जब महिलाओं ने एक दिन के लिए छोड़ दिया था पूरा काम, पूरे पुरुष समाज में मच गई खलबली
हम आपको महिलाओं की शक्ति का अहसास कराने वाले उस पल के बारे में बताने जा रहे हैं जब महिलाओं ने काम करना ही बंद कर दिया था. जिसके बाद पुरुषों की वो हालत हुई थी कि आप भी जानेंगे तो हैरान रह जाएंगे.

Trending News: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस इसी हफ्ते की 8 मार्च को पूरी दुनिया में मनाया जाना है जैसा कि हर साल मनाया जाता है. यह दिन महिलाओं के अधिकारों, समानता और उपलब्धियों को सम्मान देने के लिए समर्पित है. इस दिन को मनाने का उद्देश्य महिलाओं को समान अधिकार दिलाना, उनके संघर्षों को पहचान देना और लैंगिक समानता की दिशा में जागरूकता फैलाना है. यह दिन महिलाओं की आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक उपलब्धियों का जश्न मनाने के साथ साथ लैंगिक भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाने के लिए भी एक खास दिन है.
इसी मौके पर हम आपको महिलाओं की शक्ति का अहसास कराने वाले उस पल के बारे में बताने जा रहे हैं जब महिलाओं ने काम करना ही बंद कर दिया था. जिसके बाद पुरुषों की वो हालत हुई थी कि आप भी जानेंगे तो हैरान रह जाएंगे. जिसकी चर्चा सोशल मीडिया पर भी काफी हो रही है.
इस दिन इस देश में महिलाओं ने दिखाई थी अपनी ताकत
बात 40 साल पहले की है. दिन 24 अक्टूबर 1975 का, ये दिन आइसलैंड को हमेशा याद रहेगा, क्योंकि इसी से आइसलैंड में महिलाओं के लिए नई सोच ने जन्म लिया. दरअसल इस दिन आइसलैंड में महिलाओं ने हड़ताल कर दी थी. ये हड़ताल ऐसी वैसी नहीं थी, बल्कि इस दिन इस पूरे देश की महिलाओं ने काम न करने का फैसला किया. महिलाओं ने न ही घर के काम न ही नौकरी और न ही कोई दूसरा काम किया. सभी महिलाएं प्रोटेस्ट के लिए बाहर निकल गईं. अब ऐसे में महिला दिवस के मौके पर सोशल मीडिया पर इस दिन को काफी याद किया जा रहा है.
पुरुषों की हो गई थी हवा टाइट
घर में बच्चों से लेकर हर काम पुरुषों को संभालना पड़ा. लिहाजा बैंक, कारखाने और कुछ दुकानें बंद करनी पड़ीं, साथ ही स्कूल और नर्सरी भी बंद करनी पड़ीं. इस दिन सॉस इतने बिके की दुकानों पर बचे ही नहीं. कुछ पिताओं के लिए बच्चों को संभालना इतना मुश्किल हो गया था कि इस दिन को एक और नाम दिया गया, लॉन्ग फ्राइडे. दरअसल यह विरोध उन्होंने घर, दफ्तर, स्कूल और दूसरी जगहों पर काम छोड़कर महिला समानता और वेतन असमानता के खिलाफ किया था. इसका इतना असर हुआ कि आइसलैंड सरकार को जेंडर इक्वालिटी पर बड़े सुधार करने पड़ गए थे.
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यूजर्स बताया, क्या है महिला शक्ति
सोशल मीडिया पर 24 अक्टूबर 1975 को लोग खासा याद कर रहे हैं. हाल ही में महिला बनाम पुरुष की बहस काफी ज्यादा लंबी हो गई है, जिसके बाद यूजर्स भी इस बहस से अलग हटकर महिला शक्ति के बारे में बातें कर रहे हैं. एक यूजर ने लिखा...महिला है तो यह संसार है. एक और यूजर ने लिखा...स्त्री के बगैर घर जहन्नम है. तो वहीं एक और यूजर ने लिखा..मेरी मां भी तो एक महिला है, सभी महिलाओं की ताकत की पहचान हमें होनी चाहिए.
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