मरा समझकर कूड़ेदान में फेंक दिया था नूपुर को, हौसले और जज्बे से पहुंचीं केबीसी की हॉट सीट तक
उन्नाव के एक छोटे से गांव से निकलकर केबीसी जैसे मंच तक पहुंचने की यह प्रेरणा देनेवाली कहानी नूपुर चौहान की है। नूपुर का जीवन संघर्षों से भरा है। जब उनका जन्म हुआ था, तब डॉक्टरों ने उन्हें मृत समझकर डस्टबीन में फेंक दिया था

उन्नाव, एबीपी गंगा। उत्तर प्रदेश के उन्नाव के बेहद सामान्य परिवार में जन्मी एक दिव्यांग बेटी नुपूर चौहान है, जिसके हौसले की कहानी आज सभी की जुबान पर हैं। पैदा होने के बाद जिसे डॉक्टरों ने मृत घोषित कर फेंक दिया था, वो आज अपने दम पर जिंदगी में कुछ कर गुजरने के हौसले के सहारे हर दिन सभी को अपना मुरीद बना रही है। दिव्यांग नूपुर ने टीवी शो कौन बनेगा करोड़पति की हॉट सीट तक पहुंचकर,12 सवालों के सही जवाब देकर 12.50 लाख रुपये जीतकर अपने हौसले व मजबूत इच्छा शक्ति की मिशाल पेशकर आज मां-बाप का ही नहीं देश स्तर पर गांव की पहचान बन चुकी है।
उन्नाव के जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर बीघापुर तहसील के छोटे से गांव कपूरपुर निवासी किसान रामकुमार सिंह व गृहणी कल्पना सिंह की बेटी नूपुर सिंह चौहान की दास्तां जितनी दुखभरी है, उतनी ही हर किसी को प्रेरित करने वाली भी। आज से 29 साल पहले कानपुर के एक अस्पताल के डॉक्टरों (धरती के भगवान) ने सीजर ऑपरेशन के बाद जिस नुपूर चौहान को पैदा होते ही मृत घोषित कर कूड़ेदान में फेंक दिया था। वही नुपूर आज अपनी मौसी की समझदारी से परिवार का मान व अभिमान बनी है। लेकिन डॉक्टरों की लापरवाही ने नूपुर को पैरों से दिव्यांग बना दिया। फिर भी बड़े दिल वाली नुपूर ने कहा कि डॉक्टरों की कोई गलती नहीं है। इंटरमीडिएट परीक्षा मेरिट में पास करने के साथ ही, 2016 में पहले ही प्रयास में बीएड प्रवेश परीक्षा भी पास की।

जन्म से मुश्किलों का सामना कर जीवन के हर मोड़ पर हिम्मत से संघर्ष करने का बुलंद हौसला रखने वाली उन्नाव की बेटी नुपूर चौहान अब परिवार का ही नहीं गांव का भी अभिमान है। बेटी की उपलब्धि पर बाला जी नव युवक सेवा समिति भगवंतनगर ने नागरिक अभिनंदन कर हौसले की सच्ची मिसाल बनी लाडली बेटी का सम्मान कर हांथो हांथ लिया। हर किसी ने नुपूर के पैर छूकर उसके आत्मबल को सलाम किया।
नूपर एक मेधावी छात्रा होने के साथ ही शिक्षक भी हैं, और 30 से अधिक प्ले ग्रुप व 10 वीं क्लास के बच्चों को निशुल्क पढ़ाकर शिक्षा का उजियारा भी फैला रही है। नूपुर चौहान ने बताया कि मेरी मां का सपना था कि कौन बनेगा करोड़पति के शो में, मैं जाऊं। जिसके लिए मैंने मई 2018 में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराया । इसके बाद टेलिफोनिक इंटरव्यू हुआ, जिसे मैंने पास किया। इसके बाद 8 जून को बिरला ओपन माइंड स्कूल में दूसरा ऑडिशन हुआ। उसे भी मैंने कंपलीट किया । इसके बाद 23 जुलाई को कॉल आई की मुंबई में आपका ऑडिशन होगा। 4 अगस्त को मुंबई पहुंची और ऑडिशन पूरा कर, हॉट सीट तक पहुंची। कहा कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं केबीसी तक पहुंचकर और यह मुकाम हासिल करूंगी। बेटी ने सफलता का श्रेय अपने माता पिता को दिया है। युवाओं को संदेश देते हुए शायराना अंदाज में कहा कि पढ़िए कहानी किताबों से ही बदलती है, जैसे मेरे लिए बदली है, हो सकता है, वैसे ही आपके लिए भी बदलें।

नूपुर चौहान की मां ने जो कहनी बताई, वो हैरान करने वाली है। बताया कि जब वो पैदा हुईं तो उसे सर्जिकल औजार लग गए थे ऑपरेशन के वक्त और वो रोईं नहीं, डॉक्टरों ने कहा मृत है और डस्टबिन में फेंक दिया। इसके बाद नूपुर की नानी ने उसकी मौसी नीलम सिंह से कहा की नर्स से कहो कि बच्ची को साफ करके, थपथपाओ शायद इसकी सांसे चल जाए और वही हुआ नूपुर रोने लगी लेकिन वो रोईं तो 12 घंटे तक रोती ही रहीं। वो मरी नहीं थीं बस उनके शरीर में ऑक्सीजन की कमी थी। बाद में डॉक्टर्स ने बताया कि टेटनेस हो गया है। आपका बच्चा बचेगा नहीं, इस दौरान डॉक्टर लक्ष्मी निगम के इलाज से जिंदगी मिल गई।

दो साल तक नुपूर सामान्य बच्चों से अलग रही। जिसके बाद डॉक्टर ने बताया कि ये स्पेशल चाइल्ड है। नुपूर की मां ने कहा कि उसका शरीर जरूर दिव्यांग है, लेकिन दिमाग सामान्य है। एक बार कौन बनेगा करोड़पति का शो टीवी पर सभी लोग देख रहे थे। तब मैंने नूपुर से पूछा था कि यहां तक कैसे पहुंचा जाता है। नूपुर ने कहा था एक दिन मैं केबीसी के टीवी शो में पहुंचकर आपका सपना सच साबित करूंगी। जिसे नूपुर ने कर दिखाया है। नुपूर मेरा अभिमान है । कहा कि दिव्यांग बच्चों की परवरिश में कोई कमी नहीं करनी चाहिए ।
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