दलहन-तिलहन क्रांति: योगी सरकार की योजनाओं का दिखा असर, यूपी बना रहा नई पहचान
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में उत्तर प्रदेश अब दाल और तेल के लिए दूसरे राज्यों पर निर्भर नहीं रहना चाहता.आठ वर्षों में दलहन और तिलहन की खेती के नतीजे अब सामने आने लगे हैं.

UP News: योगी सरकार की किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की नीति अब ज़मीन पर असर दिखाने लगी है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में उत्तर प्रदेश अब दाल और तेल के लिए दूसरे राज्यों पर निर्भर नहीं रहना चाहता सरकार ने बीते आठ वर्षों में दलहन और तिलहन की खेती को बढ़ावा देने के लिए जो योजनाएं चलाईं, उनके नतीजे अब सामने आने लगे हैं.
दलहन और तिलहन का उत्पदान पिछले कई वर्षों में ढाई गुना अधिक से बढ़ोत्तरी पर पहुंच गया है.
आंकड़े दे रहे हैं सफलता की गवाही
वर्ष 2016-17 में जहां दलहन का उत्पादन 23.95 लाख मीट्रिक टन था, वहीं 2024-25 में यह बढ़कर 35.18 लाख मीट्रिक टन पहुंच गया है. यानी करीब ढाई गुना की बढ़त. इसी तरह तिलहन का उत्पादन 2016-17 में 12.40 लाख मीट्रिक टन था, जो अब 29.20 लाख मीट्रिक टन हो गया है. यानी डेढ़ गुना की बढ़ोत्तरी. अगर यह रफ्तार ऐसे ही बनी रही, तो अगले कुछ वर्षों में प्रदेश दाल और खाद्य तेल के मामले में आत्मनिर्भर हो जाएगा.
मुख्यमंत्री की निजी निगरानी में चल रही योजना
योगी सरकार ने दलहन और तिलहन उत्पादन के लिए रणनीति तैयार की है. इसके तहत 2027 तक करीब 236 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. किसानों को मूंग, उड़द, अरहर, चना, मसूर और मटर जैसे फसलों के बीजों के मिनीकिट मुफ्त में बांटे जा रहे हैं. अब तक 46 लाख से ज्यादा मिनीकिट किसानों को दिए जा चुके हैं. इसके साथ ही किसानों को प्रदर्शन खेतों के जरिए नई तकनीक सिखाई जा रही है. गांव-गांव में किसान पाठशालाएं और कृषि मेले लगाए जा रहे हैं, जहां विशेषज्ञ उन्हें उन्नत खेती के तरीके बता रहे हैं.
फोकस: कम समय में ज्यादा पैदावार
राज्य सरकार कम समय में पकने वाली फसलों को बढ़ावा दे रही है, ताकि किसान एक साल में दो से तीन फसलें ले सकें. मूंग, मटर, उड़द और मसूर जैसी फसलें गन्ने व अन्य फसलों के साथ भी लगाई जा रही हैं. वहीं तिल, मूंगफली, राई-सरसों, अलसी जैसी तिलहनी फसलों को भी अनुकूल जलवायु वाले क्षेत्रों में बढ़ावा दिया जा रहा है.
अभी कितना है उत्पादन और कितनी है जरूरत?
वर्तमान में प्रदेश में दलहन की जरूरत का केवल 40-45% और तिलहन की मांग का 30-35% ही उत्पादन हो रहा है. जब मांग अधिक और उत्पादन कम होता है, तो कीमतें बढ़ जाती हैं और आम आदमी की थाली से दाल और तेल गायब होने लगता है. इस अंतर को खत्म करने के लिए योगी सरकार लगातार प्रयास कर रही है.
सरकार को है 2027 तक बड़ी उम्मीद
सरकार का लक्ष्य है कि 2026-27 तक दलहन का रकबा बढ़ाकर 28.84 लाख हेक्टेयर और तिलहन का रकबा 22.63 लाख हेक्टेयर तक पहुंचाया जाए. इसके बाद न केवल राज्य की जरूरतें पूरी होंगी, बल्कि दूसरे राज्यों को भी आपूर्ति की जा सकेगी.
थाली में भरपूर दाल, रसोई में बना रहेगा तेल का संतुलन
यह योजनाएं अगर पूरी तरह से लागू होती रहीं, तो उत्तर प्रदेश का हर किसान खुशहाल होगा और हर घर की थाली में भरपूर दाल और तेल बना रहेगा. योगी सरकार की यह रणनीति केवल खेती को ही नहीं, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था और आम लोगों के जीवन को भी मजबूत बना रही है.
Source: IOCL
























