महाराष्ट्र में मैं मराठी, लेकिन भारत में...भाषा विवाद के बीच वायरल हो रहा बाल ठाकरे का यह वीडियो
भाषा विवाद के बहाने महाराष्ट्र की सियासत एक बार फिर करवट बदल रही है, जिससे विपक्ष की टेंशन बढ़ गई है. इस बीच शिवसेना के संस्थापक और दिवंगत हिंदू नेता बाल ठाकरे का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है.

महाराष्ट्र के शुरू हुआ हिंदी-मराठी भाषा विवाद अब अन्य राज्यों तक पहुंच रहा है. इस भाषा विवाद के बीच महाराष्ट्र के सियासत भी गरमा गई है. मराठी अस्मिता के नाम पर करीब दो दशक बाद ठाकरे बंधु उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक साथ दिखाई दिए. मुंबई में हुई विजय रैली में उन्होंने न केवल भाजपा सरकार पर हिंदी थोपने का आरोप लगाया, बल्कि स्थानीय निकाय चुनाव भी साथ लड़ने का ऐलान कर डाला.
भाषा विवाद के बहाने महाराष्ट्र की सियासत एक बार फिर करवट बदल रही है, जिससे विपक्ष की टेंशन बढ़ गई है. इस बीच शिवसेना के संस्थापक और दिवंगत हिंदू नेता बाल ठाकरे का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो को देखने के बाद यूजर्स कह रहे हैं कि हिंदी-मराठी के नाम पर लड़ने वाले लोगों को बाला साहेब का यह वीडियो जरूर देखना चाहिए.
महाराष्ट्र में मैं मराठी, लेकिन...
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे अपने चिर-परचित अंदाज में दिखाई दे रहे हैं. एक हाथ में माला और कांधे पर भगवा चादर डाले बाल ठाकरे कहते हैं कि कि महाराष्ट्र में मैं मराठी हो सकता हूं, लेकिन भारत में मैं हिंदू हूं. वह आगे कहते हैं कि भाषाई पहचान से ऊपर उठकर लोगों को हिंदुत्व अपनाना चाहिए. बाल ठाकरे का यह वीडियो ऐसे समय पर सामने आया है, जब महाराष्ट्र में राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के मिलन ने महाराष्ट्र की सियासत को एक नई मोड़ दे दी है और सत्ताधारी महायुति गठबंधन की चिंता बढ़ गई है.
"I may be Marathi in Maharashtra but I am Hindu in Bharat. We must embrace Hindutva over linguistic identities"
— Kashmiri Hindu (@BattaKashmiri) July 5, 2025
Balasaheb Thackeray
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थ्री लैंग्वेज पॉलिसी के खिलाफ साथ आए ठाकरे बंधु
दरअसल, कुछ दिन पहले महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में थ्री-लैंग्वेज पॉलिसी लागू करने का फैसला किया था. इसके तहत स्कूलों में तीसरी भाषा के रूप में हिंदी को अनिवार्य किया गया था, जिसका उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने खुलकर विरोध किया. नतीजा यह हुआ कि सरकार बैठफुट पर आ गई और पॉलिसी को वापस लेना पड़ा. इसके बाद ठाकरे बंधुओं ने विजय रैली का आयोजन किया, जिसमें करीब दो दशक बाद दोनों एक साथ दिखाई दिए.
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