कानपुर में पनीर खाने के शौकीन हैं विशालकाय कछुए, विशेषज्ञों ने जाहिर की चिंता
UP News: कानपुर के पनकी क्षेत्र के प्रसिद्ध हनुमान मन्दिर में बने एक पुराने तलाब में पल रहे कछुए लंबे समय से पनीर के सेवन को लेकर चर्चा में बने हुए हैं. हालांकि विशेषज्ञों ने इस पर चिंता जाहिर की है.

Kanpur News: कानपुर के प्रसिद्ध हनुमान मंदिर के प्रांगण में बने एक प्राचीन तालाब में पल रहे विशालकाय कछुओं ने अपनी एक अलग दिलचस्पी से सबको हैरान कर दिया है. यहां पल रहे कछुए पनीर को खाने में कुछ ज्यादा ही रुचि दिखा रहे हैं. कछुओं में इस तरह से पनीर खाने का क्रेज सभी के लिए हैरानी का सबब बन हुआ है. ये अनोखा बदलाव वन्य जीव विशेषज्ञों के लिए भी एक नई चुनौती साबित हो रहा है.
जानकारों के मुताबिक कछुओं की कुछ प्रजाति शाकाहारी होती है और कुछ मांसाहारी और कुछ तो सर्वहारी पाए जाते हैं. मगर कछुओं को जिस वातावरण और आहार में ढाला जाता है वो वैसे ही ढल जाते हैं. कानपुर के पनकी क्षेत्र के प्रसिद्ध हनुमान मन्दिर में बने एक पुराने तलाब में पल रहे कछुए लंबे समय से पनीर के सेवन को लेकर चर्चा में बने हुए हैं.
पनीर खाने के शौकीन हुए कछुए
मन्दिर प्रांगण के महंत कृष्ण दास जी महाराज की मानें तो यहां दर्शन करने आने वाले हजारों श्रद्धालुओं ने अपनी आस्था और श्रद्धा के अनुसार तालाब में रह रहे सैकड़ों कछुओं को खाने के लिए कुछ न कुछ फेंका करते थे. वहीं कुछ लोगों ने तालाब में कछुओं के लिए बहुत पहले पनीर के टुकड़े ही डालना शुरू किया था.
अब कछुओं में सभी उन खाने की चीजों को खाने के बजाय पनीर को ज्यादा मात्रा में खाना पसंद कर दिया है जिसके चलते यहां आने वाले सभी श्रद्धालु अब कछुओं के लिए पनीर लेकर आने लगे हैं. सुबह और शाम को उन्हें पनीर खिलाते हैं. कछुओं में पनीर खाने की ऐसी रूचि जिसके चलते पानी की गहराई में रहने वाले कछुए अब तालाब की सतह पर आकर श्रद्धालुओं के हाथों से पनीर खाते हुए भी दिखाई देते हैं.
विशेषज्ञों की बढ़ी चिंता
कछुओं की पनीर खाने की दिलचस्पी को देखकर अब मंदिर प्रबंधन की ओर से वन्यजीव विशेषज्ञों से कछुओं में अचानक हुए इस बालव के लिए चिंता भी जाहिर की है. साथ ही इस अचानक से हुए बदलाव से कछुओं में होने वाले किसी समस्या या उनकी दिनचर्या और उनकी सेहत पर पड़ने वाले प्रभाव के लिए भी जांच करने की बात कही है.अब विशेषज्ञ और डॉक्टर्स इस अनोखी रुचि को लेकर जांच भी कर रहे हैं और कछुओं में होने वाले बदलाव को लेकर शोध भी कर रहे हैं.
वहीं मंदिर के मंहत का कहना है कि इस मंदिर में बने तालाब को संरक्षित और यहां पालने वाले कछुओं को सुरक्षित करने के लिए शासन को 4करोड़ 75 लाख रुपए का प्रस्ताव भेजा गया था. दो करोड़ रुपए प्रस्तावित हुए थे जिससे तालाब और कछुओं की व्यवस्था को और भी दुरुस्त किया गया है. अब कछुओं के पनीर खबर की रुचि को देखते हुए मंदिर प्रांगण में उन सभी सामग्रियों की दुकानों की व्यवस्था भी की गई है, जहां कछुओं के आहार को लेकर समान बेचा जाता है.
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