संविधान की मूल प्रति लिखनेवाले इस शख्स को जानिये...400 से ज्यादा निब और 6 महीने में हुआ तैयार
संविधान का नाम आते ही हमारे जहन में तमाम बातें उठती हैं। इनमें डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का नाम सबसे पहले आता है। लेकिन वह शख्स जिसने इस पूरे संविधान को लिखा आज हम आपको उसके बारे में बताते हैं

हर साल 26 जनवरी को हम अपना गणतंत्र दिवस मनाते हैं। इस दिन यानी 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ था। तबसे हम इस दिन को गणतंत्र दिवस (Republic Day) के रूप में मनाते हैं। इससे जुड़े कई रोचक तथ्य हैं कई तो आप जानते होंगे कुछ ऐसे भी हैं जिनके बारे में कम ही लोग जानते होंगे। भारतीय संविधान का जिक्र आते ही भीमराव अंबेडकर नाम जरूर आता है और उन्हें संविधान निर्माता कहा जाता है। यहां तक सब ठीक है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इसकी मूल प्रति किसने लिखी होगी। हम आपको इसे बारे में अहम जानकारी देने जा रहे हैं।

पूरे संविधान को अपने हाथों से कागज पर उकेरेने वाले शख्स का नाम है प्रख्यात कैलिग्राफर (सुलेखक) प्रेम बिहारी नारायण रायजादा। जिन्होंने बिना गलती किये संविधान की प्रस्तावना को खूबसूरत तरीके से कलमबद्ध किया।
26 नवंबर, 1949 को भारतीय संविधान तैयार हुआ। कई लोगों के अथक परिश्रम का ही फल था कि संविधान की मूल प्रति किसी कलाकृति सी बनी। नंदलाल बोस और उनके छात्रों ने अपनी पेंटिंग से खूबसूरत बनाया, तो प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने अपनी लेखनी से इसमें चार चांद लगा दिए। उन्होंने अपनी कैलिग्राफी से संविधान की शुरुआती सामग्री और उसकी प्रस्तावना लिखी। रायजादा ने इटेलिक शैली में बेहद खूबसूरती से संविधान लिखा, जिसमें उन्होंने एक भी गलती नहीं की।

प्रेम बिहारी के परिवार में कैलिग्राफी की परंपरा थी। बचपन में ही उन्होंने माता-पिता को खो दिया था। उनका पालन पोषण दादा जी और चाचा जी ने किया। उनके दादा मास्टर राम प्रसाद जी सक्सेना अच्छे कैलिग्राफर होने के साथ फारसी और अंग्रेजी के अच्छे जानकार थे। वह कई अंग्रेज अफसरों को भी फारसी सिखाते थे। प्रेम बिहारी जी ने कैलिग्राफी अपने दादाजी से ही सीखी।
रायजादा ने नहीं लिया पारिश्रमिक
देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने संविधान की मूल प्रति लिखने के लिये रायजादा से संपर्क किया। रायजादा ने प्रधानमंत्री से मेहनताना लेने से मना कर दिया। रायजादा ने नेहरू से कहा कि वह संविधान लिखने के लिए एक भी पैसा नहीं लेंगे। उन्होंने अपनी एक शर्त रखी जिसे नेहरू ने मान लिया। उन्होंने मांग की, हरके पन्ने पर उनका नाम और अंतिम पृष्ठ पर उनके साथ उनके दादा का नाम लिखने की इजाजत दी जाए, जिसे नेहरू ने मान लिया।
संविधान लिखने में 6 महीने का वक्त लगा रायजादा को इस काम के लिए संविधान भवन में अलग से कक्ष उपलब्ध कराया। बाद में यही कमरा कॉन्स्टिट्यूशन क्लब कहलाया। 8 शेड्यूल, 395 अनुच्छेद और संविधान की प्रस्तावना को लिखने के लिए उन्हें छह महीने का समय लगा।
400 से ज्यादा निब का उपयोग किया गया
प्रेम बिहारी नारायण रायजादा की मेहनत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने इस दौरान सैकड़ों निब का प्रयोग किया। जानकारी के मुताबिक उन्होंने 432 पेन की निब का उपयोग किया। भारतीय संविधान की मूल प्रति जो उन्होंने तैयार की, उसमें 251 पन्ने हैं और इसका वजन 3.75 किलो है।
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Source: IOCL






















