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संगम पर मुंडन कराने के बाद ही शुरू होती है पिंडदान की रस्म, मिलती है पूर्वजों की आत्मा को शांति
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हिन्दू धर्म की मान्यता के मुताबिक़ कोई भी व्यक्ति पूरी तरह नहीं मरता है और वह बार-बार जन्म लेता है, इसलिए पितृ पक्ष में पिंडदान और तर्पण कर पुरखों को खुश करने की परम्परा सदियों से चली आ रही है.
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हिन्दू धर्म के मुताबिक़ पिंडदान की परम्परा सिर्फ प्रयाग, काशी और गया में ही है, लेकिन पितरों के श्राद्ध कर्म की शुरुआत प्रयाग के मुंडन संस्कार से ही शुरू होती है. पितृ पक्ष के पहले दिन प्रयाग के संगम तट पर देश के कोने-कोने से आये हज़ारों श्रद्धालु अपने पूर्वजों की आत्मा की शान्ति व मुक्ति के लिए श्राद्ध कर्म कर रहे हैं. यहां मुंडन कर अपने बालों का दान करने के बाद सत्रह पिंडों को तैयार कर उनकी पूजा अर्चना की जा रही है और विधि विधान से उन्हें संगम में विसर्जित कर बाकी रस्में अदा की जा रही हैं.
Published at : 25 Sep 2018 02:51 PM (IST)
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