चुनावी यादें: जब अटल ने अपनी ही पार्टी के नेताओं को लगाई थी फटकार
अटल से जुड़ा ये किस्सा 2002-2003 का है, जब मध्य प्रदेश में सूखा पड़ा था। राज्य में कांग्रेस की सरकार थी और दिग्विजय सिंह 10 साल से मुख्यमंत्री के पद पर काबिज थे। अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने वाले थे।

नई दिल्ली, एबीपी गंगा। देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी राजनीति का वो ध्रुव तारा हैं, जो इतिहास के पन्नों में हमेशा चमचमाता रहेगा। अटल एक ऐसी शख्सियत थे, जिन्होंने आखिरी तक सिद्धांतों की राजनीति की। शायद यही वो कारण है, जिसकी वजह से विपक्ष भी उनका मुरीद था। इतिहास के पन्नों में दर्ज एक ऐसा ही किस्सा है, जो यह बताने के लिए काफी है कि अटल जैसा शायद ही कोई दूसरा राजनीति में हो।
जब अटल बोले, आप लोगों ने ये बात सोची भी कैसे?
कहते है राजनीति एक दलदल है, जो भी इसमें फंसा वो फंसता ही चला जाता है। लेकिन अटल जी भारतीय राजनीति के ऐसे नेता थे, जिनके आदर्शों को राजनीति की दलदल भी नहीं कुचल सकी। ये किस्सा 2002-2003 का है, जब मध्य प्रदेश में सूखा पड़ा था। राज्य में कांग्रेस की सरकार थी और दिग्विजय सिंह 10 साल से मुख्यमंत्री के पद पर काबिज थे। अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने वाले थे। बीजेपी कांग्रेस को सत्ता से बेदखम करने की पूरी कोशिशों में जुटी थी। जाहिर सी बात है इस चुनाव में राज्य के सूखे की समस्या को बड़ा चुनावी मुद्दा बनाने का प्रयास भी हुआ।
केंद्र में बैठी वाजपेयी सरकार राज्य के लिए बड़ा सूखा राहत पैकेज जारी करने वाली थी, लेकिन मध्य प्रदेश के कई नेताओं ने अटल जी से राहत पैकेज न जारी करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इसका फायदा आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी को होगा। इसे सुनकर अटल जी नाराज हो गए और तल्ख तेवर में बोले- ‘आप लोगों ने यह बात सोची भी कैसै? सूखा राहत पैकेज राज्य का अधिकार है और दिग्विजय सिंह चुनी हुई सरकार के मुख्यमंत्री।‘ उन्होंने डांटते हुए आगे कहा- ‘मैं राहत पैकेज जारी करूंगा, चुनाव कैसे लड़ना है ये आप लोग देखिए।‘
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