मेंहदी की खेती करने से पहले जान लें ये बातें, इस मिट्टी में सबसे अच्छी होगी फसल
मेहंदी की मांग बाजार में पूरे साल रहती है. सबसे बड़ी बात कि से आप इसे सीधे ग्राहक को नहीं बल्कि बड़ी-बड़ी कंपनियों को बेचते हैं, जिसकी वजह से किसानों को अच्छी रकम मिलती है.
मेहंदी सिर्फ बालों और हाथों में लगाने वाली चीज नहीं है. इसके पत्तों, फूलों, बीजों और छाल में इतने औषधीय गुण मौजूद हैं कि इनका कई बीमारियों के इलाज में प्रयोग होता है. हालांकि, इसकी ज्यादातर खपत बालों और हाथों में लगाने के लिए होती है. मेहंदी की खेती देश के कई राज्यों में खूब होती है. लेकिन इसकी खेती करने वाले किसानों की संख्या बेहद कम है. अगर आप मेहंदी की खेती करना चाहते हैं तो इस आर्टिकल को ध्यान से पढ़ें. इसमें हम आपको बताएंगे की मेहंदी की खेती करने के लिए किस तरह की जमीन सबसे ज्यादा उपयोगी होती है और बाजार में इस फसल के जरिए आप कितना मुनाफा कमा सकते हैं.
कैसे की जाती है मेहंदी की खेती
मेहंदी की खेती के लिए सबसे पहले आपको ऐसी जमीन का चयन करना होगा जो बलुई दोमट मिट्टी वाली हो. हालांकि, इसकी खेती पथरीली, लवणीय, क्षारीय हर तरह की भूमि पर हो जाती है. लेकिन अच्छी फसल उगाने के लिए आपको ऐसी जमीन की तलाश करनी चाहिए जहां के मिट्टी का पीएच मान 7.5 से 8.5 तक हो. दरअसल, मेहंदी का पौधा शुष्क और उष्णकटिबंधीय के साथ-साथ सामान्य गर्म जलवायु में भी अच्छी तरह से ग्रोथ करता है.
अगर आप मेहंदी की खेती करना चाहते हैं तो आपको बारिश से पहले ही खेत में मेड़बंदी कर देना चाहिए, ताकि इसमें बारिश का पानी संरक्षण हो सके. इसके बाद खेत के अंदर मौजूद तमाम खरपतवार को उखाड़ कर फेंक दें और थोड़ी गहरी जुताई करें. इसके बाद जब बारिश शुरू हो तो कल्टीवेटर से खेत में जुताई करने के बाद पाटा चला कर इसे समतल कर लें और फिर इसमें मेहंदी की रोपाई करें. मेहंदी की बुआई का सबसे सटीक समय फरवरी और मार्च के महीने में होता है आप इसे सीधे बीजों द्वारा या इसके पौधे लगाकर खेती शुरू कर सकते हैं.
मेहंदी की खेती से फायदे
मेहंदी की खेती करना बेहद आसान है. इसमें बहुत सीमित इन्वेस्टमेंट लगता है और मुनाफा कई गुना ज्यादा मिलता है. इस फसल की मांग बाजार में पूरे साल रहती है. सबसे बड़ी बात कि से आप इसे सीधे ग्राहक को नहीं बल्कि बड़ी-बड़ी कंपनियों को बेचते हैं, जिसकी वजह से किसानों को अच्छी रकम मिलती है. इस फसल के खराब होने के चांसेस भी बहुत कम होते हैं और इसकी सुरक्षा करने की भी जरूरत नहीं होती, क्योंकि ज्यादातर जानवर मेहंदी की फसल को नहीं खाते हैं. इस फसल को लेकर हुए मुनाफे का आंकड़ा ज्यादा तो मौजूद नहीं है, लेकिन एक न्यूज़ वेबसाइट में छपी खबर के मुताबिक साल 2015-16 में करीब 511 करोड रुपए की मेहंदी भारत से विदेश निर्यात की गई थी.
ये भी पढ़ें: गुड़हल की खेती से बन सकते हैं मालामाल, कैंसर के इलाज में होता है इस्तेमाल