Israel-Iran War: इजरायल को जासूसी करने पर मिलेगी सजा
ईरान-इजरायल के बीच जारी संघर्ष में संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हो गई है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार (21 जून) को अपने एक बयान में कहा कि अमेरिकी एयरक्राफ्ट ने ईरान के फोर्डो न्यूक्लियर इनरिचमेंट प्लांट पर हमला कर दिया है. इसके अलावा नतांज और इस्फहान की फेसिलिटिज को भी निशाना बनाया गया.
शनिवार (21 जून) को अपने चार मिनट के संबोधन से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनियाभर की मीडिया का ध्यान अपनी ओर कर लिया. उन्होंने कहा कि अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों को पूरी तरह से तबाह कर दिया है. इसके बाद उन्होंने धमकी देते हुए कहा कि अगर ईरान अभी भी नहीं शांत नहीं हुआ तो हम इस्लामिक देश के और कई ठिकानों पर भी हमला कर देंगे.
संयुक्त राज्य अमेरिका के ईरान पर हमले के बाद संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी शनिवार (21 जून) को एक बयान दिया है. उन्होंने कहा कि ईरान पर अमेरिका का हमला इस संघर्ष को ओर बढ़ा सकता है, जो पहले से ही मिडिल ईस्ट इलाके के लिए एक बड़ा खतरा है. वहीं, दुनिया की कई मीडिया संस्थानों ने राष्ट्रपति ट्रंप के बयान पर अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं.
न्यूयॉर्क टाइम्स की वेबसाइट ने अमेरिका के मिडिल ईस्ट के संघर्षों में शामिल होने पर कहा कि ईरान में अमेरिकी हमलों ने हाई अलर्ट की स्थिति पैदा कर दी है. क्योंकि पेंटागन इलाके में अमेरिकी सेना के खिलाफ होने वाली जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार हो रहा है.
वहीं, वॉशिंगटन पोस्ट ने हेडलाइन में लिखा, “अमेरिका के वॉरप्लेन्स ईरान के न्यूक्लियर साइट्स पर हमला किया है.” वहीं, अपनी रिपोर्ट में लिखा, “ईरान पर इजरायली हमले मिडिल ईस्ट की रणनीतिक संतुलन में हो रहे बदलाव को दिखाते हैं. जहां इजरायल एक अनचैलेंज्ड मिलिट्री पॉवर के तौर पर उभरा है, वहीं ईरान पूरी तरह से बिखर चुका है.”

























