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उत्तराखंडः सेना दिवस के मौके पर निकाली गई मशाल रैली, भारतीय फौज की ताकत और बलिदान को किया याद
देशभर में कुल 4 मशाल रैली घुमाई जाएगी जो कि नेशनल वार मेमोरियल से लाकर हर एक परम वीर चक्र और महावीर चक्र से नवाजे गए शहीद के बलिदान से लोगों को रूबरू करवाएगी. यह दुनियाभर के लिए संदेश है कि भारत किसी भी परिस्तिथि में डटकर खड़ा है.
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देहरादूनः उत्तराखंड के नैनीताल में सेना दिवस के मौके पर NCC और भारतीय फौज के जवानों ने मॉल रोड में एक मशाल रैली निकाली. जवानों ने भारतीय फौज की ताकत और बलिदान का संदेश दिया. इस मौके पर रैली में उपस्थित उत्साहित लोगों ने देशभक्ति के नारे लगाए.
NCC छात्रों ने भी लिया भाग
वीरभूमि उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में रैली आयोजित करने के बाद कारवां सेना दिवस के दिन नैनीताल की मॉल रोड से गुजरता दिखा. 15 जनवरी को 1947 की जीत के 50वें विजय वर्षगांठ के रूप में मनाया जा रहा है. इस रैली में डी.एस.बी कैंपस के एन.सी.सी छात्रों ने भी भाग लिया.
NCC आर्मी बटालियन के कैडेट धीरज चंद्र कुरैई ने बताया कि यह रैली पूरे भारतवर्ष में हमारे वीरगति को प्राप्त हुए जवानों की जानकारी देने के लिए था. उन्होंने बताया कि देशभर में कुल 4 मशाल रैली घुमाई जाएगी जो कि नेशनल वार मेमोरियल से लाकर हर एक परम वीर चक्र और महावीर चक्र से नवाजे गए शहीद के बलिदान से लोगों को रूबरू करवाएगी. यह दुनियाभर के लिए संदेश है कि भारत किसी भी परिस्तिथि में डटकर खड़ा है. इस रैली से 1947 में शहीद हुए जवानों के गांव से उनकी जन्मभूमि की मिट्टी नेशनल वार मेमोरियल में लाकर उनकी शहादत को नमन किया जाएगा.
क्यों मनाया जाता है 'आर्मी डे'
15 जनवरी को आर्मी डे मनाने के पीछे दो बड़े कारण हैं. पहला ये कि 15 जनवरी 1949 के दिन से ही भारतीय सेना पूरी तरह ब्रिटिश थल सेना से मुक्त हुई थी. दूसरी बात इसी दिन जनरल केएम करियप्पा को भारतीय थल सेना का कमांडर इन चीफ बनाया गया था. इस तरह लेफ्टिनेंट करियप्पा लोकतांत्रिक भारत के पहले सेना प्रमुख बने थे. केएम करियप्पा ‘किप्पर’ नाम से काफी मशहूर रहे.
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