'हिंदुओं को चिढ़ाने के लिए कुछ मुसलमान...' बकरीद से पहले शंकराचार्य भड़के, कहा- गंभीर परिणाम होंगे...
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने बकरीद से पहले कुर्बानी पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि इस परंपरा के परिणाम गंभीर होंगे.

Bakra Eid 2025: शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने बकरीद के संदर्भ में दावा किया है कि कुछ मुस्लिम, हिंदुओं को चिढ़ाने के लिए गाय की बलि देते हैं. उन्होंने कहा कि इस परंपरा का परिणाम गंभीर होगा. शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कुर्बानी पर गंभीर सवाल उठाए. उत्तर प्रदेश स्थित वाराणसी में उन्होंने कहा कि हिंदुओं को चिढ़ाने के लिए कुछ मुसलमानों द्वारा गौ माता की बलि दी जाती है.
उन्होंने कहा कि अपने मजहब की परंपरा निभाने के लिए गौ माता की बलि देना ठीक नहीं है. शंकराचार्य ने पुलिस प्रशासन से इस संदर्भ में अपील की हैकि किसी भी जगह पर गाय की बलि नहीं दी जानी चाहिए. शंकराचार्य ने कहा कि सार्वजनिक तौर पर कुर्बानी होती है तो भाईचारे की परंपरा को ठेस पहुंचेगा. कुर्बानी देने वाली जैसी परंपरा का परिणाम गंभीर होगा.
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वरुणा और अस्सी के बीच नहीं होनी चाहिए कटाई - बालकादेवाचार्य
इसके अलावा वाराणसी के पातालपुरी मठ पर दर्जनों की संख्या में धर्माचार्य और प्रबुद्धजनों की एक बैठक आयोजित की गई जिसमें सबसे पहले श्री हनुमान चालीसा का पाठ किया गया. इसके बाद जगद्गुरु बालकादेवाचार्य ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत के दौरान कहा की - वाराणसी प्राचीन शहर और एक पवित्र नगरी है. यहां से अनेक नदियों का प्रवाह होता है लेकिन अगर यहां पर त्यौहार के नाम पर पशुओं की कुर्बानी दी जाएगी और उनका रक्त नदियों में बहेगा तो यह सीधे-सीधे धार्मिक आस्था व पर्यावरण को चोट पहुंचाने वाली बात होगी. इसलिए विशेष तौर पर किसी भी त्यौहार के दौरान सार्वजनिक रूप से पशुओं की कटाई नहीं होनी चाहिए, इसका हम विरोध करते हैं.
मक्का मदीना के 8 किलोमीटर दायरे में भी प्रतिबंधित - BHU प्रोफेसर
वहीं बैठक में मौजूद BHU इतिहास के प्रोफेसर प्रो. राजीव श्रीवास्तव ने कहा कि - पूरी दुनिया में इस्लाम का सबसे पवित्र धर्म स्थल माने जाने वाले मक्का मदीना के 8 किलोमीटर परिक्षेत्र में पशुओं की कुर्बानी प्रतिबंध है. वेटिकन सिटी में भी साफ सफाई का विशेष ध्यान दिया जाता है. ऐसे में काशी भी धर्म नगरी है और यहां पर भी सार्वजनिक रूप से किसी भी त्यौहार के दौरान पशुओं की कटाई नहीं होनी चाहिए. यह परंपरा के साथ-साथ पर्यावरण को भी सीधा चुनौती देना होगा और इसीलिए आज एक बैठक आयोजित की गई थी जिसमें स्पष्ट तौर पर एक अपील की गई है कि सार्वजनिक रूप से किसी भी पशुओं की कटाई वाराणसी में ना की जाए. वहीं इस मामले में मुस्लिम धर्म गुरुओं ने अपने समुदाय से अपील की है कि कानूनी दायरे में रहकर ही बकरीद का त्यौहार मनाया जाए.
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