यूपी में नेम प्लेट विवाद पर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद बोले- किसी को पहचान बताने में...
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने यूपी में नेम प्लेट विवाद पर पहली प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कांवरियों को भी सलाह दी है कि हल्काफुल्का भोजन करें.

UP News: नेम प्लेट लगाने वाले विषय के बीच शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कांवरियों को भी इस संदर्भ में सलाह दी है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि बहुत जल्द असली सनातनी संसद और विधानमंडल में पहुंचेंगे .एबीपी न्यूज़ से बातचीत के दौरान ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में नेम प्लेट के फैसले और फिर उस पर जारी विवाद पर भी प्रतिक्रिया दी.
शंकराचार्य ने नेम प्लेट वाले विषय पर कहा - किसी को पहचान बताने में क्या दिक्कत है. अगर वह पूछ रहे हैं तो आपको अपना नाम बता देना चाहिए. इसके अलावा शंकराचार्य ने कांवरियों को सलाह भी दी. उन्होंने कहा कि संयमित दिनचर्या के साथ कावड़ यात्रा पूरा करें. अपने साथ रखें बाटी चोखा सतुआ जैसे हल्के खानपान के साथ अपनी यात्रा पूरी करें.
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कथावाचकों और महाराष्ट्र में हिंदी के फैसले पर भी बोले शंकराचार्य
कथावाचकों के विषय में पैसा लेने वाले बयान पर कहा- जो लोग इस पर सवाल उठा रहे हैं पहले वह अपना हिसाब देकी क्या उन्होंने कभी बताया जबकि धर्माचार्य कथावाचक सभी लोग अपना सही हिसाब किताब बताते हैं. और उसे सही कार्य में लगाते हैं. राजनेता कितना पैसा लेते हैं यह वह कभी नहीं बताते. पीएम केयर फंड में कितने लोगों ने दिया लेकिन उसके बारे में नहीं पता चला.
वर्तमान सरकार पर तंज कसते हुए शंकराचार्य ने कहा कि अब बहुत जल्द आने वाले समय में असली सनातन के लोग संसद तक पहुंचेंगे. उन्होंने कहा कि गौ माता के बारे में किसी ने नहीं सोचा इसलिए बिहार चुनाव में गौ मतदाता को मौका दिया जाएगा कि वह अपने मत का प्रयोग करें. 2 से 3 वर्षों में जरूर इसका परिणाम दिखेगा. गाय को मानने वाली पार्टी ही संसद और विधानसभा में रहेगी. डॉलर कमाने वाली और बोटी बोटी बेचने वाली पार्टीयां नहीं जाएंगी.
महाराष्ट्र में हिंदी अनिवार्यता के फैसले को वापस लेने वाले मुद्दे पर शंकराचार्य ने कहा कि जानबूझकर वहां की सरकार ऐसा विषय सामने रखती है कि कौन लोग इसके समर्थन में है कौन लोग इसके विरोध में. सभी क्षेत्रीय भाषाओं का भी विकास होना चाहिए लेकिन आप हिंद देश में रहकर हिंदी भाषा का विरोध करेंगे यह उचित नहीं है.
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