क्या चुनाव जीतने के लिए जाति-जाति को लड़ाएंगे?
जाति से ...जो जाने का नाम नहीं ले रही, सुनने में बड़ा अच्छा..बड़ा प्रोग्रेसिव सा लगता है कि जात-पात में कुछ नहीं रखा है, इससे ऊपर उठो..कोई जात छोटी या बड़ी नहीं होती..समाज में सब बराबर हैं..।..लेकिन देश में जब-जब चुनावी दस्तक होती है ये जाति जोरदार सियासी लहर पैदा कर देती है। .. यूपी से बड़ी खबर आई, जिसके बारे में हम विस्तार से देंगे आपको जानकारी। ..लेकिन उससे पहले 1959 में एक फिल्म का ज़िक्र ज़रूरी है। फिल्म का नाम था- दीदी।..इसका एक गीत मोहम्मद रफी और आशा भोंसले ने गाया था। ..उसकी कुछ लाइनें आपके सामने रखती हूं।जाति से ...जो जाने का नाम नहीं ले रही, सुनने में बड़ा अच्छा..बड़ा प्रोग्रेसिव सा लगता है कि जात-पात में कुछ नहीं रखा है, इससे ऊपर उठो..कोई जात छोटी या बड़ी नहीं होती..समाज में सब बराबर हैं..।..लेकिन देश में जब-जब चुनावी दस्तक होती है ये जाति जोरदार सियासी लहर पैदा कर देती है। .. यूपी से बड़ी खबर आई, जिसके बारे में हम विस्तार से देंगे आपको जानकारी। ..लेकिन उससे पहले 1959 में एक फिल्म का ज़िक्र ज़रूरी है। फिल्म का नाम था- दीदी।..इसका एक गीत मोहम्मद रफी और आशा भोंसले ने गाया था। ..उसकी कुछ लाइनें आपके सामने रखती हूं।

























