना की फसल, बुवाई से पहले रखें इन बातों का खास ध्यान

Sugarcane Cultivation: शरदकालीन गन्ना से खरीफ सीजन में हुये नुकसान की भरपाई कर सकते हैं. ट्रेंच विधि से बुवाई करने पर आलू, चना, राई, सरसों और तमाम सब्जियों की सह-फसल खेती कर दोगुना आय भी ले सकते हैं.

Autumn Sugarcane Farming: खरीफ फसलों की कटाई के दौरान हुई बारिश ने किसानों को चिंता में डाल दिया है. कई किसानों की फसलें पानी भरने के कारण बर्बाद तो हुई हैं. खेत की जमीन भी अब दलदली होती जा रही है. अगर खेतों में नमी की मात्रा ज्यादा है तो किसानों को शरदकालीन गन्ना की खेती पर जोर देना चाहिये, जिससे कि खरीफ फसलों में हुये नुकसान को कवर किया जा सके. सबसे खास बात ये है कि सर्दियों में गन्ना की खेती (Sugarcane Farming in Winter) करने पर साथ में आलू, चना, राई और सरसों के अलावा तमाम सब्जियों की सह-फसल खेती भी कर सकते हैं. इससे किसानों को अतिरिक्त आमदनी भी मिल जायेगी.

सर्दियों की इस प्रमुख फसल से बेहतर उत्पादन लेने के लिये कई बातों का खास ध्यान रखने की जरूरत है. बेहतर उत्पादन और कीट-रोगों का जोखिम कम करने के लिए किसानों को गन्ना की उन्नत किस्मों से बुवाई, बीज उपचार और फसल प्रबंधन पर भी जोर देना होगा.

शरदकालीन गन्ना की उन्नत किस्में
सर्दियों में जो भी किसान गन्ना की फसल (Autumn Sugarcane Farming) लेने का मन बना रहे हैं, उन्हें गन्ना की उन्नत और जल्दी पकने वाली किस्मों का चयन करना चाहिये. कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, जल्द पकने वाली उन्नत किस्मों में को.शा. 8436, को.शा. 88230, को.शा. 96268 के अलावा को.से. 95436, को.से. 98231, को.से. 00231 और को.से. 01235 आदि प्रजातियां कम समय में अच्छी मिठास वाली पैदावार देने के लिये मशहूर हैं. किसान चाहें तो शरदकालीन गन्ना की सामान्य किस्में को.शा. 8432, को.शा. 96275, को.शा. 97261, यू.पी. 0097, को.शा. 97264 से बुवाई करके भी जबरदस्त पैदावार ले सकते हैं.

इस तरह करें बुवाई 
शरदकालीन गन्ना या सर्दियों में गन्ना की खेती के लिये 15 सिंतबर से लेकर 30 नवंबर तक का समय सबसे उपयुक्त रहता है. किसान चाहें तो अक्टूबर आते-आते गन्ना की बोई हुई फसल के साथ आलू, लहसुन, गेहूं, गोभी, टमाटर, धनिया, मटर की भी बुवाई कर सकते हैं. ये काम उस समय मुमकिन है, जब नाली विधि यानी ट्रेंच विधि से गन्ने की खेती की जाये. इसके लिये खेतों में जैविक विधि से तैयार करना चाहिये. सबसे पहले अच्छी जुताई लगाकर गोबर की सड़ी खाद को खेतों में मिलायें और बुवाई के लिये 30 से 35 क्विंटल गन्ना की बीज का इस्तेमाल करें.

फसल सुरक्षा
बिहार में भी शरदकालीन गन्ना की खेती करने के लिये किसानों को प्रेरित किया जा रहा है. इसके लिये गन्ना उद्योग विभाग ने मुख्यमंत्री गन्ना विकास कार्यक्रम चलाया है. इसके तहत शरदकालीन यानी सर्दियों में गन्ना की खेती करने के लिए किसानों को गन्ना की फसल सुरक्षा के लिये उपाय करने को कहा गया है. दरअसल गन्ना की फसल में बेधक कीटों का खतरा बना रहता है. ऐसे में रासायनिक छिड़काव करने से गन्ना की क्वालिटी पर बुरा असर पड़ सकता है, इसलिये कीटों के जैविक नियंत्रण करने की सलाह दी जाती है.

गन्ना की पैदावार
ट्रेंच विधि के फायदों को देखते हुये अब किसान इसी विधि से गन्ना की खेती करने लगे है. इस तरह गन्ना के साथ दूसरी फसलों की पैदावार मिल जाती है. इस विधि से गन्ना का भी क्वालिटी उत्पादन मिलता है. एक अनुमान के मुताबिक, उन्नत किस्मों से बुवाई और फसल की सही देखभाल करने के बाद 300 से 350 क्विंटल प्रति एकड़ तक गन्ना की पैदावार (Sugarcane Production)  मिल जाती है. वहीं बसंत कालीन गन्ने की फसल से सिर्फ 250 से 300 क्विंटल तक ही उत्पादन मिलता है. 

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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