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Seedless Cucumber: अब साल में 4 बार उगाएं 'बिना बीज वाला खीरा', ICAR की नई वैरायटी 45 दिन में देगी बंपर प्रोडक्शन

Cucumber Farming: डीपी-6 किस्म की सबसे बड़ी खासियत ये है कि पौधों की रोपाई के 45 दिन के अंदर फलों का प्रॉडक्शन मिलने लगेगा. इसके बाद लगातार 3 से 4 महीने तक सीड लेस खीरा की पैदावार ले सकते हैं.

Seedless Cucumber Cultivation: सलाद के तौर पर खीरा की खूब डिमांड रहती है. घरेलू खपत के अलावा भी निर्यात के लिए भी खीरे की डिमांड भी बनी रहती है, इसलिए किसान भी ऑफ सीजन में खीरा का प्रोडक्शन ले रहे हैं. वैसे को खीरा की सभी किस्में काफी अच्छी होती है, लेकिन सीडलैस खीरा (Seedless Cucumber) का चलन बढ़ता जा रहा है. हाल ही में आईसीएआर-आईएआरआई, पूसा इंस्टीट्यूट (Pusa Institute) के वैज्ञानिकों ने बीजरहित खीरे की नई किस्म विकसित की है.

एक ऐसा खीरा, जिसकी खेती के लिए किसी भी मौसम की सीमा नहीं होगी. आईसीएआर के वैज्ञानिकों की मानें तो अब बीजरहित खीरा की डीपी-6 किस्म से साल में 4 बार खेती कर सकते हैं. इस किस्म की सबसे बड़ी खासियत ये है कि पौधों की रोपाई के 45 दिन के अंदर फलों का प्रोडक्शन मिलने लगेगा. इसके बाद लगातार 3 से 4 महीने तक बीजरहित खीरा की पैदावार ले सकते हैं.

डीपी-6 बीजरहित खीरा की खासियत
सीडलैस खीरा तैयार करने वाले एक्सपर्ट्स बताते हैं कि डीपी-6 किस्म की रोपाई के बाद इसकी बेल पर जितने फूल खिलेंगे, उन सभी से फल का प्रोडक्शन मिल पाएगा. दरअसल खीरा की बेल की हर गांठ मे मादा फूल निकलते हैं, लेकिन इस किस्म की बेल पर जितने मादा फूल होंगे, उतने फलों का उत्पादन ले सकते हैं. ये खीरा बीजरहित तो है ही, साथ ही इसमें कड़वाहट भी नहीं है. करीब 1,000 वर्गमीटर में डीपी-6 बीजरहित खीरा की खेती करने पर 4,000 बेलदार पौधे लगाए जा सकते हैं, जिसकी हर एक बेल से 3.5 किलो तक फलों की पौदावार मिल जाएगी. 

कई सालों में तैयार हुई है डीपी-6

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीजरहित खीरा की डीपी-6 किस्म कई सालों की मेहनत का परिणाम है. इसका फायदा जल्द ही किसानों को भी मिलेगा. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि डीपी-6 का छिलका भी काफी पतला होता है, जिसे बिना छीले भी खा सकते हैं. कड़वाहट ना होने के कारण इसका अगला-पिछला भाग निकालने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी. एक संशय ये भी है कि डीपी-6 किस्म का बीजरहित खीरा सिर्फ पॉलहाउस या संरक्षित ढांचे में ही लगा सकते हैं. ये किस्म कीट-रोगों के खिलाफ कम संवेदनशील है, जिसमें खुले में उगाने पर खराब होने का जोखिम थोड़ा ज्यादा है, लेकिन ये किस्म बिना परागण के ही बंपर प्रोडक्शन दे सकती है.

कहां से खरीदें बीज

आईसीएआस-आएआरआई (ICAR-IARI) पूसा इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित डीपी-6 किस्म की खूबियों के कारण इसकी कीमत साधारण किस्मों की तुलना में 10 से 15 रुपये अधिक रहेगी. अच्छा और क्वालिटी प्रॉडक्शन देने वाली ये किस्म होटलों, कैफे जैसे कमर्शियल यूज के लिए ज्यादा फायदेमंद रहेगी. किसान अगर डीपी-6 किस्म से खेती करके सालभर अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं तो दिल्ली स्थित पूसा इंस्टीट्यूट के सब्जी विज्ञान विभाग में जाकर इसका बीज खरीद सकते हैं.

जानकारी के लिये बता दें कि डीपी-6 सीडलैस खीरा की खेती के लिए भी किसानों को ज्यादा खर्च नहीं करना पड़ेगा. एक एकड़ में खेती के लिए करीब 20,000 रुपये बीज का खर्च आयेगा. वहीं संरक्षित खेती के लिए केंद्र सरकार की संरक्षित खेती योजना का लाभ लेकर कम लागत में अच्छी आमदनी ले सकते हैं. 

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

यह भी पढ़ें- मुनाफे का सौदा है आलू की वैज्ञानिक खेती, बेहतर प्रॉडक्शन के लिए याद रखें ये 5 बातें

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