Ram Mandir Dhwajarohan: तेरा मंदिर vs मेरा मंदिर..तकरार कैसी?योगी के राम बनाम अखिलेश के महादेव!
तो आज हम बात 2027 में होने वाले यूपी के सियासी धर्मयुद्ध की करेंगे...इस धर्मयुद्ध के संकेत आज हुई दो अलग-अलग घटनाओं से मिले हैं... पहली तो ये कि अयोध्या में राम मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वजा फहरा दी गई...पीएम मोदी और संघ प्रमुख मोहन भागवत ने हजारों संतों और श्रद्धालुओं की मौजूदगी में इस पवित्र पूजन को पूर्ण किया...दूसरी ये कि अयोध्या में राम मंदिर पर उत्सव के बीच समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इटावा के श्री केदारेश्वर महादेव मंदिर का जिक्र कर दिया...केदारेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण इटावा में चल रहा है...साल 2026 में चुनाव से एक साल पहले मंदिर का उद्घाटन होना है...ऐसे में अखिलेश यादव के दांव से तेरा मंदिर वर्सेज मेरा मंदिर वाली सियासत शुरू हो गई है...यहां अखिलेश यादव के एक पोस्ट ने सबका ध्यान अपनी तरफ खींचा है...अखिलेश यादव ने लिखा कि 'पूर्णता ही पूर्णता की ओर ले जाती है...ईश्वरीय प्रेरणा से इटावा में निर्माणाधीन ‘श्री केदारेश्वर महादेव मंदिर’ के पूर्ण होने पर अन्य मंदिरों के दर्शन का संकल्प भी पूर्ण करेंगे...आस्था जीवन को सकारात्मकता और सद्भाव से भरनेवाली ऊर्जा का ही नाम है...दर्शन के लिए ईश्वरीय इच्छा ही मार्ग बनाती है, वही बुलाती है...सच तो ये है कि हम सब तो ईश्वर के बनाएं मार्ग पर बस चलकर जाते हैं...आस्थावान रहें, सकारात्मक रहें!' अखिलेश यादव के पोस्ट पर तरह-तरह की अटकलें लगाई जाने लगीं...कुछ लोग कहने लगे कि अखिलेश यादव ने अयोध्या के राम मंदिर में दर्शन को लेकर संकेत दिए हैं...हालांकि राजनीति के जानकारों ने इसे अलग ढंग से डिकोड किया है...राजनीति के जानकार अखिलेश यादव के पोस्ट को 2027 के चुनावी रण से जोड़कर देख रहे हैं...माना जा रहा है कि-बीजेपी के राम मंदिर वाले सियासी कार्ड का मुकाबला अखिलेश यादव अपने केदारेश्वर महादेव मंदिर कार्ड से देने वाले हैं -बीजेपी के हिंदुत्व कार्ड का जवाब अखिलेश यादव हिंदुत्व के ही नैरेटिव से देने की तैयारी कर रहे हैं -बीजेपी लगातार अखिलेश यादव के खिलाफ राम मंदिर विरोधी, हिंदुत्व विरोधी होने का नैरेटिव चलाती है...अखिलेश यादव ने इस नैरेटिव की काट में केदारेश्वर महादेव मंदिर वाला दांव चला है -इसके अलावा एक संकेत ये भी है कि 2027 में बीजेपी, राम मंदिर को मुद्दा बनाकर तीसरी बार सत्ताधीश बनने की कोशिश करेगी...बीजेपी की कोशिश धार्मिक कार्ड से विपक्ष के जाति दांव को फेल करने की होगी...दूसरी तरफ अखिलेश यादव के सामने भी PDA के साथ बाकी समुदायों को साधने की चुनौती होगी...क्योंकि अकेले PDA के दम पर सत्ता में लौटना समाजवादी पार्टी के लिए मुश्किल होगा...

























