उत्तरकाशी आपदा: शहीद के बेटे का रिसॉर्ट खीर गंगा की बाढ़ में तबाह, सरकार से मदद की गुहार
Uttarkashi Disaster: मनोज भंडारी कहते हैं कि पिता का चेहरा मैंने कभी ठीक से नहीं देखा, बस तस्वीरों में पहचान है. 1991 में पिता के शहीद होने के बाद जैसी स्थिति थी, वैसी ही अब हो गई है.

5 अगस्त को खीर गंगा नदी की बाढ़ ने उत्तरकाशी के धराली कस्बे में भयानक तबाही मचाई थी, जिसमें डुंडा ब्लॉक के मालना गांव निवासी मनोज भंडारी का रिसॉर्ट पूरी तरह तबाह हो गया. यह रिसॉर्ट शहीद आइटीबीपी सिपाही राजेंद्र मोहन भंडारी के परिवार का सपना था, जिसे उनकी पत्नी कुसुम लता और बेटे मनोज ने मेहनत से संजोया था.
आपदा ने एक पल में उनकी मेहनत और उम्मीदों को ध्वस्त कर दिया, जिससे परिवार की जिंदगी फिर से संकट में आ गई है. मनोज अब सारी उम्मीदें हार चुके हैं उन्हें उम्मीद है अब सरकार से कि फिर से उनकी जिन्दगी और रोजगार पटरी पर लौटा दे.
शहीद परिवार की पीड़ा
मनोज भंडारी के पिता राजेंद्र मोहन भंडारी आइटीबीपी में सिपाही थे, जो 9 मार्च 1991 को पंजाब में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए. उस समय मनोज महज ढाई साल के थे, जबकि उनकी मां कुसुम लता 21 साल की थीं. पति की शहादत के बाद कुसुम लता ने बेटे को कठिनाइयों के बावजूद पढ़ाया-लिखाया. उनकी मेहनत रंग लाई और 2011 में मनोज आइटीबीपी में उप निरीक्षक (फार्मासिस्ट) बने. उन्होंने मध्य प्रदेश, मैथिली और लद्दाख में सेवा दी.
रिसॉर्ट का सपना और आपदा
2020 में मां के साथ रहने और परिवार का बेहतर ख्याल रखने के लिए मनोज उत्तरकाशी लौटे. यहां उन्होंने मेडिकल व्यवसाय शुरू किया और स्वरोजगार व पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 2024 में मां की पेंशन से बैंक से 50 लाख रुपये का लोन लेकर एक रिसॉर्ट बनाया. इस 14 कमरों वाले रिसॉर्ट में 7 लोग काम करते थे, जो धराली में पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया. लेकिन 5 अगस्त को खीर गंगा नदी की बाढ़ ने सब कुछ तबाह कर दिया. उस दिन रिसॉर्ट में केवल तीन लोग थे, जो जान बचाने में सफल रहे, लेकिन रिसॉर्ट मलबे में तब्दील हो गया.
मनोज की बेबसी, सरकार से उम्मीदें
मनोज भंडारी कहते हैं कि पिता का चेहरा मैंने कभी ठीक से नहीं देखा, बस तस्वीरों में पहचान है. 1991 में पिता के शहीद होने के बाद जैसी स्थिति थी, वैसी ही अब हो गई है. मेरी जिंदगी का जो कुछ संजोया था, सब खत्म हो गया. उन्होंने सरकार से पुनर्वास और मदद की उम्मीद जताई, बोले- कि अब मेरी उम्मीद सिर्फ सरकार पर टिकी है. यह देखना होगा कि सरकार हमारी तबाह जिंदगी को कैसे आबाद करती है.
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Source: IOCL






















